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बुराड़ी कांड के 5 साल... 11 लोगों के सुसाइड वाला घर, अब कैसा है वहां का माहौल

दिल्ली के बुराड़ी (Burari) का वो मास सुसाइड केस (Mass Suicide Case) जिसने पूरे देश को झकझोर कर रखा दिया था. आज यानि 1 जुलाई को इस कांड को पूरे पांच साल बीत चुके हैं. बता दें, 30 जून 2018 की देर रात 12 बजे से एक बजे के करीब भाटिया परिवार के 11 लोगों ने आत्महत्या (Suicide) कर ली थी. अगले दिन उनके शव घर से बरामद किए गए थे. चलिए जानते हैं उस रात की पूरी कहानी विस्तार से...

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भाटिया परिवार के 11 लोगों ने की थी खुदकुशी.
भाटिया परिवार के 11 लोगों ने की थी खुदकुशी.

तारीख 1 जुलाई 2018... जगह दिल्ली का बुराड़ी (Burari) इलाका. यहां संत नगर की गली नंबर-4 के मकान नंबर-530 में चुंडावत परिवार रहता था. वैसे तो मूल रूप से यह परिवार राजस्थान (Rajasthan) के चित्तौड़गढ़ का रहने वाला था. लेकिन 20 साल पहले यह परिवार दिल्ली (Delhi) आकर बस गया. इस परिवार को भाटिया परिवार (Bhatia Family) के नाम से भी जाना जाता था.

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इस परिवार की सबसे बड़ी सदस्य नारायणी देवी थीं, जिनकी उम्र 77 साल थी. उनके तीन बेटे थे. जिनमें से एक बेटा राजस्थान में ही रहता है. जबकि, दो बेटे नारायणी देवी के साथ ही बुराड़ी में रहते थे. बड़े बेटे का नाम भुवनेश भाटिया और छोटे बेटे का नाम ललित भाटिया था. भुवनेश की पत्नी का नाम सविता था और उनके तीन बच्चे थे. मेनका, नीतू और ध्रुव. जबकि, ललित की पत्नी का नाम टीना था. उनका एक ही बेटा था शिवम.

इसके अलावा नारायणी देवी की एक बेटी भी थी. जिसका नाम प्रतिभा था. पति की मौत के बाद से प्रतिभा अपनी बेटी प्रियंका के साथ नारायणी देवी के घर में ही रहने लगी थी. प्रियंका एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती थी और उसकी 15 दिन पहले ही सगाई भी हुई थी.

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पड़ोसियों ने देखी भाटिया परिवार की लाश
1 जुलाई 2018 के दिन भुवनेश भाटिया ने अपनी दुकान को नहीं खोला. अमूमन वह सुबह पांच बजे ही अपनी दुकान खोल देते थे. लेकिन कुछ ग्राहक रोज की तरह आए और देखा कि भुवनेश की दुकान तो आज खुली ही नहीं है. बता दें, यह दुकान घर के ग्राउंड फ्लोर पर थी. काफी देर हो गई तो पड़ोसियों ने भाटिया परिवार को फोन लगाया. लेकिन किसी ने भी फोन नहीं उठाया.

एक पड़ोसी ने सोचा कि क्यों न उनके घर जाकर ही पता किया जाए कि आखिर दुकान क्यों नहीं खोली गई है. जैसे ही पड़ोसी घर के अंदर घुसे तो अंदर का नजारा देखते ही उनके होश उड़ गए. वे चिल्लाते हुए बाहर आए. दरअसल, घर के अंदर 11 लोगों की लाश पड़ी थी. 9 लोग छत की ग्रिल के सहारे फंदे पर लटके हुए थे. एक महिला खिड़की के सहारे फंदे से लटकी हुई थी. जबकि, बुजुर्ग महिला का शव घर के मंदिर वाली जगह पर पड़ा हुआ था.

