छत्तीसगढ़ के बस्तर में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों पर लगे सामूहिक बलत्कार के आरोपों की जांच अबतक पूरी नहीं हो पाई है, जबकि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की जांच में इस बात की पुष्टि हुई थी कि 16 महिलाओं से रेप और मारपीट की घटना हुई थी. ये सभी घटनाएं वर्ष 2015-16 के शुरुआती दौर की हैं. NHRC ने छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देशित किया था की इस मामले की जांच एक माह के भीतर पूरी कर उसे अवगत कराए. अब यह मियाद ख़त्म होने में हफ्ते भर का समय बाकी है लेकिन मामले की चल रही CID जांच में पीड़ित महिलाओं के बयान अब तक दर्ज नहीं हो पाए हैं. लिहाजा अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि नियत समय के भीतर यह जांच पूरी हो पाएगी या नहीं.
छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय पर बीजापुर और सुकमा में आदिवासी महिलाओं के यौन शोषण के मामले की जांच को लेकर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा हैं. इस मामले की CID जांच चल रही हैं. घटना वर्ष 2015-16 की है, जब कुल 34 आदिवासी महिलाओं ने पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल पर उनके साथ बदसूलकी और सामूहिक बलात्कार करने का आरोप लगाया था. ये वही महिलाएं हैं जिन्होंने पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों पर बलात्कार का आरोप लगाया था और इस घटना की शिकायत पीड़ित महिलाओं ने पुलिस में भी दर्ज कराई थी. ये महिलाएं आज भी अपने आरोपों पर कायम है. हालांकि अभी CID ने इनके बयान दर्ज नहीं किये हैं. ये महिलाएं बता रही हैं कि आखिर सुरक्षा बलों के जवान उन पर किस तरह से जुल्म ढाते हैं.
पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों पर लगे आरोपों की शुरुआती जांच में 18 महिलाओं ने अपने आरोप वापस ले लिए. हालांकि 16 महिलाएं अपने साथ हुए बलात्कार के आरोपों पर डटी रहीं. इसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यायलय ने मामले की CID जांच के निर्देश दिए. डेढ़ साल बाद भी CID की जांच रिपोर्ट का इंतजार हैं. इस बीच पीड़ित महिलाओं ने NHRC में अपनी गुहार लगाई. सीआईडी की जांच तो लंबित रही लेकिन NHRC ने पीड़ित महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाया. एनएचआरसी ने इन महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार की पुष्टि की है साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार को बाकायदा नोटिस जारी कर निर्देशित किया कि माह भर के भीतर CID जांच पूरी करे. आयोग ने राज्य सरकार से यह भी पूछा की क्यों ना वो पीड़ितों को मुआवजा भी दे. पीड़ित महिलाएं अपने लिए न्याय की मांग कर रही है. इलाके की सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी इन महिलाओ के समर्थन में जुटी हैं.
CID रिपोर्ट का इंतजार
महिलाओं के साथ ज्यादती और बलत्कार की पहली घटना अक्टूबर 2015 में बासागुड़ा थाना के पेद्दागुलूर और चिंद्रागुलुर की है. दूसरी घटना जनवरी 2014 में सुकमा के कुदपि गांव की, जबकि तीसरी घटना जनवरी 2014 में बीजापुर के लेंड्रा गांव में हुई थी. तीनों ही घटनाओं में पीड़ित महिलाओं ने पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया और मारपीट भी की. तीनों ही घटनाओं में कुल 34 महिलाओं ने यौन हिंसा की शिकायत स्थानीय थानों में दर्ज कराई थी लेकिन इनमें से सिर्फ 16 महिलाओं की मेडिकल जांच और बयान दर्ज किये गए थे. उधर पुलिस इस मामले में रटा-रटाया जवाब दे रही है. उसके मुताबिक मामले की अभी जांच चल रही है. पुलिस अधिकारी इस मामले में कैमरे पर कोई भी बयान नहीं दे रहे है. हालांकि इस मामले को लेकर मानव अधिकारवादी कार्यकर्ता, पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों को आड़े हाथों ले रहे है, उनकी निगाहें CID रिपोर्ट पर लगी हुई हैं. यह देखना लाजमी है कि पुलिस समय-सीमा के भीतर NHRC को अपनी रिपोर्ट भेज पाती है या नहीं.