दिल्ली की निचली अदालतों के 300 जज कंप्यूटर और लैपटॉप खरीद में बरती गई अनियमितताओं के मामले में जांच के घेरे में हैं. 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 में दिल्ली सरकार और दिल्ली हाई कोर्ट ने कंप्यूटर व लैपटॉप खरीदने के लिए फंड जारी किया था. इसके तहत प्रत्येक जज को 1 लाख 10 हजार रुपये जारी किए गए थे, मगर बाद में खुलासा हुआ कि बहुत से जजों ने कंप्यूटर और लैपटॉप खरीदने की जगह टीवी और होम थिएटर खरीद लिए. दिल्ली हाईकोर्ट में वैकेंसी
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जी. रोहिणी ने इस मामले की जांच के लिए तीन जजों का पैनल बनाया है. जांच कर रहे पैनल ने न्यायिक अधिकारियों को मेमो जारी कर पूछा है कि उन्हें दिल्ली सरकार और दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से जो बजट दिया गया था, उसे उन्होंने किस तरह खर्च किया.
सूत्रों का कहना है कि जिस वक्त यह मामला सामने आया था, तब सभी जज जांच की जद में थे। लेकिन अब 300 जज शक के दायरे में हैं. गौरतलब है कि इस पूरे मामले का खुलासा विजिलेंस जांच से हुआ था. इसके बाद कई वरिष्ठ जजों ने यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने उठाया था, जिसके बाद उन्होंने पैनल को गठन कर दिया गया.