आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय में शनिवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा कि 'जनता को यह जानने का पूरा हक़ है कि कौन सा राजनीतिक दल ईमानदारी के पैसे से चुनाव लड़ता है और कौन सा राजनीतिक दल बेईमानी के पैसे से चुनाव लड़ता है. जनता को यह पता चलना चाहिए कि कौन सा राजनीतिक दल वित्तीय पारदर्शिता के साथ अपने चंदे का पूरा हिसाब-किताब रखता है और कौन से राजनीतिक दलों को बेनामी स्त्रोतों से चंदा मिलता है. क्यों ना यह सारी जानकारी जनता के सामने रखें और फिर जनता तय करे कि कौन सा राजनीतिक दल सही है और कौन सा ग़लत.
जंतर मंतर पर खोलें अपना-अपना बही खाता
आम आदमी पार्टी ने बीजेपी और कांग्रेस अध्यक्ष को खुली चुनौती देते हुए कहा कि वो अपनी पार्टियों के बही खातों को लेकर जंतर-मंतर पर आएं और जनता के सामने सारे खातों को रखें. इसके बदले आम आदमी पार्टी का बही खाता
अरविंद केजरीवाल जनता के सामने रखने को तैयार हैं. क्या बीजेपी और कांग्रेस पार्टियों में ये करने की हिम्मत है?
आखिर कौन देता है बीजेपी-कांग्रेस को चंदा?
राघव चड्ढा ने कहा कि 'कई मीडिया रिपोर्ट्स में भी यह छपा है कि आम आदमी पार्टी का 92 प्रतिशत चंदा बैंक के माध्यम (चेक या फिर डिजिटल तरीक़े से) और सिर्फ़ 8 प्रतिशत चंदा ही नकद में लिया जाता है. पार्टी की नीतिगत
व्यवस्था के तहत उस नकद चंदे को भी पूरी जानकारी के साथ बैंक में जमा करवा दिया जाता है. हम अपने दानदाताओं की पूरी जानकारी और बही खाता बनाते हैं, चाहे वह 10 रुपये का ही दान क्यों न हो. लेकिन दूसरी तरफ़
भारतीय जनता पार्टी का 70 प्रतिशत चंदा बेनामी स्रोतों से आता है. कांग्रेस पार्टी का 80 प्रतिशत चंदा बेनामी स्रोतों से आता है. इन दोनों ही पार्टियों को यह पता ही नहीं है कि ये चंदा इनको कौन दे जाता है और वो भी नक़द.
स्विस बैंक के पैसों से लड़ते हैं चुनाव?
चड्ढा ने ये भी आरोप लगाया कि 'जिन लोगों का स्विस बैंक में खाते हैं और उन लोगों ने अपने उन खातों में कालाधन जमा करके रखा है वो लोग भी बीजेपी-कांग्रेस को चंदा देते हैं. सुप्रीम कोर्ट को दी गई स्विस बैंक खाताधारकों की
लिस्ट में उन लोगों के नाम मौजूद हैं जो बीजेपी और कांग्रेस को चंदा देते हैं. मतलब ये कि दोनों ही पार्टियां कालेधन और भ्रष्टाचार के पैसे से चुनाव लड़ती हैं और इसीलिए हिसाब-किताब देने से भागती आई हैं.
अन्ना के सवालों पर फिलहाल 'आप' चुप!
इस बीच आपको ये भी बता दें कि अन्ना हजारे ने चिट्ठी लिखकर अरविंद केजरीवाल की भ्रष्टाचार-विरोधी छवि पर सवाल खड़े किए हैं. अन्ना ने केजरीवाल से पूछा है कि अगर उनकी लड़ाई ईमानदारी की है तो उन्होंने पार्टी की
वेबसाइट से दान दाताओं के नाम क्यों हटाए? आम आदमी पार्टी अन्ना के सवालों पर फिलहाल चुप है.