दिवाली पर दिल्ली वालों मे आतिशबाजियां तो खूब कीं लेकिन अगली सुबह देश की राजधानी का दम फूलने लगा.
दिल्ली का प्रदूषण सामान्य से चार गुणा ज्यादा बढ़ गया है. कार्बन मोनो ऑक्साइड और धूल धुएं की मात्रा खतरनाक स्तर से बहुत ज्यादा पहुंच गई है.
दिवाली की जगमगाती रात की सुबह और दोपहर धूसर है. धुएं में लिपटी हुई. जिसे देखकर धुंध का भरम हो जाता है. हवा ऐसी कि सांस लेना दूभर.
ये दिल्ली में दिवाली के जश्न का साइड इफेक्ट है..प्रदूषण का स्तर खतरे के सूचकांक को तोड़कर बहुत ऊपर जा चुका है.
एक ओर सरकार जागरुकता अभियान चलाती रही और दिशानिर्देश जारी करती रही तो वहीं दूसरी ओर लोगों ने उसे धुएं में उड़ा दिया.
देश की राजधानी का सबसे प्रदूषित इलाका पूर्वी दिल्ली रहा. खासकर आनन्द विहार में लोगों ने दिवाली की आतिशबाजियों का ज्यादा आनंद लिया. अब नतीजा सामने है.
यहां नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा 1273 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर आंकी गई. जो तय किये गए मानक से बहुत ज्यादा है.
दक्षिणी दिल्ली का आर के पुरम इलाका प्रदूषण के मामले में दूसरे नंबर पर रहा. यहां नाइट्रोजन ऑक्साइड 650 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पाई गई. पश्चिमी दिल्ली का पंजाबी बाग 361 माइक्रोग्राम नाइट्रोजन ऑक्साइड के साथ तीसरा सबसे प्रदूषित इलाका रहा.
धुएं और धूल की मात्रा भी आनन्द विहार में सबसे ज्यादा पाई गई. ये सामान्य से 18 गुणा ज्यादा थी. जबकि आर के पुरम में ये मात्रा 9 सामान्य से 9 गुणा ज्यादा थी.
हैरानी की बात ये है कि दिल्ली के पढ़े लिखे लोगों का तबका पटाखे चलाने में सबसे आगे रहा. मसलन पूर्वी दिल्ली और आर के पुरम जैसे इलाको में सबसे ज्यादा आतिशबाजी हुई.
आर के पुरम में सरकारी कर्मचारियों की तादाद सबसे ज्यादा है. ऊपर से पहले ही उनसे ये अपील की जा चुकी थी कि लोग पटाखे कम चलाएं.
दिवाली से पहले हर साल अलग अलग स्कूलों की ओर से जागरुकता अभियान चलाय़ा जाता है. सरकार लोगों से अपील करती है.
लेकिन दिवाली की आतिशी रात बेलौस होती है. फिर शोर और रोशनी में डूबी रात की सुबह धुएं से खांसती है.