scorecardresearch
 

GST में सिर्फ 12 फीसदी का एक स्लैब होना चाहिए: केजरीवाल

केजरीवाल ने जीएसटी में अलग-अलग स्लैब सिस्टम पर कहा कि 28 फीसदी का स्लैब होना ही नहीं चाहिए.

Advertisement
X
जीएसटी मार्केट सपोर्ट कमिटी में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसेदिया
जीएसटी मार्केट सपोर्ट कमिटी में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसेदिया

Advertisement

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) को लेकर फिर से केंद्र सरकार पर निशाना साधा है, साथ ही सुझाव दिया है कि GST में सिर्फ 12 फीसदी का एक स्लैब होना चाहिए.

केजरीवाल ने मंगलवार को जीएसटी पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ये बातें कहीं. इस कार्यकर्म में करीब 300 व्यापारियों ने हिस्सा लिया.

केजरीवाल ने कहा, "नौकरियों का अकाल पड़ रहा है. अर्थव्यवस्था सदमे में है और मंदी हो रही है. नोटबन्दी और जीएसटी इसके बड़े कारण हैं. स्टेडियम में 74 कंपनी आई हैं और नौकरी के लिए हजारों युवा लाइन में लगे हैं."

'सभी को नौकरियां देना सरकार के हाथ में नहीं'

केजरीवाल ने कार्यक्रम में लगभग स्वीकार करते हुए कहा कि सरकार सभी को नौकरी नही दे सकती.

उन्होंने कहा, "दिल्ली सरकार 36 हजार से ज्यादा नौकरी नहीं दे सकती. व्यापार या उद्योग बढ़ेगा तो नौकरी बढ़ेगी. युवा और व्यापारी वेंटिलेटर पर हैं. जब तक हमारी चली हमने टैक्स रेट 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया था."

Advertisement

'नहीं होना चाहिए 28 फीसदी का स्लैब'

केजरीवाल ने जीएसटी में अलग-अलग स्लैब सिस्टम पर कहा कि 28 फीसदी का स्लैब होना ही नहीं चाहिए.

उन्होंने कहा, "पूरे देश में टैक्स को 12 फीसदी कर दो. 6 फीसदी केंद्र रखे और 6 फीसदी राज्य रखे. देश अच्छे से चल जाएगा, अगर भ्रष्टाचार न हो."

दिल्ली की AAP सरकार ने मंगलवार को जीएसटी मार्केट सपोर्ट कमिटी कार्यक्रम का आयोजन किया था. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री केजरीवाल के साथ उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया भी उपस्थित थे.

केजरीवाल ने कहा, "इस कमिटी के जरिए व्यापारियों की बात जीएसटी काउंसिल तक जाएगी. सभी व्यापारी बाजार में व्हाट्सएप ग्रुप बना लें. बाजार में व्हाट्सएप से आए सुझावों को इकट्ठा करें और मनीष को भी व्हाट्सएप पर जोड़कर बता दें. इस काउंसिल में सभी वित्त मंत्री हैं. जीएसटी काउंसिल में ज्यादातर बीजेपी के मंत्री आते हैं तो उनकी हिम्मत नहीं होती है, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के सामने बोलने की. इसलिए मनीष ही मुद्दे उठाता है."

कार्यक्रम के दौरान मनीष सिसौदिया ने वित्त मामलों में फैसला लेने का सबसे अचूक फॉर्मूले के रूप में व्यापारियों से लगातार बात करने को बताया.

उन्होंने कहा, "मैं कोई अर्थशास्त्री नहीं हूं. समझ नहीं आता था कि वित्त मंत्री बनकर कैसे काम करूंगां. लेकिन लोगों से बात करके सब काम हो गए. लोगों से बात करने का फॉर्मूला सबसे अच्छा है. जबसे जीएसटी लागू हुआ तब से ही व्यापारियों से मीटिंग हो रही है."

Advertisement

उन्होंने कहा, "जीएसटी के 4 महीने बाद सबसे बड़ी परेशानी रिटर्न फाइल करने में आ रही है. रिटर्न फाइल करने का सिरदर्द कम होता तो लगता कि व्यापारी की जिंदगी आसान हुई है. जीएसटी में सभी उलझे हुए हैं. देश की अर्थव्यवस्था की नरकीय स्थिति आ सकती है.

1.5 करोड़ लिमिट हटाने की जरूरत

सिसौदिया ने कहा, "GST में 1.5 करोड़ वाला लिमिट हटाने की जरूरत है. हमारे रिकॉर्ड कहते हैं 80 फीसदी कारोबारी इस सीमा से नीचे खड़े हैं. डुप्लीकेट अकाउंट की वजह से पैसा फंसा हुआ है."

Advertisement
Advertisement