'आज तक' को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने माना है कि दिल्ली में सीएम की कुर्सी छोड़कर उन्होंने बड़ी भूल की है और ऐसा करने से पहले उन्हें दिल्ली की जनता से पूछना चाहिए था. पेश है अरविंद केजरीवाल से पूरी बातचीत.....
आज तक: क्या होगा ‘आप’ का?
केजरीवाल: हम अपने लिए तो कर नहीं रहे. पहली चीज जो आपने इंट्रोडक्श्न दिया कुछ टिप्पणी उस पर कि आम आदमी पार्टी के हार के बाद मुझे लगता है अपना इतिहास गवाह है, कि बीजेपी जब पहली बार आई थी तो दो सीट मिली थी उनको. आम आदमी पार्टी एक साल पुरानी पार्टी है, हमें चार सीट मिली है. दिल्ली के अंदर वोट पर्सेंटेज 29 से 34 पर्सेंट हुआ है. 4 परसेंट– 5 परसेंट वेट परसेंट बढ़ा है. और ऐसे टाईम में जब बाकी सारी पार्टियां, हवा चल रही थी इस देश के अंदर, जो भी हवा थी, जब बीएसपी खत्म हो गई, समाजवादी पार्टी खत्म हो गई, जेडी-यू खत्म हो गया, चार सीट आना और दिल्ली की सारी सीटों में हम नंबर 2 पर थे, तो मुझे नहीं लगता है कि अगर हम एक निष्पक्ष एनालिसिस करें तो मैं इसको हार नहीं मानता. दूसरी चीज ये कि आम आदमी पार्टी इस देश के अंदर राजनीति बदलने के लिए आई है, और उस मायनों में हमने काफी कुछ किया है. जैसे एक उदाहरण मैं दूं कि हम कहते थे कि क्रिमिनल्स को पॉलिटिक्स में नहीं आना चाहिए, आज मोदी जी ये बात कह रहे हैं कि जितने क्रिमिनल्स हैं, उनके मुकदमे जल्दी जल्दी निपटने चाहिए. तो जो मुद्दे हम लोग उठाते थे वो मुद्दे अब मेनस्ट्रीम पॉलिटिक्स के हिस्से बनने लगे हैं.
आज तक: तो फिर आप का रेलिवेंस क्या रह जाएगा. नरेंद्र मोदी कहते हैं कि वो लोक सभा से तमाम भ्रष्टाचारी लोग हैं उनको हटा देंगे.
केजरीवाल: करें...अभी तो बात हो रही है. बहुत सारी चीजें हैं, भ्रष्टाचार दूर करनी है, मंहगाई कम करनी है. तो अगर सारी राजनीति साफ हो जाती हैं, अच्छी हो जाती है, तो अच्छी चीज है, हमारी जरूरत नहीं पड़ेगी.
आज तक: हार के बाद की जो स्थिति है उस पर सवाल इसलिए उठता है क्योंकि योगेंद्र यादव आपकी पार्टी के इतने बड़े नेता है, शाजिया इल्मी, जाना माना चेहरा आपकी पार्टी का..दोनों ने ही हार के तुरंत बाद के परिस्थिति में आप देखें कि योगेंद्र यादव एक उस तरह से चिट्ठी लिखते हैं कि आप पार्टी सुप्रीमो हैं, आप किसी कि बात नहीं सुनते हैं, अपने आप फैसला लेते हैं. शाजिया इल्मी आप पर आरोप लगाती हैं, पार्टी छोड़ कर चली जाती हैं, तो ये क्या चल रहा है, तो क्या हार के बाद बौखला गए सब नेता, उथल पुथल हो रही है पार्टी में.
केजरीवाल: देखिए दोनों चीजें हैं. पार्टी के अंदर सवाल हमेशा उठते रहे हैं. सीनियर लोग भी उठाते हैं, जूनियर कार्यकर्ता भी उठाते हैं. जैसे आपने देखा होगा, जैसे ही मैं आया तिहाड़ से, अगले ही दिन मैंने दिल्ली के सारे वॉलंटियर्स की मीटिंग ली. वॉलंटियर्स के अंदर कई सारे सवाल थे, जिसका मैंने जवाब दिया. उन्होंने ई-मेल लिखा मुझे. जब उन्होंने ई-मेल लिखा, बेचारों ने सोचा नहीं होगा कि उन ई-मेल को कोई हैक कर के और सारा चला जाएगा. तो उन्होंने तो उस कॉन्फिडेंस में लिखा कि वो मुझे लिख रहे हैं. जब आप अपने दोस्त को चिट्ठी लिखते हो तो कई बार काफी स्ट्रॉन्ग् भी लिख देते हो. अगर आपको पता हो कि वो चिट्ठी पब्लिक में जाने वाली है तो आप थोड़ा डिप्लोमैटिक हो जाते हो. उन्होनें जो प्रश्न उठाए वो सारे प्रश्न नेशनल एक्जिक्यूंटिव के अंदर डिसकस हुए. इंपॉर्टेंट सवाल थे. उसके बाद उन्होंने खुद ही प्रेस कांफ्रेंस में बोला, किसी ने बोला कि आपने कहा कि पार्टी सुप्रीमो, तो उन्होंने कहा कि अगर मैं कांग्रेस में होता और अगर में ऐसा ई-मेल राहुल गांधी जी को लिख देता तो आज मैं यहां प्रेस कांफ्रेंस में नहीं बैठा होता.
