हमारी शिक्षित, आधुनिक और प्रोगेसिव राजधानी दिल्ली में करीब एक चौथाई महिलाएं नहीं चाहतीं कि उनकी कोख से लड़की पैदा हो. सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) के एक सर्वे में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है.
सर्वे के मुताबिक राजधानी में 22 फीसदी महिलाएं इसलिए गर्भपात करवा रही हैं क्योंकि उनके कोख में कन्या का भ्रूण है.
यह आंकड़ा इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि 57 फीसदी महिलाएं अब भी गर्भपात को गैरकानूनी समझती हैं. जबकि 42 साल पहले 'मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट' के बाद कुछ शर्तों के साथ गर्भपात कानूनी हो गया है.
इस कानून के तहत महिलाएं अपनी मर्जी से गर्भपात करवा सकती हैं. पर इसकी कुछ शर्तें हैं. जैसे यह काम किसी प्रशिक्षित डॉक्टर से ही कराया जाए, यह भ्रूण के लिंग की वजह से न हो और गर्भ 20 हफ्तों से ज्यादा का न हो.
देश में गर्भ में लिंग की जांच करवाना अपराध है, इसके बावजूद दिल्ली में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं. हालांकि प्रेग्नेंसी में कोई दिक्कत है या किसी जेनेटिक बीमारी का असर बच्चे पर होने का खतरा है तो डॉक्टर अपने स्तर से लिंग की जांच कर सकते हैं, लेकिन किसी भी हालत में परिवार को इस बारे में बताने की इजाजत नहीं है. इस आधार पर गर्भपात करवाना भी अपराध है.