scorecardresearch
 

ऐसे दिल्ली का बिजली संकट दूर कर सकते हैं केजरीवाल

बिजली में वो ताकत है जो सिर्फ आप का घर ही रोशन नहीं करती बल्कि चुनावों में सरकारें भी बदल देती है. हालिया दिल्ली चुनाव इसका बड़ा उदाहरण हैं. अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सस्ती बिजली का वायदा कर सत्ता में तो पहुंचे हैं लेकिन सवाल ये है कि बिजली आएगी कहां से.

Advertisement
X

बिजली में वो ताकत है जो सिर्फ आप का घर ही रोशन नहीं करती बल्कि चुनावों में सरकारें भी बदल देती है. हालिया दिल्ली चुनाव इसका बड़ा उदाहरण हैं. अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सस्ती बिजली का वायदा कर सत्ता में तो पहुंचे हैं लेकिन सवाल ये है कि बिजली आएगी कहां से.

Advertisement

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अरविंद केजरीवाल पर हमले चुनाव बाद भी नहीं थमे और देश की पहली अक्षय ऊर्जा कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने हमला बोलते हुए फिर कहा कि जिनके पास बिजली नहीं है वो सस्ती बिजली देने का दावा करते हैं. अब केजरीवाल ने चुनाव के दौरान बड़े- बड़े वादे तो कर दिए लेकिन सच्चाई तो यही है कि दिल्ली के पास अपनी बिजली नहीं है. आखिर कहां से आएगी बिजली? इस सवाल का जवाब उसी गर्मी में छुपा है जिसकी बदौलत दिल्ली पर बिजली संकट गहराता है. कम से कम एक्सपर्ट तो यही मानते हैं. दिल्ली में होने वाली सूरज की तेज धूप को अगर सौर ऊर्जा में तब्दील किया जाए तो दिल्ली को बिजली संकट से बचाया जा सकता है.

आमतौर पर सोलर के खिलाफ पहला तर्क ये दिया जाता है कि दिल्ली में इसके प्लांट लगाने लायक जमीन ही उपलब्ध नहीं. लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि केजरीवाल सरकार चाहे तो जमीन की उपलब्धता का संकट सामने आएगा ही नहीं. दिल्ली के पास बड़ी संख्या में ऐसी इमारतें हैं जहां बड़े प्लांट लगाए जा सकते हैं. दिल्ली में ही सोलर बिजली उत्पादन होगा तो ट्रांसमिशन घाटे का भी सवाल नहीं पैदा होगा. 'वेलस्पन सोलर' के एमडी विनीत मित्तल कहते हैं, 'हम दिल्ली को अभी विंड प्रोजेक्ट राजस्थान से बिजली देने की बात कर रहे हैं लेकिन दिल्ली में बिजली पैदा होगी तो ट्रांसमिशन लॉस भी नहीं होगा. इतना बड़ा प्रगति मैदान है जहां सोलर प्लांट लगाए जा सकते हैं, स्कूल और सरकारी दफ्तर हैं.'

Advertisement

सोलर के बारे में एक ऐसी बात है, जो शायद आप जानते भी नहीं. सोलर पावर से चलने वाले नए उपकरण आपकी बिजली पर खर्च एक-तिहाई तक घटा सकते हैं. जहां बिजली से चलने वाला पंखा 75 वाट तक बिजली लेता है वहीं सोलर फैन महज 25 वॉट में ही आपको हवा देता है. यही नहीं, डीईआरसी नेट मीटरिंग योजना पर काम कर चुकी है. यानी अब अगर सरकार आपके घर सोलर पैनल लगाती है तो खपत से ज्यादा बिजली पैदा होने पर वो बिजली वापस ग्रिड में चली जाएगी और उसका पैसा भी आपके बिल में माइनस हो जाएगा. यानी आम के आम, और गुठलियों के दाम'.

सोलर पावर को रणनीतिक रूप से दिल्ली में लागू करने में सबसे बड़ा चैलेंज इसका मंहगा होना है. जाहिर है, सब्सिडी इस पहल में बड़ी जरूरत है और सब्सिडी, बिजली और पानी के बाद फिलहाल केजरीवाल सरकार का सबसे बड़ा सिरदर्द है.

Advertisement
Advertisement