दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है जबकि कांग्रेस पार्टी दिल्ली में इस बार भी अपना खाता नहीं खोल पाई. 8 फरवरी को आए चुनाव नतीजों में दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 48 पर बीजेपी जबकि 22 पर आम आदमी पार्टी को जीत मिली है. लेकिन इस चुनाव नतीजे में एक हैरान कर देने वाला आंकड़ा भी सामने आया है. दरअसल दिल्ली में चुनाव लड़ने वाले हर 10 में से 8 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई.
हर 10 में से 8 उम्मीदवारों की जमानत जब्त
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक इस चुनाव में 699 उम्मीदवार मैदान में थे जिनमें से 555 उम्मीदवारों (लगभग 79.39%) की जमानत जब्त हो गई. कांग्रेस के 67 उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा पाए. कांग्रेस केवल तीन सीटों पर अपनी जमानत बचाने में सफल रही, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उसके सहयोगी दलों जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सभी प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में सफल रहे.
खाता भी नहीं खोल पाई कांग्रेस
दिल्ली में लगातार तीसरी बार कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली, जो कभी राजधानी की सत्ता पर लगातार तीन बार काबिज रही थी. कांग्रेस ने सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन इनमें से केवल तीन उम्मीदवार—अभिषेक दत्त (कस्तूरबा नगर), रोहित चौधरी (नांगलोई जाट) और देवेंद्र यादव (बादली) ही अपनी जमानत बचाने में कामयाब हुए. AIMIM ने भी दो सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से ओखला से शिफा-उर-रहमान खान अपनी जमानत बचाने में सफल रहे.
क्या होता है जमानत जब्त होना?
दरअसल निर्वाचन कानून के अनुसार, सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए 10,000 रुपये और अनुसूचित जाति और जनजाति के उम्मीदवारों को 5,000 चुनावी जमानत के रूप में जमा करने होते हैं. यदि कोई उम्मीदवार चुनाव हार जाता है और उसके कुल वैध मतों की संख्या, सभी उम्मीदवारों को मिले वैध मतों के छठे हिस्से से कम रहती है, तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है.
दिल्ली में बीजेपी की वापसी
26 साल बाद दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सत्ता में वापसी हुई, जहां उसने 70 में से 48 सीटें जीतीं, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) को 22 सीटें मिलीं. कांग्रेस के लिए यह लगातार तीसरा चुनाव रहा, जिसमें उसे एक भी सीट हासिल नहीं हुई जिसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.