आम आदमी पार्टी ने उपराज्यपाल नजीब जंग पर हमला तेज कर दिया है. 5 सवाल पूछते हुए आप ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल ने दिल्ली के हित में कोई काम नहीं किया है तो फिर क्यों वो मंझे हुए राजनेता की तरह एक के बाद एक इंटरव्यू दे रहे हैं.
बुधवार को पार्टी के नेता दिलीप पांडे ने प्रेस कॉंन्फ्रेंस के दौरान कहा कि जिस बेबाकी से दिल्ली के लाटसाहब नजीब जंग नरेंद्र मोदी जी की सिखाई बात को पढ़ रहे हैं, क्या उतनी ही बेबाकी से दिल्ली के कुछ जनहित के मुद्दों पर भी अपनी राय और अपनी जिम्मेदारियों को जनता के समक्ष रखेंगे. जिन विभाग पर उपराज्यपाल का अधिकार है, उन्होंने वहां कोई झंडे नहीं गाड़े. डीडीए टैक्स रेवेन्यू का टारगेट पूरा नहीं कर पाई और एमसीडी सबसे भ्रष्ट एजेंसी बन गई है. ढाई साल में महिलाओं के खिलाफ अपराध भी बढ़ गए है.
आम आदमी पार्टी ने कहा कि वो दिल्ली की जनता के हित से जुड़े कुछ ऐसे ही मुद्दों पर उपराज्यपाल से 5 सवाल पूछ रहे हैं और उम्मीद है कि उपराज्यपाल साहब इन सवालों का उत्तर हमें जरूर देंगे, ताकि वो भी दिल्ली की जनता के प्रति अपना नजरिया साफ कर सकें.
आम आदमी पार्टी के उपराज्यपाल से 5 सवाल-
1. श्रीमान उपराज्यपाल, आपका कहना है कि केंद्र सरकार से टकराव की स्थिति आज दिल्ली सरकार की वजह से हुई है, हम आपसे पूछना चाहते हैं कि केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए 21 मई 2015 के उस नोटिफिकेशन के बारे में आपकी क्या राय है, जिसमें केंद्र ने दिल्ली सरकार से बहुत सारी शक्तियां छीनकर अपने हाथ में ले ली थी? उस नोटिफिकेशन को जारी करने की वजह क्या थी?
2. श्रीमान उपराज्यपाल, आपने दिल्ली सरकार की उस नीति को क्यों रद्द कर दिया, जिसमें केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के स्कूलों में पढ़ा रहे 17 हजार अतिथि शिक्षक को नियमित किए जाने का प्रावधान किया था?
3. श्री नजीब जंग साहब, आपने दिल्ली सरकार द्वारा तैयार की गई प्रीमियम एसी बस सेवा की नीति को क्यों रद्द कर दिया? इस योजना से दिल्ली के लोगों को सुविधा मिल रही थी, और इस बस सेवा की तारीफ खुद केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली भी कर चुके हैं.
4. श्रीमान उपराज्यपाल, क्या यह तथ्य सही है कि आपने दिल्ली सरकार के उस नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया है, जिसमें दिल्ली सरकार ने राजधानी की सड़कों पर अलग से बस लेन सर्विस का प्रावधान किया था? इस योजना से संभवत राजधानी की सड़कों पर बढ़ते यातायात के दबाव से राहत मिलती.
5. श्रीमान उपराज्यपाल, क्या यह तथ्य भी सही है कि आपके ही डीडीए के मुखिया होने के नाते आपकी यह संस्था दिल्ली के नगर निगमों को प्रॉपर्टी टैक्स का बकाया 1200 करोड़ रुपए नहीं दे पाई है? जिसकी वजह से नगर निगम के कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं मिल पा रही है, और वक्त-बेवक्त दिल्ली की जनता भी फैलते कूड़े की वजह से दूषित माहौल में रहने को मजबूर होती है.