दिल्ली में बीते कुछ महीनों से खराब चल रही सियासी हवा को सुधारने के लिए अरविंद केजरीवाल की सरकार जतन करते नजर आ रही है. लेकिन राज्य की उस आबो-हवा पर सरकार को कोई ध्यान नहीं है, जिसमें दिल्लीवासी सांस ले रहे हैं. राष्ट्रीय राजधानी में जहां एक ओर प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, वहीं सरकार इससे जुड़े फंड पर कुंडली मारकर बैठी हुई है!
'मेल टुडे' के हाथ कुछ ऐसे कागजात लगे हैं, जो बताते हैं कि वायु प्रदूषण के तमाम अलर्ट के बावजूद मौजूदा केजरीवाल सरकार और इससे पूर्व की शीला सरकार ने इस ओर कोई सुध नहीं ली. बीते सात वर्षों में प्रदूषण के स्तर को सुधारने के लिए फंड में 385 करोड़ रुपये जमा हुए, जबकि इसमें से 87 फीसदी रकम अभी भी इस्तेमाल की बाट जोह रही है.
14 साल में दोगुना हुआ प्रदूषण
इन सात वर्षों में अधिकतर समय तक कांग्रेस का राज रहा, जबकि एक साल के लिए राष्ट्रपति शासन के बाद दो छोटी अवधि के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार ने सत्ता संभाली. प्रदूषण की ओर मौजूदा और पुरानी सरकारों का रवैया ऐसे समय है, जब बीते 14 वर्षों में राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण का स्तर दोगुना हो गया है. दिल्ली की हवा में पार्टिकुलेट मैटर-10 (10 माइक्रोंस से छोटे कण) की मात्रा सुरक्षित मात्रा से पांच गुना अधिक है.
AAP सरकार ने किया बचाव
दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी की सरकार ने फंड का इस्तेमाल नहीं होने पर अपना बचाव किया है. सरकार के एक अधिकारी ने कहा, 'फंड का इस्तेमाल नहीं होने के पीछे पिछली सरकार जिम्मेदार है. हम इस ओर काम कर रहे हैं कि इस फंड का कैसे बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है. दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए आईआईटी-कानपुर के एक कमीशन को अध्ययन का जिम्मा सौंपा गया है.'