6 साल का मासूम तल्हा करीब 7 महीने पहले ऐसा नहीं था. तल्हा ने कुछ दिन पहले ही ब्लड कैंसर से अपनी लड़ाई जीती है. मुरादाबाद में रहने वाले तल्हा के पापा राशिद और दादी हसीना अपने बच्चे के गर्दन पर बनीं गांठ से परेशान शहर-शहर भटकते रहे और गलत इलाज का शिकार होते रहे.
ये सामान्य दिखाई दे रहा मासूम तल्हा कुछ महीने पहले इतना बीमार था कि घरवालों ने इसके बचने की उम्मीद छोड़ दी थी. पूरे शरीर पर नीले-नीले धब्बे और गांठें बन गईं थीं. लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी जब तल्हा की बीमारी में कोई सुधार नहीं दिखाई दिया तो सबने आस छोड़ दी. लेकिन कहते हैं जाको राखे साइयां मार सके न कोई. इसी बीच तल्हा बेहद नाजुक हालत में दिल्ली पंहुचा और उसका सही इलाज शुरू हुआ.
डॉक्टर मानस कालरा, बाल कैंसर विशेषज्ञ अपोलो हॉस्पिटल के मुताबिक़ जब तल्हा यहां आया था तो उसके पास सिर्फ 1 महीने का वक्त था. लेकिन कुदरत का करिश्मा और तल्हा के घरवालों की इच्छाशक्ति के आगे बीमारी हार गई. अब तल्हा बिल्कुल सामान्य बच्चों की ज़िन्दगी जी रहा हैं. अभी कम से कम 5 साल तक उसका इसका इलाज चलता रहेगा. डॉक्टर्स के मुताबिक़ करीब 70 से 80 प्रतिशत बच्चे इस बीमारी से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं. बीमारी के कोई लक्षण बाद में सामने नहीं आते.