दिल्ली मेट्रो के लिए साल 2017 की शुरुआत अच्छी नहीं रही है. जनवरी के महीने में ही मेट्रो चार बार तकनीकी खराबियों से रूबरू हो चुकी है. दिल्ली की शान कही जाने वाली इस शानदार सवारी के लिए ये अच्छा संकेत नहीं. मेट्रो के लिए ये खराबियां कितनी गंभीर और फिक्रमंद करने वाली हैं, उसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि डीएमआरसी को मुसाफिरों से माफी भी मांगनी पड़ी है.
लेकिन आखिर दिल्ली मेट्रो में ये खराबी आ क्यों रही है? क्यों दिल्ली मेट्रो में बार-बार टेक्नीकल फॉल्ट आ रहे हैं? इन सारे सवालों का जवाब तलाशने के दौरान दस बड़ी वजहें सामने आईं. ये वो वजह हैं, जो मेट्रो के लिए चुनौती भी हैं और मेट्रो की कमजोरी भी बनती जा रही हैं...
1. मेट्रो मुसाफिरों की संख्या का रिकॉर्ड बन चुका है. एक दिन में 32 लाख लोग सफर कर चुके हैं. ऐसे में मेट्रो सिस्टम के लिए ज़रूरत से ज्यादा मुसाफिर समस्या बन रहे हैं, क्योंकि भीड़ की वजह से छोटी सी तकनीकी खराबी भी पूरे मेट्रो सिस्टम को ठप कर देती है. क्योंकि तकनीकी खराबी को ठीक करने में जो वक्त लगता है, उतनी देर मे मेट्रो स्टेशनों पर भीड़ की वजह से दूसरी तमाम समस्याएं शुरू हो जाती हैं.
2. मेट्रो ने पिछले महीने दिसंबर में ही अपने ऑपरेशन के 14 साल पूरे किए हैं और इन 14 सालों में मेट्रो का ट्रैक सिस्टम पुराना हो चुका है, जिसे लगातार मेंटेनेंस की ज़रूरत होती है. लेकिन सुबह पांच बजे से रात एक बजे तक ट्रैक पर मेट्रो ऑपरेशन में रहती है, ऐसे में सुधार के काम के लिए वक्त बहुत कम मिलता है और अगर दिन में कोई खराबी आती है, तो मेट्रो की सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो जाती हैं.
3. मेट्रो की ओएचई यानी ओवरहेड इलेक्ट्रिसिटी लाइन में ट्रिपिंग भी दिल्ली मेट्रो के लिए परेशानी की एक बड़ी वजह है. खासतौर पर ब्लू लाइन और येलो लाइन पर ओएचई में फॉल्ट की वजह से कई बार मेट्रो की रफ्तार पर ब्रेक लग चुका है.
4. मेट्रो ट्रैन का पेंटोग्राफ भी तकनीकी खराबियों की एक बड़ी वजह है. पेंट्रोग्राफ में स्पार्किंग की वजह से कई बार मेट्रो में आग भी लग चुकी है और धुआं निकलने के मामले सामने आए हैं, जिसके बाद मेट्रो को खाली कराकर ट्रेन को सर्विस से हटाना पड़ा है.
5. मेट्रो का रोलिंग स्टाक यानी मेट्रो ट्रेन के डब्बे, व्हील की उम्र भी काफी हो चुकी है. जो ट्रेन मेट्रो के शुरुआती दिनों में लाई गई थी, अब उनमें खराबी आने लगी है.
6. मेट्रो में पावर फेल्यर भी एक आम समस्या हो चली है. बिजली गुल होने की वजह से मेट्रो की सेवाएं रुक जाती हैं. हालांकि मेट्रो के पास ऐसी सुविधा है, जिससे बिजली गुल होने की स्थिति में मेट्रो ट्रेन को सुरंगों से निकालकर प्लेटफार्म या स्टेशनों तक लाया जा सके, लेकिन ऐसा करने के दौरान मेट्रो की सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो जाती हैं.
7. मेट्रो का पूरा सिस्टम ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेशन पर चलता है. ऐसे में सॉफ्टवेयर में अगर चंद मिनिट के लिए भी कोई परेशानी आती है, तो पूरे सिस्टम में अफरातफरी मच जाती है.
8. मेट्रो में सिग्नलिंग सिस्टम भी मेट्रो की खराबी की एक प्रमुख वजह है, जहां खराबी की वजह से कई बार मैन्युअल ऑपरेशन करना पड़ता है. इससे मेट्रो की रफ्तार कम करनी होती है.
9. मेट्रो स्टेशनों पर प्लेटफार्म खुले हुए हैं. ऐसे में भीड़ की वजह से कई बार मुसाफिर ट्रेक पर गिर जाते हैं या फिर सुसाइड के मामले भी मेट्रो के लिए परेशानी बन रहे हैं.
10. एक समस्या मुसाफिरों की गलतियों या नियम तोड़ने की वजह से भी आती है. कई बार मुसाफिर बिना वजह इमरजेंसी बटन दबाते हैं या फिर कई बार बंद हो रहे दरवाजों को बंद होने से रोक देते हैं, डोर ओब्सट्रेक्शन की वजह से भी मेट्रो की सेवा प्रभावित होती है.