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छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा, मंदिरों से साईं की मूर्ति के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होगी

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद और उनकी धर्म संसद को छत्तीसगढ़ सरकार ने तगड़ा झटका दिया है. राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि मंदिरो से साईं की मूर्तियां नहीं हटाई जाएंगी और ना ही साईं की मूर्तियों के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ बर्दाश्‍त की जायेगी.

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रमन सिंह
रमन सिंह

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद और उनकी धर्म संसद को छत्तीसगढ़ सरकार ने तगड़ा झटका दिया है. राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि मंदिरो से साईं की मूर्तियां नहीं हटाई जाएंगी और ना ही साईं की मूर्तियों के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ बर्दाश्‍त की जायेगी.

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सरकार ने साईं भक्तों को भरोसा दिलाया है कि वे भयमुक्त हो कर साईं की पूजा पाठ करे. राज्य सरकार ने धर्म संसद में शामिल साधू संतो को भी आगाह किया है कि उन्होंने यदि धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश की तो सरकार उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से नहीं चूकेगी. राज्य सरकार ने यह फैसला धर्म संसद के फैसलों पर कानूनी राय लेने के बाद किया है.

छत्तीसगढ़ के कवर्धा में दो दिनों तक चली धर्म संसद के साईं की मर्तियां हटाने के फैसले को सुनने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार हरकत में आ गयी है. उसने साफ कर दिया है कि यदि किसी ने भी धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश की या फिर मंदिरो से साईं की मूर्तियां हटाने या उसके साथ छेड़छाड़ की कोशिश की तो उसके साथ वो सख्ती से पेश आएगी. राज्य के गृह मंत्री ने धर्म संसद के तमाम फैसलों पर क़ानूनी राय लेने के बाद साफ़ तौर पर कहा है कि साईं भक्तो को भी अपने अनुसार पूजा पाठ करने का अधिकार है. राज्य सरकार ने ये भी साफ़ कर दिया है कि धर्म संसद के फैसले से वो इतफाक नहीं रखती.

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आपको बता दें कि सोमवार को धर्म संसद में इस बात पर गहन चिंतन किया है कि मंदिरो से साईं की मूर्तियां किस तरह से हटाई जाए. इसके लिए एक समयबध कार्यक्रम तय किया गया है. इसके तहत हर जिलों में दस सदस्यी साधू संतो की टोली जायेगी. ये टोली उन इलाकों के मंदिरो में पड़ताल करेगी. पहले मंदिरों के पुजारी और कर्ताधर्ताओं को समझाया जाएगा कि वे साईं की मूर्तियां हटाये और उनकी पूजा अर्चना बंद करें. यदि इन साधू संतो की बातों को नजरअंदाज किया गया तो नागा साधुओं और अखाड़ों का दल उन मंदिरो से जोर जबरदस्ती साईं की मूर्तियां हटाएगा.

धर्म संसद के इस फैसले की छत्तीसगढ़ सरकार ने पड़ताल कराई है. धर्म संसद के फैसलों को राज्य सरकार ने प्राथमिक रूप से धार्मिक उन्माद फैलाने वाला पाया है.

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