बात तेजी से फैली और पुलिस को सूचना दी गई. मौके पर पहुंची पुलिस के भी कमरे का मंजर देख होश उड़ गए. पूरा का पूरा भाटिया परिवार मर चुका था. छत पर सिर्फ उनका कुत्ता टॉमी बंधा हुआ था जो जोर-जोर से भौंक रहा था. शुरू की छानबीन में ऐसा लगा जैसे किसी चोरों के गिरोह ने उनका कत्ल कर दिया हो. लेकिन घर से कोई भी सामान गायब नहीं हुआ था. इसलिए ये मामला खुदकुशी का लगने लगा.

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पुलिस के हाथ लगी डायरी
पुलिस ने घर की और भी तलाशी ली तो उनके हाथ एक डायरी लगी. जिससे इस केस में एक नया मोड़ आ गया. इसके अलावा और भी डायरी मिलीं. इन सभी डायरियों में अजीब से रिचुअल्स और हवन आदि के बारे में लिखा था. इन सभी बातों को अलग हैंडराइटिंग्स में लिखा हुआ था, जिससे लगा कि घर के ही कुछ सदस्य इन डायरियों को रोज लिखते थे.

इनमें लिखा था कि कैसे एक इंसान अपनी आंख और मुंह को बंद करके डर के आगे जीत पा सकता है. कैसे इंसान को मुक्ति मिलती है. इंसानी शरीर तो अस्थायी है लेकिन आत्मा स्थायी है और वो कभी नहीं मरती. इस डायरी में एक रिचुअल का पालन करने को कहा गया था. लिखा था कि घर के 11 लोग अगर इस रिचुअल का पालन करेंगे तो उनकी सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी. और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी.

इसले अलावा भी डायरी में काफी अजीबो-गरीब बातें लिखी थीं. जिनका सार यह निकल रहा था कि आपको अपना शरीर त्यागने की प्रक्रिया करनी है. लेकिन आप उसमें मरेंगे नहीं. बल्कि, घर के मुखिया भोपाल चुंडावत, जिनकी साल 2007 में मौत हो गई थी. वो आपको बचा लेंगे. साथ ही आपको अपने दर्शन भी देंगे.

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परिवार फॉलो करता था डायरी में लिखी बातें
इसके अलावा भगवान की किताबें और ग्रंथ भी थे. पुलिस के मुताबिक, यह परिवार डायरी में लिखी बातों को फॉलो करता था. पुलिस ने इस परिवार के अन्य रिश्तेदारों और पड़ोसियों से बात की तो पता चला कि ये सभी बहुत ही धार्मिक प्रवृति के लोग थे. किसी से भी उनकी कोई दुश्मनी नहीं थी. सबसे अच्छे से बात करते थे. सबका आदर सम्मान करते थे. रिश्तेदारों ने तो इसे हत्या बताया. लेकिन पुलिस जांच में कहीं भी इस बात का कोई सबूत नहीं मिला जो इस मास सुसाइड को हत्या दर्शाए.

फिर भी पोस्टमार्टम के लिए शवों को भेजा गया. रिपोर्ट में भी साफ हो गया कि यह एक मास सुसाइड केस ही था. मृत लोगों में सबसे लेट मौत हुई थी नारायणी देवी की. वो एकमात्र विक्टिम थीं जिन्होंने फांसी नहीं लगाई थी. उन्हें कुछ जहरीला पदार्थ दिया गया था, जिससे उनकी मौत हुई.

2007 में हुई थी भोपाल दास की मौत
पुलिस ने जब इसकी डिटेल रिपोर्ट पेश की तो केस का अच्छे से पता लग सका. दरअसल, साल 2007 में नारायणी देवी के पति भोपाल दास की मौत हो गई थी. उनकी मौत से सबसे ज्यादा सदमा छोटे बेटे ललित को लगा था. क्योंकि वह अपने पिता के बेहद करीब थी. उनकी मौत के बाद से वह गुमसुम रहने लगा और अजीब हरकतें भी करने लगा.

