छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के बगीचा गांव के लोग सरकार के कामकाज से इतने दुखी हैं कि उन्होंने जल सत्याग्रह शुरू कर दिया है. दरअसल आजादी के बाद आज तक इस गांव में न तो सड़के बनी और न ही पुल और पुलिया. बारिश के चार माह बगीचा इलाका टापू में तब्दील हो जाता है.
लोकसभा का चुनाव हो या फिर विधानसभा के, यहां के ग्रमीणों की यही मांग होती है कि गांव की सड़कें बनवा दी जाए और डोड़की नदी का पुल भी बन जाए. नेता उनकी मांगों पर गौर फरमाते हैं, लेकिन चुनाव के बाद नेताजी के दर्शन दुर्लभ हो जाते है. आखिरकार नाराज ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ जल सत्याग्रह का फैसला किया है.
बगीचा गांव सरगुजा डिविजन के जशपुर जिले का प्राकृतिक रूप से समृद्ध इलाका है. डोड़की नदी के आखिरी छोर पर बसे होने के कारण यह गांव विकास से कोसों दूर है. स्कूली बच्चे हों या फिर बड़े, गांव से बाहर कदम रखते ही मुसीबतों का सिलसिला शुरू हो जाता है. इन्हें पैदल ही नदी पार करना होता है. बारिश के मौसम में गांव वाले अपने घरों में कैद होकर रह जाते है. हालांकि, यहां बिजली और पानी ही सुविधा है. बाकी जरूरतों के लिए इन्हें काफी जद्दोजहत करनी पड़ रही है. पांच हजार से ज्यादा आबादी वाले इस गांव में पहुंच मार्ग नहीं होने के चलते न तो अफसर आते हैं, न ही शिक्षक और न ही डॉक्टर.