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रायगढ़ में जंगली हाथियों का आतंक, झुंड बनाकर युवक को उतारा मौत के घाट

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में जंगली हाथियों के आतंक में एक हफ्ते में दो लोगों का मौत हो गई. इस कारण ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. रायगढ़ वन मंडल के अलावा धरमजयगढ़ और सीमा से लगे कोरबा वन मंडल में करीब डेढ सौ से अधिक जंगली हाथी मौजूद है. 

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हाथियों का हमला
हाथियों का हमला

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में एक बार फिर जंगली हाथियों का आतंक शुरू हो गया है. एक सप्ताह में हाथियों ने दो ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया. हाथियों के लगातार हो रहे हमले से ग्रमीणों में दहशत का माहौल है. इस कारण वो ना तो अपने खेतों की तरफ जा रहे हैं और ना ही अपना कोई दूसरे काम कर पा रहे हैं. वहीं, वन विभाग हाथियों के आतंक को रोकने के लिए पुराने उपाय का सहारा ले रहा है.

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जानकारी के मुताबिक, 26 जून को धरमजयगढ़ रेंज के निंगा बहरी गांव में दंपत्ति रोज की तरह खेत में डोरी बिनने गए थे. इस दौरान सुबह करीब नौ बजे जंगली हाथियों के एक दल ने उन पर हमला कर दिया. जंगली हाथियों ने एतवार सिंह बरेठ को घेर कर पटक-पटककर मार डाला. वहीं, उसकी पत्नी किसी तरह जान बचाकर वहां से भाग गई. महिला ने गांव जाकर पूरी घटना ग्रामीणों को बताई. इसके बाद गांववालों ने पूरे मामले की जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को दी. 

अकेले धरमजयगढ़ वन मंडल में 16 जंगली हाथी

वन विभाग ने बताया कि रायगढ़ वन मंडल के अलावा धरमजयगढ़ और सीमा से लगे कोरबा वन मंडल में करीब डेढ सौ से अधिक जंगली हाथी मौजूद हैं. ये सभी हाथी अपने बच्चों के साथ अलग-अलग झुंड बनाकर जंगलों में घूम रहे हैं. इस दौरान खाने की तलाश में वह गांव की तरफ आ जाते हैं. अकेले धरमजयगढ़ वन मंडल के छाल इलाके में 16 जंगली हाथियों का झुंड कई दिनों से घूम रहा है. 

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वहीं, हाथियों को रोकने में वन विभाग की टीम भी लाचार नजर आ रही है. वन विभाग की टीम बार-बार गांव वालों से जंगल की तरफ नहीं जाने की अपील करती रहती है. हालांकि उनकी तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है.

खाना खाने को लेकर परेशान ग्रामीण

रायगढ़ और धरमजयगढ़ वन मंडल में अक्सर वही ग्रामीण जंगली हाथियों के शिकार हो रहे हैं जिनकी आजीविका का साधन जंगल है. दरअसल, जंगल में लकड़ी के अलावा वनस्पिति, औषधी, महुआ, डोरी, चार, तेंदू सहित कई वन संपदा मिलती है. इनको इकट्ठा करके ग्रामीण बाजार में बेचकर अपना घर चलाते हैं. मगर, हाथियों के डर से वह जंगल में जाने से बच रहे हैं और इस कारण उनके सामने खाने का संकट पैदा हो गया है. 

करंट लगने से 36 हाथियों की मौत

बता दें, पिछले काफी समय से ग्रामीण हाथियों के आतंक का शिकार हो रहे हैं. कई बार जंगली हाथियों की भी कंरट लगने से मौत की खबर सामने आती है. गांव के किसान अपने खेतों को बचाने के लिए उसके आस-पास बिजली की तार लगा देते हैं जिसमें करंट होता है. इस कारण कई हाथी उसकी चपेट में आ जाते है.

बीते दिनों अकेले धरमजयगढ़ वन मंडल में करीब 36 से भी अधिक हाथियों के मौत के मामले सामने आए है. अवैध शिकार के मामले में पुलिस ने करीब एक दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया था. वहीं, वन विभाग के अनुसार, जंगली हाथियों के झुंड से किसानों को लगातार नुकसान हो रहा है. इस वजह से कई बार ग्रमीण अपना गांव छोड़कर चले जाते हैं.

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