छत्तीसगढ़ में रेप जैसी घिनौनी हरकत का शिकार हुई लड़कियों और महिलाओं के दिलों में आत्मरक्षा का जज्बा पैदा करने के लिए उन्हें रिवॉल्वर का लाइसेंस दिया जाएगा. रेप पीड़ित महिलाओं को आमतौर पर उन लोगों से ज्यादा खतरा होता है, जिन्हें वो हवालात की सैर करवा चुकी होती हैं.
कई बार इस तरह के मामलों में आरोपी बनाए गए शख्स से लेकर दोषी पाए गए मुजरिम और उनके परिजन भी बदला लेने के लिए पीड़ित महिलाओं के प्रति हमलावर रुख अपना लेते हैं. इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखकर राज्य के महिला और बाल विकास विभाग ने तय किया है कि बलात्कार पीड़ित ऐसी जरूरतमंद महिलाएं जिन्हें हथियार की चाहत हो उन्हें विधिवत रूप से गन लाइसेंस जारी किया जाएगा. विभाग ने इसका मौसादा तैयार कर राज्य सरकार को नीतिगत फैसला लेने के लिए भेज दिया है.
महिला लेखिका शिल्पा शर्मा ने इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया रचनात्मक कदम बताया है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि दुष्कर्म पीड़ितों को रियायती दरों पर हथियार मुहैया कराने की जिम्मेदारी भी राज्य सरकार को उठानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसी महिलाओं को सरकार चौबीस घंटे सुरक्षा नहीं दे सकती. जबकि मामले वापसी के लिए दबाव बनाने की कोशिश आरोपी पक्ष किसी भी वक्त करता है.
राज्य में तेजी से बढ़े रेप और गैंगरेप के मामले
छत्तीसगढ़ में हाल के ही वर्षों में रेप और गैंगरेप दोनों ही मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. बीते वर्ष 2017 में राज्य में बलात्कार के 1716 मामले दर्ज हुए जबकि गैंगरेप के 60 मामले दर्ज हुए. बीते तीन वर्षों में गैंगरेप के 257 मामले दर्ज किए गए हैं. 2016 में बलात्कार के 1700 मामले दर्ज हुए. 2015 में 1629 और 2014 में 1502 मामले दर्ज हुए थे. विधानसभा के शीतकालीन सत्र में राज्य के गृह विभाग ने यह आकड़े पेश किए थे. जाहिर है कि दुष्कर्म की शिकायतें लगातार तेजी से दर्ज हो रही हैं.
कई बार तो अदालत परिसर में ही आरोपियों ने पीड़ित महिलाओं पर हमले की कोशिश की थी. इसे गंभीरता से लेते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग ने यह माना है कि अदालत के अंदर और बाहर पीड़ित महिलाओं की जान पर खतरा हमेशा बना रहता है. राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री रमशिला साहू के मुताबिक दुष्कर्म पीड़ितों को हथियार का लाइसेंस देने से उनका आत्म विश्वास बढ़ेगा. ऐसी लड़कियां हथियारों की बदौलत आत्मरक्षा के लिए सक्षम बनेंगी.