छत्तीसगढ़ के कोरबा में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. यहां पुलिस ने एटीएम फ्रॉड करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने आरोपियों के पास से दो लाख रुपये और 47 एटीएम कार्ड भी बरामद किए है. पुलिस ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ दूसरे राज्यों में भी कई मामले दर्ज है.
जानकारी के मुताबिक, मामला कोरबा के नेहरू नगर इलाके का है. रिटायर कर्मचारी आशीष कांत पाल रुपए निकालने के लिए एटीएम गया हुए थे. उन्होंने मशीन में कार्ड डाला तो उसमें एरर दिखा. दोबारा प्रयास किया, लेकिन मशीन ने कार्ड एक्सेप्ट नहीं किया. एटीएम में मौजूद अन्य व्यक्ति ने प्रयास किया तो उसके कार्ड लगाने के बाद भी एटीएम की स्क्रीन पर एरर दिखा. काफी देर परेशान होने के बाद आशीष और अन्य व्यक्ति वहां से चले गए.
पीड़ित ने पुलिस थाने में दर्ज कराई एफआईआर
कुछ देर बाद आशीष कांत पाल के अकाउंट से एक लाख रुपये निकाले जाने का SMS मोबाइल पर आया. उन्होंने तुरंत इसकी सूचना अपने बैंक में दी और एटीएम को ब्लॉक करने का आग्रह किया. लेकिन, इस दौरान उसके अकाउंट से एक लाख रुपये और निकल गए. इसके बाद उसने सीएसईबी पुलिस थाने पहुंचकर इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई.
घेराबंदी कर पुलिस ने दो आरोपियों को किया गिरफ्तार
इसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू की. पुलिस ने एटीएम से संदिग्ध युवकों की फोटो निकालकर पूरे जिले के पुलिस ग्रुप में वायरल कर दिया. साथ ही जिले में चारों ओर घेराबंदी कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी. पुलिस के जवानों को खास तौर पर पूरे जिले के एटीएम की विशेष रूप से निगरानी करने का निर्देश भी दिया गया.
इसके बाद पुलिस ने एक संदिग्ध युवक को कटघोरा के एटीएम के पास पकड़ा. इस दौरान उसके दो साथी मौके से फरार हो गए. इसके बाद पुलिस ने एक आरोपी की तलाश कर उसको निजी बस में यात्रा करते हुए पकड़ा, जबकि तीसरा आरोपी कार से फरार हो गया.
कई राज्यों में दर्ज है मामले
इस मामले में एसपी राबिंसन गुरिया ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू की. पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपियों की पहचान पलवल के रहने वाले शाहिद खान और झज्जर के रहने वाले अशील कुमार जाट के रूप में हुई है. आरोपियों के खिलाफ दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान समेत कई राज्यों में एटीएम फ्रॉड के मामले दर्ज है.
आरोपी इस तरह करते थे फ्रॉड
आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में जुर्म स्वीकार करते हुए बताया कि उनका मेन टारगेट सीनियर सिटीजन या ऐसे लोग होते थे, जिन्हें अच्छे से एटीएम चलाना नहीं आता था. ये अपने पास 40-50 एटीएम रखते थे. जो अलग-अलग कलर और बैंक के होते थे. जैसे ही लोग एटीएम से पैसे निकालने के बाद गिनने थे, तो आरोपी पीछे से आ जाते थे. इस दौरान स्क्रीन पर यूनो का बटन दिखता था. वो उसे दबा देते थे.
इसके बाद एक नया स्क्रीन पेज आता था और उसमें फोन नंबर मांगा जाता था. आरोपी लोगों से पूरी डिटेल्स भरावाकर उनसे फिर से कार्ड का उपयोग करने बोलते थे. इस दौरान वो लोगों का पीन देख लेते थे. फिर अपने पास रखे हुए कार्ड में से सेम कलर का कार्ड छुपके से बदलकर उन्हें दे देते थे. इसके बाद वो लोगों के कार्ड से पैसे विड्रॉ करके ठगी को अंजाम देते थे.