दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित शुक्रवार को अवमानना के एक मामले में अदालत में पेश नहीं हो पाईं और अदालत ने उन्हें निजी पेशी से एक बार फिर छूट दे दी. अवमानना का यह मामला स्वयं दीक्षित ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता के खिलाफ दायर किया है.
महानगरीय दंडाधिकारी सौम्या चौहान ने उस समय दीक्षित को निजी उपस्थिति से छूट दे दी, जब उनके वकील गजिंदर कुमार ने न्यायालय को सूचित किया कि मुख्यमंत्री परिवार में शोक की एक घटना के सिलसिले में गुरुवार को मुंबई चली गईं हैं. 12 अक्टूबर को पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने दीक्षित को निर्देश दिया था कि नौ नवंबर को अगली सुनवाई के दौरान उन्हें बगैर किसी बहानेबाजी के निजी तौर पर न्यायालय में पेश होना होगा.
न्यायालय ने यह निर्देश तब दिया था, जब गुप्ता ने दीक्षित को छूट दिए जाने का विरोध किया था. न्यायालय ने हालांकि दीक्षित के वकील को चेतावनी दी, 'चूंकि शिकायतकर्ता गुप्ता के खिलाफ अपना बयान दर्ज कराने के बाद से पेश नहीं हुई हैं, लिहाजा उन्हें उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है. अन्यथा शिकायत खारिज कर दी जाएगी.' न्यायालय ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री अन्य सामान्य शिकायतकर्ताओं की तरह ही हैं.