विदेश राज्यमंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने भारत से श्रीलंका में शांति सेना भेजने को रणनीतिक चूक बताया है. विदेश राज्यमंत्री ने कहा कि नीतिगत चूक का सबसे बड़ा उदाहरण है कि भारतीय सेना वहां संरक्षण देने के लिए गई थी. लेकिन बाद में वह खुद लड़ाई में उलझ गई.
अपनी आत्मकथा 'साहस और संकल्प' के विमोचन के दौरान कहा, 'भारतीय सेना की बहादुरी में कोई कमी नहीं है और उसने सभी जगहों पर बेहतर लड़ाइयां लड़ी है. लेकिन श्रीलंका में लड़ाई लिट्टे और श्रीलंका सरकार के बीच थी. समझौते पर हस्ताक्षर भारत सरकार और श्रीलंका सरकार के बीच हुआ था.' उन्होंने कहा, 'लिट्टे के उपर कोई अंकुश नहीं था और कोई जवाबदेही नहीं थी.'
जनरल वीके सिंह के मुताबिक इस मामले में नीतिगत चूक कई कारणों से हुई थी. उन्होंने कहा, 'कई बार ऐसा हुआ था कि जब प्रभाकरण को पकड़ा जा सकता था या उसे मारा जा सकता था. लेकिन कुछ आदेश ऐेसे आते थे जिससे उसके लिए रास्ते खुल जाते थे. बाद में ऐसा हुआ कि श्रीलंका सरकार ही लिट्टे को मदद करने लगी.'
भारत-पाकिस्तान संबंध पर वीके सिंह ने बताया कि भारत की ओर से पाकिस्तान से कहा गया है कि वह अंदरुनी मामलों को दुरुस्त करे. सिंह ने कहा कि उनका मानना है कि पाकिस्तान में सुधार में कई चीजें बाधक बन रही हैं. उन्होंने कहा, 'उस देश को अपना समाधान ढूंढ़ना होगा. किसी भी देश के ऊपर हम अपना समाधान नहीं थोप सकते हैं. उम्मीद है कि भारत ने जिन चीजों को लेकर चिंता जाहिर की है उन पर विचार होगा.'
भारत और चीन संबंध पर बोलेते हुए वीके सिंह ने कहा, 'जब चीन ने अरूणाचल को दक्षिण तिब्बत कहना शुरू किया तभी से परेशानी शुरू हुई है. चीन ने सभी पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद सुलझा लिया है. केवल भारत के साथ नहीं किया है. इसका हल निकलेगा, लेकिन इसके लिए समय तय करना मुश्किल होगा.
- इनपुट भाषा