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दिल्ली: पीटीएम में मां ने लगाई डांट, छठी क्लास की छात्रा ने की खुदकुशी

स्कूल में पैरेंट्स टीचर मीटिंग के बाद छात्रा की मां ने उसे डांटा था, जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली. इस घटना के बाद परिजन कुछ भी नहीं कह रहे हैं.

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छात्रा ने मां के डांटने पर दी जान
छात्रा ने मां के डांटने पर दी जान

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दिल्ली सरकार के स्कूलों में पहली ही पेरेंट्स-टीचर मीटिंग के बाद एक बच्ची की आत्महत्या का सनसनीखेज मामला सामने आया है. घटना सुबह करीब 11.30 बजे की है. ख्याला में रहने वाली 12 साल की बच्ची स्थानीय सरकारी स्कूल में छठवीं कक्षा की छात्रा थी. फिलहाल मिली जानकारी के मुताबिक बच्ची ने पेरेंट्स टीचर मीटिंग के बाद रिपोर्ट के दबाव में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.

दिल्ली सरकार की योजना पर सवाल
चाहे टीवी हो, अखबार हो, रेडियो या फिर इंटरनेट तकरीबन हर संभव प्रचार माध्यम से दिल्ली सरकार ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में हो रही पहली पीटीएम यानी पेरेंट्स टीचर मीटिंग का जमकर प्रचार किया. सरकार का मकसद था कि पीटीएम के जरिए जो बदलाव वो स्कूलों की कार्यप्रणाली में लाना चाहती है उसका पूरा माइलेज लिया जा सके. लेकिन पहली ही पीटीएम के बाद हुई इस सुसाइड ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं, जिनमें से पहला तो यही है कि क्या दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को पहले इस बात की ट्रेनिंग देने की जरूरत है कि बच्चों को उनकी कमियों के बारे में कैसे बताएं.

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रिपोर्ट अच्छी ना आने पर दबाव में आ गई बच्ची
बहरहाल, बच्ची के घरवालों से मिली जानकारी के मुताबिक पीटीएम में बच्ची की मां और उसकी बहन गई थी. पीटीएम से वापस आने के बाद शिक्षक ने मां को जो कुछ भी बताया था, उसी आधार पर बच्ची की बहन ने उसे बताया कि स्कूल में रिपोर्ट अच्छी नहीं है. इस बात से ही बच्ची इतने दबाव में आ गई कि उसने आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा लिया.

आत्महत्या के बाद शुरू हुई राजनीति
घटना के तुरंत बाद पहली पीटीएम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली बीजेपी के मीडिया प्रभारी प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि 'दिल्ली सरकार पीटीएम जैसी सामान्य काउंसलिंग को मेगा इवेंट बनाने की कोशिश कर रही है. सरकार और उसमें शिक्षकों ने पेरेंट्स के सामने सिर्फ शिकायतें ही रखीं ऐसा ही कुछ बच्ची के साथ हुआ और लगता है उसने दबाव में ये कदम उठा लिया.' दिल्ली सरकार दबाव में है. उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि 'सरकार घटना के तथ्य जानने की कोशिश कर रही है. ये जानना जरूरी है कि क्या बच्ची पीटीएम में गई थी या फिर नहीं.'

फांसी के फंदे पर झूलते कई सवाल
जैसा कि दिल्ली में हर घटना के साथ होता है, पीटीएम के बाद हुई इस आत्महत्या पर राजनीति भी होने लगी है, लेकिन इस राजनीति से ज्यादा अहम वो सवाल हैं, जो बच्ची फांसी के फंदे पर झूलता छोड़ गई है. तमाम सवालों में सबसे बड़ा ये कि क्या सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को पहले ये नहीं समझाया जाना चाहिए कि पीटीएम का सबसे बड़ा मकसद है कि पेरेंट्स को बच्चों की ताकत के बारे में बताएं और उसके बाद ये समझाएं कि जो कमियां हैं, उन्हें दूर कैसे किया जाए.

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