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वो परिवार में अक्सर यह बोला करता कि उसके अंदर भोपाल दास की आत्मा आती है. परिवार पहले तो यह सब बातें नहीं मानता था. लेकिन भोपाल दास के जाने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति जब खराब हुई तो उसे ललित ने ही ठीक किया. इसका कारण ललित ने परिवार को भोपाल दास का सपने में आना ही बताया. उसने कहा कि भोपाल दास द्वारा कही बातों को वो मानता है इसीलिए घर के हालात ठीक हुए हैं. परिवार अब ललित की बातों को थोड़ा-थोड़ा मानने लगा था.

हादसे में चली गई थी ललित की आवाज
इसके 6 साल बाद ललित अपनी प्लाइवुड की दुकान में काम कर रहा था. तभी एक बड़ी सी लड़की उसके सिर पर गिर गई जिसके कारण ललित की आवाज चली गई. भाटिया परिवार ने उसका कई जगह इलाज करवाया लेकिन वह ठीक नहीं हुआ. लेकिन कुछ ही साल बाद एक दिन अचानक से ललित बोलने लग पड़ा. परिवार यह देखकर हैरान रह गया. तब ललित ने बताया कि भोपाल दास ने ही उसे ठीक किया है क्योंकि वो रोज उसके सपने में आते हैं.

अब परिवार पूरी तरह मान गया कि हो न हो भोपाल दास जरूर ललित के सपने में आते हैं. दिन बीतते गए और ललित अब और अजीबोगरीब बातें करने लगा था. वो जो भी बोलता परिवार भोपाल दास का आदेश समझकर उसे करते. ललित की बहन की बेटी प्रियंका 33 साल की थी. उसकी शादी नहीं हो रही थी. तब ललित ने परिवार को केले के पेड़ की पूजा करने को कहा. हैरानी की बात ये थी कि उसके बाद प्रियंका का रिश्ता भी हो गया.

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इसके अलावा ललित के घर की दीवार पर ग्यारह पाइप भी लगवाए. कॉन्ट्रेक्टर तो तो उसने यही कहा कि घर की वेंटिलेशन के लिए उसने ये पाइप लगवाए हैं. लेकिन लोग इसे भी बाद में ललित की डायरी में लिखी बातों से जोड़ने लगे.

परिवार से अजीब रिचुअल करने को कहा
फिर एक दिन ललित ने अपनी पत्नी टीना के साथ मिलकर घर के सभी लोगों को एक अजीब रिचुअल करने को कहा. उसने कहा कि भोपाल दास सभी से नाखुश हैं. उनका कहना है कि परिवार के लोग आजकल मनमानी से चल रहे हैं. घर में कोई भी अनुशासन का पालन नहीं कर रहा है. अगर वे इस रिचुअल का पालत करते हैं तो भोपाल दास उन्हें दर्शन देंगे और उनकी गलतियों को माफ भी कर देंगे. साथ ही इससे उन्हें मोक्ष की भी प्राप्ति होगी.

न जाने क्यों पर परिवार भी इस चीज के लिए राजी हो गया. फिर इस रिचुअल की तैयारी की गई. ललित ने कहा कि इस रिचुअल को रात को 12 बजे से 1 बजे के बीच करना होगा. सभी के हाथ और पैर बांध दिए जाएंगे. आंखों को बंद कर दिया जाएगा और मुंह में कपड़ा ठूंस दिया जाएगा. सभी को एक आवाज आएगी. तभी भोपाल दास उन्हें दर्शन देंगे. उस समय उन्हें घबराना नहीं है. क्योंकि भोपाल दास उन्हें बचा लेंगे.

