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आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की हुई शादी, पुलिस की ओर से नौकरी का तोहफा

छत्तीसगढ़ में समर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी देने का प्रावधान है. इसी के तहत बस्तर जिले में आत्मसमर्पित नक्सलियों कोसी और पोडियामी लक्ष्मण की शादी के दूसरे दिन ही पुलिस ने सरकारी नौकरी का तोहफा भी दिया.

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शादी
शादी

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर जिले में आत्मसमर्पित नक्सलियों की शादी के दूसरे दिन ही पुलिस ने सरकारी नौकरी का तोहफा भी दे दिया है. दंपति अब जिला पुलिस में आरक्षक के रूप में कार्य करेंगे.

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धूमधाम से हुई शादी
बस्तर जिले के पुलिस अधीक्षक आरएन दास ने बताया कि जिला मुख्यालय जगदलपुर में शनिवार को नक्सली रह चुके कोसी और पोडियामी लक्ष्मण की शादी धूमधाम से की गई. जिले के वरिष्ठ प्रशासनिक, पुलिस अधिकारियों और क्षेत्र के गणमान्य नागरिक इस शादी के गवाह बने.

दोनों को मिला आरक्षक का पद
दास ने बताया कि कोसी और लक्ष्मण को जिला पुलिस बल में आरक्षक के पद पर नियुक्ति देने का आदेश जारी किया गया. उन्होंने बताया कि बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक एसआरपी कल्लूरी ने आत्मसमर्पित नक्सली नव दंपति को पुलिस विभाग में नियुक्ति देने के संबंध में समीक्षा की थी. समीक्षा के बाद दोनों को जिला पुलिस में आरक्षक के पद पर पदस्थ करने का आदेश जारी किया गया.

योग्यता के अनुसार नौकरी
पुलिस अधिकारी ने बताया कि राज्य शासन द्वारा आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास के लिए उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी देने का प्रावधान है. दोनों की योग्यता के मुताबिक उन्हें आरक्षक पद पर नौकरी देने का फैसला किया गया है.

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वधु कोसी को लिया गोद
कोसी और लक्ष्मण ने कुछ समय पहले पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था. जब वे पुलिस की सुरक्षा में निवास कर रहे थे, तब उन्होंने पुलिस अधिकारियों के समक्ष शादी करने की इच्छा जताई. जिला पुलिस ने इच्छा का सम्मान करते हुए कोसी और लक्ष्मण की शादी कराने का फैसला किया था. इसके बाद सामाजिक एकता मंच सामने आया और उसने वधु कोसी को गोद ले लिया.

मुख्य धारा में नक्सलियों का स्वागत
शनिवार को वर पक्ष पुलिस विभाग लक्ष्मण की बारात में शामिल हुआ और जगदलपुर गांधी मैदान में धूमधाम से शादी संपन्न हुई. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि नक्सल आंदोलन छोड़कर समाज की मुख्य धारा में शामिल होने वाले नक्सलियों का स्वागत है और इस विवाह से यह भी साबित हो गया है कि समाज भी उन्हें स्वीकारने के लिए तैयार है.

इनपुट- भाषा

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