आज तक: लोग कह रहे हैं कि आप बैकफुट पर हैं इसलिए आपने बड़प्पन दिखाते हुए नेशनल एक्जिक्यूटिव में आपने शाजिया इल्मी को वापस लाने की बात की, योगेंद्र यादव जी को भी आपने बड़ा भाई बता दिया....
केजरीवाल: हम अच्छा करें तो हम बैकफुट पर हैं, नहीं तो आप हमारी...ये तो गलत बात है.
आज तक: हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव लड़ेंगे आप लोग.
केजरीवाल: अभी निर्णय हुआ नहीं है पार्टी में.
आज तक: क्योंकि चिट्ठी में भी जिक्र था, मनीष ने जो चिट्ठी लिखा था, उसमें भी जिक्र था कि आप दिल्ली तक सीमित रहना चाहते थे, पार्टी के नेताओं के सुझाव पर लोक सभा चुनाव में उतरे.
केजरीवाल: उसमें था, लोक सभा चुनाव के दौरान मैंने पार्टी में बोला था और मेरा निजी और एक दो बार आपने देखा होगा मैंने इंटरव्यू में भी बोल दिया था कि लोक सभा चुनाव हमें नहीं लड़ना चाहिए. आपको याद होगा जनवरी के महीने में फिर दो तीन दिन बाद काफी सारे पार्टी वाले मेरे खिलाफ हो गए, जैसे ही मैंने ऐसा बोला. तो मेरा अपना ये मानना था कि हमें या तो दिल्ली के अंदर कि लोक सभा सीट से लड़नी चाहिए, या मैक्सिमम दिल्ली के आस पास की दो तीन राज्यों की सीट से लड़ना चाहिए था. हम इस पोजीशन में नहीं थे, कि पूरे देश के अंदर इसको विस्तार करते. लेकिन पार्टी का निर्णय था और ये यह भी दिखाता है कि पार्टी में सबकुछ मेरा नहीं चलता.
आज तक: अरविंद, बहुत से लोग ये कहते हैं कि आप जल्दबाजी में फैसला ले लेते हैं और फिर बाद में पछताते हैं उस पर. चाहे वो अपनी ही सरकार गिराने कि हो या फिर लोक सभा चुनाव लड़ने को ले कर हो. आप जेल चले जाते फिर बाद में उस फैसले को भी आपने वापस ले लिया. ये क्या है. क्या जल्दबाजी में फैसला लेते हैं. राजनैतिक इम्मेुच्योारिटी है.
केजरीवाल: नहीं, राजनीति हमें कम आती है, ये तो हम मानते हैं. हम भी आप ही की तरह हैं, आम आदमी हैं इस देश के. राजनीति हमें कम आती है, सीख रहे हैं, धीरे धीरे राजनीति भी सीख जाएंगे.
आज तक: क्या उसको लेकर पछतावा होती है कि दिल्ली में सरकार नहीं गिरानी चाहिए थी.
केजरीवाल: दो चीजें हैं. कंस्ल्ट किया था कि अगर लोकपाल बिल ये लोग प्रजेंट करने नहीं देते हैं तो हमें इस्तीफा दना चाहिए. हमारी एसेसमेंट ये थी कि वो निर्णय गलत हो सकता है, उसपे चर्चा कर सकते हैं. और निर्णय रेट्रोस्पेक्ट में गलत या सही कहना बहुत आसान होता है. लेकिन पार्टी में भी डिस्कस हुआ था, विधायकों के साथ भी डिस्कस हुआ था, कैबिनेट में भी डिस्कस हुआ था. तीन जगह डिस्कशन हुआ था. और कई मैने पार्टी के सीनियर लीडर्स से इंडिविज्वली डिस्कस किया था, अपने घर में बुला कर, सीएम ऑफिस में बुला कर. लेकिन हमने ये सोचा था, जब सब लोग ये निर्णय ले रहे थे, कि अगर लोकपाल बिल पास नहीं करवा पाए और कुर्सी पर बने रहे तो जनता कहेगी देखो केजरीवाल सत्ता का लालची हो गया. तो हमने ये सोचा था कि जनता बहुत नाराज होगी अगर हमने इस्तीफा नहीं दिया तो. हमें क्या पता था कि जनता नाराज होगी अगर इस्तीफा दे दिया तो. मतलब सपने में भी नहीं सोचा था.