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रिचुअल के लिए चुना गया 30 जून का दिन
पहले तो इस रिचुअल के लिए कोई और दिन चुका गया था. लेकिन उस समय उनके घर कोई मेहमान आ गया. इसलिए इस रिचुअल के लिए परिवार ने 30 जून का दिन चुना. घर के सभी लोगों से कह दिया गया था कि बाहर किसी को भी इस बारे में कुछ नहीं बताना है. परिवार न जाने क्यों ललित की बातों में आ गया. जबकि, उन्हें पता था कि जो काम वो करने जा रहे हैं उससे उनकी मौत हो सकती है. लेकिन ललित ने उनके दिमाग में भर रखा था कि भोपाल दास उन्हें बचा लेंगे.

इसलिए परिवार ने अगले दिन के खाने के लिए चने भी भिगो रखे थे. ध्रुव और शिवम तो 9वीं कक्षा के छात्र थे. दोनों ने अपनी ड्रेस भी प्रेस करके रखी थी क्योंकि अगले दिन उन्हें स्कूल जाना था. रात को करीब साढ़े आठ बजे परिवार ने जोमैटो से रोटियां ऑर्डर कीं. फिर सभी लोग घर में आ गए और पूजा पाठ किया गया. इसके बाद ललित और टीना ने सबके हाथ बांधे और मुंह में कपड़ा ठूंस दिया. बाद में एक दूसरे के हाथ भी बांधे.

डायरी में लिखी बातों के हिसाब से नारायणी देवी को कुछ पिला दिया गया था क्योंकि वे काफी बुजुर्ग थीं और इस रिचुअल को फॉलो नहीं कर सकती थीं. इसके बाद जैसे ही सभी लोग रिचुअल को फॉलो करने लगे. सभी की मौत हो गई. उन्होंने अपने कुत्ते को भी छत से बांध दिया था. ताकि वो भौंके नहीं. बता दें, इस रिचुअल को करने से पहले उन्होंने 6 दिन तक प्रैक्टिस भी की थी.

लोगों ने उस गली से जाना ही छोड़ दिया
इसके बाद सभी भी लाशें अगले दिन यानि 1 जुलाई 2018 को मिलीं. इस मास सुसाइड की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. संत नगर की गली नंबर-3 से तो लोगों ने आना-जाना ही छोड़ दिया. पड़ोसियों का तो ये तक कहना था कि यहां से रात को अजीब आवाजें आती हैं. लोग इसे पैरानॉर्मल एक्टिविटी से भी जोड़कर देखने लगे.

कुछ किराएदार आए, लेकिन जल्द ही मकान को छोड़ गए
इसके कुछ दिन बाद कुछ किराएदार यहां रहने भी आए लेकिन वो भी यह बोलकर मकान छोड़ गए कि रात को यहां अजीब आवाजें आती हैं. हालांकि, इसके बाद 2020 में मकान को एक नया किरदार मिल गया है, जो बीते चार सालों से अपने परिवार के साथ यहां रह रहा है. इस किराएदार का नाम मोहन हैं.

मृत परिवार को अच्छे से जानते थे मोहन
मकान में रह रहे मोहन ने बताया कि पहले उनकी बुराड़ी मुख्य रोड पर डायग्नोस्टिक लैब थी. वह मृत परिवार को अच्छी तरह जानते थे और उनके अच्छे संबंध थे. लेकिन परिवार में क्या चल रहा है, इसे लेकर किसी भी अन्य शख्स को जानकारी नहीं थी. भाटिया परिवार की मौत के लगभग डेढ़ साल बाद उन्होंने घर के निचला हिस्सा किराए पर ले लिया.

अब उसी मकान में मोहन डायग्नोस्टिक लैब व एक किराना की दुकान चला रहे हैं. वहीं, अब दोबारा से इस गली से लोग आते-जाते हैं. जहां 5 साल पहले इस गली में दहशत का माहौल था. तो अब वहां लोग नॉर्मल लाइफ जी रहे हैं. लेकिन आज भी जब वे उस रात की घटना को याद करते हैं तो सिहर उठते हैं.

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