दिल्ली की मुख्यमंत्री रहते हुए शीला दीक्षित ने कई मौकों पर आम जनता को बिजली पानी जैसी मूलभूत जरुरत की चीजों को अनुशासित ढंग से इस्तेमाल करने की नसीहत दी. लेकिन उन्होंने खुद सरकारी निवास पर कैसी सादगी दिखाई उसका खुलासा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत हुआ है.
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग की ओर से मुहैया कराई गई सूचना के मुतिबक, लुटियन जोन के 3 मोतीलाल नेहरू मार्ग स्थित जिस बंगले को उन्होंने सरकारी निवास के तौर पर आवंटित कराया था उसमें 31 एयर कंडीशनर, 15 डेजर्ट कूलर और 25 हीटर लगाए गए थे. इसके अलावा उनके बंगले में 12 गीजर भी लगे थे. इनमें से 5 गीजर 50 लीटर कैपिसिटी के थे, जबकि 7 गीजर 25 लीटर कैपिसिटी के.
आम आदमी प्रचंड गर्मी के इस मौसम में भी एक एसी चलाने में हिचकता है क्योंकि बिजली का बिल चुकाना कठिन हो जाता है. लेकिन मुख्यमंत्री रहते हुए शीला दीक्षित जितने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल कर रही थीं उस पर बिजली का कितना बिल आता है, उसका अंदाजा सहजता से लगाया जा सकता है.
शीला के बंगले पर इतना खर्च तब हुआ जब आर्थिक मंदी के दौर में केंद्र सरकार ने सादगी का अभियान छेड़ रखा था. लेकिन राजनेता जनता के टैक्स के पैसे का इस्तेमाल किस तरह अपनी शाही जिंदगी के लिए करते हैं, इसकी मिसाल दिल्ली की तीन टर्म की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के रूप में दी सकती है.
शीला ने अपने सरकारी बंगले पर रेनोवेशन के लिए तय राशि से ज्यादा खर्च किया. सूचना के अधिकार के तहत इसका खुलासा करने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट सुभाष अग्रवाल कहते हैं कि इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच कर जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने तय सीमा से अधिक राशि खर्च करने की अनुमति दी. उनके मुताबिक उसी बंगले में अब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शिफ्ट हुए हैं लेकिन उन्होंने इस बात का खास ख्याल रखा कि रेनोवेशन पर तय सीमा से अधिक राशि खर्च नहीं हो. जब मनमोहन सिंह इस आवास में रहने गए तो दर्जन भर से ज्यादा एसी यहां से हटा दिए गए.