आज तक: अब पछता रहे हैं आप?
केजरीवाल: अब लग रहा है कि पॉलिटिकल ब्लंडर था. क्योंकि उस जनमानस की क्या सोच है मुझे लगता है कि इस्तीफा देने से पहले एक बार जनता से भी पूछ लेना चाहिए था. जैसे हमने सरकार बनाने से पहले पूछा था. जनता बता देती कि वो इस्तीफा नहीं देना चाहती तो हमें पता चल जाता कि जनता क्या चाहती है और उसके भी दो कारण है- जब मैं घूम रहा हूं जनता में- एक भी आदमी नहीं मिला जो कह रहा है कि 49 दिन में हमने काम नहीं किया. सारे कह रहे हैं कि 49 दिन में बहुत काम किया. आज तक हमने कोई सरकार नहीं देखी जिसने 49 दिन में इतना काम किया हो. बिजली के रेट आधे किए, 24 घंटे बिजली आती थी. पानी फ्री कर दिया, भ्रष्टाचार में भारी कमी आई. सरकारी अस्पतालों में दवाईयां मिलने लगी. 49 दिन में बताओ इतना काम किसी सरकार ने किया हो तो. ये तो सभी मानते हैं, लेकिन मैंने सोचा इस्तीफा देने से जनता अतनी नाराज क्यों हो गई. ऐसा हमने क्या कर दिया. लेकिन अब मैं जब जनता में घूम रहा हूं, तो दो मोटे मोटे कारण नजर आते हैं. एक तो ये कि जनता को जो फायदा हुआ वो अचानक बंद हो गए. एक सपना सा दिखा 49 दिन का फिर खत्म हो गया. 31 मार्च तक सब्सिडी मिली, बिजली के बिल आधे आए, पानी का संकट खत्म हो गया, लेकिन 1 अप्रैल से फिर दाम बढ़ गए. एक और चीज भ्रष्टाचार के अंदर जो भारी कमी आई थी, जैसे सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट है, कई व्यापारियों ने बताया कि सेल्स टैक्स वाले रेड मारने आए आपके इस्तीफे के बाद, बोले अब बुलाओ अपने केजरीवाल को, तो टॉन्ट कर कर के पैसे लिए गए.
आज तक: अरविन्द जी आजकल बिजली का जबरदस्त संकट चल रहा हैं और कॉंग्रेस, हर जगह सड़क पर आंदोलन कर रही हैं, सड़क पर प्रदर्शन कर रही हैं. जो आम आदमी पार्टी का एक ट्रेंड मार्क होता था, कि वे प्रदर्शन करते हैं, आम आदमी पार्टी कहीं नजर नही आ रहीं हैं, ऐसा क्यों.
केजरीवाल: ऐसा नहीं हैं आम आदमी पार्टी नज़र आ रही हैं. अपने अपने तरीके हैं, प्रासंगिकता उनको साबित करनी हैं, उनका कितना वोट शेयर हैं लोकसभा में.
आज तक- 14 फीसदी 15 फीसदी
केजरीवाल: 14 फीसदी, हमारा तो 34 फीसदी आया हैं, और आप हमारी प्रासंगिकता की बात कर रहे हो, उनकी नहीं.
आज तक- लेकिन क्योकि आम आदमी पार्टी जितनी तेजी से उभरी उसके बाद सातों मे से एक भी सीट न आना दिल्ली में लोकसभा में.
केजरीवाल: सर पूरे देश में हवा क्या चल रहीं थी पॉलिटिकल माहौल क्या था उस आंधी के अंदर खड़े होकर और सैकेंड नम्बर पर और अपना वोट और अपना वोट शेयर बढ़ाना बहुत बडी़ बात हैं. मैं आपको एक छोटा सा उदाहरण देता हूं, करावल नगर में सोनिया विहार वार्ड, जो कि बीजेपी का गढ़ माना जाता हैं, बिल्कुल बीजेपी का हार्डकोर गढ़ वहां पर भी हमने सर्वे कराया हैं किसी से, इन्डिपेन्डेन्ट सर्वे, 2000 फैमलीज का एक ही वार्ड में सर्वे, बहुत बड़ा सैंपल हैं मतलब 4-5 हजार तो फैमिलीज ही होती हैं, 50 प्रतिशत हो गया, उसने पूछा उनसे, एक सवाल पूछा कि आपने लोकसभा में किसको वोट दिया था और अगर अभी विधानसभा चुनाव होता हैं तो आप किसे वोट देंगे. 63 प्रतिशत लोगों ने कहा कि हमने बीजेपी को वोट दिया था लोकसभा में, 30 प्रतिशत लोगों ने कहा कि हमने आम आदमी पार्टी को वोट दिया था.
