दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के लिए मुख्य छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने डीयू चुनावों के लिए जारी अपने घोषणा पत्र में लोकलुभावन बातें कही हैं. सभी प्रमुख छात्र संगठन एनएसयूआई, एबीवीपी, आईसा (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) और एसएफआई (स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) समेत सभी छात्र संगठनों ने छात्रों के बीच अपनी बातें रखीं.
इस साल भी छात्र संगठनों के ज्यादातर वादे हर साल की तरह ही रहे. ज्यादातर छात्र संगठनों का जोर मुख्य रूप से दिल्ली विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए छात्रावास की समस्या का समाधान, कॉलेजों में पानी की समस्या, लाइब्रेरी में किताबों की समस्या, दिल्ली से बाहर के छात्रों के विश्वविद्यालय में नामांकन की समस्या, डीटीसी बसों के अलावा अन्य बसों और मेट्रो में छात्रों को किराए में छूट की समस्या आदि रहीं.
छात्र संगठन एनएसयूआई के घोषणा पत्र में छात्रों को बेहतरीन शिक्षा माहौल एवं विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध करवाने, स्टूडेंट चार्टर में पुनर्मूल्यांकन, परीक्षा कॉपियों की पुन: जांच जैसी मांगों के साथ छात्रावास की संख्या, नए खेल परिसर में उपलब्ध सुविधाओं को पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के साथ साथ अंडर ग्रेजुएट छात्रों को भी उपलब्ध करवाए जाने की मांग की गई है.
एनएसयूआई के घोषणा पत्र में एनसीसी कैडेट के सभी छात्रों को उपस्थिति में छूट के साथ अतिरिक्त अंकों की सुविधा, विश्वविद्यालय में खाली पड़े 5,000 नॉन टीचिंग पदों तथा शिक्षकों के चार हजार पदों को भरे जाने के साथ एससी एसटी छात्रों के लिए विकेंद्रीकृत प्रवेश प्रक्रिया एवं ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन द्वारा प्रवेश उनकी प्रमुख मांगें रहीं. साथ ही उन्होंने मांग की कि छात्रसंघ पदाधिकारियों को सभी कॉलेजों में गठित कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हरास्मेंट का सदस्य मनोनित किया जाना चाहिए. घोषणा पत्र जारी करने के समय एनएसयूआई के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार अरुण हुड्डा, उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार वरुण खरे, सचिव प्रत्याशी वरुण चौधरी और संयुक्त सचिव पद की प्रत्याशी रवीना चौधरी के अलावा एनएसयूआई के अन्य कार्यकर्ता भी उपस्थित थे.
छात्र संगठन एबीवीपी ने अपने घोषणा पत्र में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए नए कॉलेज खोलने, सुरक्षित एवं निर्भीक परिसर, पढ़ाई और परीक्षा में सुधार, छात्रावास की सुविधा, डीटीसी बसों के अलावा मेट्रो में छात्रों को स्टूडेंट पास, हिंदी की किताबें और अन्य पाठ्य सामग्री में सुधार, निजी छात्रावासों, मकान मालिकों और छात्र छात्राओं के बीच समन्वय के लिए एक समन्वय समिति बनाने की मांग के साथ ‘रेंट कंट्रोल एक्ट’ को सख्ती से लागू करने की मांग की है. उसने गरीब, मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति बढ़ाने की मांग के साथ पूर्वी एवं पश्चिमी परिसर की भी मांग की है. पूर्वोत्तर राज्य के छात्रों के साथ भेदभाव की स्थिति से निपटने के लिए ‘‘शिकायत निवारण केंद्र’’ बनाए जाने की भी मांग घोषणा पत्र में की गई है.
घोषणा पत्र जारी करते समय एबीवीपी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार अंकित चौधरी, सचिव प्रत्याशी ऋतु राणा और संयुक्त सचिव पद के प्रत्याशी विसु वसोया के साथ संगठन के अन्य सदस्य उपस्थित थे. छह सितंबर को छात्र संगठन आईसा ने भी अपना घोषणा पत्र जारी किया था जिसमें भी लगभग इन्हीं मांगों को दुहराते हुए कहा गया था कि एनएसयूआई और एबीवीपी पिछली बार भी विजयी रहे लेकिन इन दोनों ने कोई भी वादे पूरे नहीं किए. लड़कियों के लिए विश्वविद्यालय सुरक्षित विश्वविद्यालय परिसर जैसी मांग के साथ भ्रष्टाचार का भी मुद्दा उठाया गया था.
वहीं छात्र संगठन एसएफआई ने भी इन्हीं मांगो दोहराते हुए सेमेस्टर सिस्टम, ओबीसी रिजर्वेशन और बाहर से आने वाले छात्रों के लिए सुविधाएं बढाने की मांग की. फी स्ट्रक्चर में सुधार करने की भी मांग की.
छात्र संगठन चुनावों में हमेशा से एबीवीपी और एनएसयूआई का ही वर्चस्व रहा है. मौजूदा छात्रसंघ चुनाव में कौन विजयी रहेगा इसकी घोषणा 14 सितंबर को चुनाव के बाद ही होगी.