अगर विधानसभा के चुनाव होते तो किसे वोट देते, 46 प्रतिशत लोगों ने कहा कि आम आदमी पार्टी को वोट देंगे. 43 प्रतिशत ने कहा बीजेपी को वोट देंगे. इस प्रकार 63 प्रतिशत से 43 प्रतिशत पर आ रहा हैं बीजेपी का वोट बैंक लोकसभा से विधानसभा में और हमारा 30 प्रतिशत से 49 प्रतिशत. 20 प्रतिशत हमारा बढ़ रहा है, उनका 20 प्रतिशत कम हो रहा हैं. ये फिनोमिना आपको विधानसभा में देखने को मिलेगा. मैं ये बात मानता हुं कि दिल्ली में लोग नाराज़ हैं लेकिन ये पॉजिटिव नाराजगी हैं जो अपनों से नाराजगी होती हैं वो नाराजगी हैं, मैं कई लोगों से बात करता हुं ,खूब लड़ेंगे मेरे से, सरकार नहीं छोड़नी चाहिए थी आपको सरकार छोड़कर चल गए आप देखो कितना अच्छा काम कर रहे थे आप, फिर में उनसे पूछता हुं वोट किसे देंगे, नहीं वोट तो आपको ही देंगे. लेकिन ये सब नहीं करना चाहिए था आपको, तो ये पॉजिटिव नजरिया है. ये सारी की सारी नाराजगी तो है वह वोट में तब्दील होगी.
आज तक: क्या लोगों की नाराजगी है कि जिसकी वजह से अरविन्द केजरीवाल जगह-जगह धरना प्रदर्शन नहीं करते बल्कि नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिखते हैं.
केजरीवाल: धरना-प्रदर्शन की क्या जरुरत हैं, धरना-प्रदर्शन की जरुरत होगी तो करेंगे. अगर कल करना होगा तो कल करेंगें. अभी बहुत सारे तरीके हैं केवल न्यूज में बने रहना ही एक वो नहीं हैं, हमने अपने सारे एमएलए, मनीष के साथ हर्षवर्धन के पास गये थे, और कल मैंने कल नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी, अब देखते हैं आने वाले दिनों में करेंगे कुछ. जनता खुद ही कह रही हैं, अगर बिजली कम्पनियों को कोई ठीक कर सकता हैं तो अरविन्द ही ठीक कर सकता है.
इन बिजली कंपनियों को पता चल गया, 9 फरवरी के आस पास के अखबार उठाकर देख लीजिए, अगले दिन हेडलाइन थी, बिजली का संकट टला. बिजली का संकट 24 घंटे में टला. आपको सख्ती दिखानी पड़ेगी. आज दिल्ली में पावर मिनिस्टर पीयूष गोयल खुद ही कह रहे हैं, बिजली की कमी नहीं है. तो किसकी कमी है. कमी है बिजली कंपनियां ब्लैकमेल कर रही हैं. तो बिजली कंपनियों से मिली हुई है बीजेपी. क्यों नहीं सख्ती करती, जैसे हम लोगों ने की थी. अपने प्रेस कॉफ्रेंस में बीजेपी वाले इन कंपनियों को डिफेंड करती हुई नजर आ रहे हैं. मैं आपको एक उदाहरण देता हूं. मेरा एक दोस्त मयूर विहार में रहता है, वो बता रहा था कि सारी रात उसके घर बिजली नहीं आई. सबेरे उठकर उसने बिजली कंपनी के डीजीएम को फोन किया – जी बिजली नहीं आई सारी रात. पता है वो क्या कहता है? वो कहता है ट्रांसफॉर्मर में तेल नहीं है, तो उन्होंने कहा तेल डाल दो, उन्होने कहा 11 बजे इंवेंट्री खुलेगी, तब डालेंगे. सारी रात बिजली नहीं थी, सबेरे बिजली नहीं और 11 बजे इनकी इंवेंट्री खुलेगी, तो ये तेल डालेंगे, ये समस्या है. आप बिजली कंपनियों को ठीक नहीं कर सकते. बिजली कंपनियों के साथ जो दिल्ली सरकार नें एग्रीमेंट किया है, उस एग्रीमेंट में लिखा हुआ है कि 24 घंटे बिजली सप्लाई करना इन कंपनियों का काम है. मेंटेनेंस इनका काम है. अगर बिजली कंपनियां ये नहीं कर रही हैं तो इन पर पेनल्टी लगाई जाए. सख्त पेनल्टी लगाई जाए, और अगले महीने लोगों के बिल कम कर के वो रिफंड किए जाएं, देखो ये ठीक हो जाएंगे.
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