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बवाना उपचुनाव: केजरीवाल की रणनीति के आगे फेल हो गया मनोज तिवारी का ये दांव

दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर कमान संभालने के बाद मनोज तिवारी के नेतृत्व में बीजेपी ने एमसीडी चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल की. मगर बवाना सीट गंवाना उनके लिए बड़ा झटका है.

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अरविंद केजरीवाल और मनोज तिवारी
अरविंद केजरीवाल और मनोज तिवारी

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दिल्ली उपचुनाव में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने कमबैक किया है. राजौरी गार्डन विधानसभा हारने और एमसीडी चुनाव में उम्मीद के अनुकूल नतीजे न आने के बाद बवाना सीट से AAP उम्मीदवार ने जबरदस्त जीत दर्ज की है.

ये जीत अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के लिए काफी अहम मानी जा रही है. इस सीट का विश्लेषण करें तो केजरीवाल की रणनीति के आगे बीजेपी और कांग्रेस की ताकत फीकी पड़ती नजर आती है.

सुरक्षित सीट है बवाना

बवाना सुरक्षित सीट है और आम आदमी पार्टी ने यहां से अपने कार्यकर्ता रामचंद्र को उम्मीदवार बनाया था. वहीं बीजेपी ने वेद प्रकाश को टिकट दिया था. वेद प्रकाश एमसीडी चुनाव से पहले ही आम आदमी पार्टी का साथ छोड़कर बीजेपी में चले गए थे. वेद प्रकाश बवाना से ही विधायक थे. उनके बीजेपी में जाने के बाद ही ये उपचुनाव कराया गया.

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2015 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में एकतरफा जीत हासिल की थी. पार्टी ने 70 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बवाना सीट से भी आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर वेद प्रकाश ने बाजी मारी थी. बता दें इस सीट पर आम आदमी पार्टी ने सबसे ज्यादा मतों से जीत दर्ज की थी. इस बार भी आम आदमी पार्टी ने बड़ी जीत दर्ज की और बीजेपी उम्मीदवार को 24052 हजार वोटों से हराया.

केजरीवाल की रणनीति

जब बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता वेद प्रकाश को उम्मीदवार बनाया तो AAP ने इसके मुकाबले रामचंद्र पर दांव खेला. इसकी बड़ी वजह रामचंद्र का शाहबाद डेरी इलाके से होना रहा. बवाना विधानसभा सीट पर कुल 2 लाख 90 हजार के करीब वोट हैं. इनमें से करीब एक लाख वोटर शाहबाद डेरी इलाके से आते है. रामचंद्र खुद यहीं के रहने वाले हैं और उनकी इलाके में अच्छी खासी पकड़ है.

इस चुनाव में कांग्रेस ने ग्रामीण इलाकों पर काफी जोर दिया था. हालांकि, इन इलाकों में बीजेपी का पारंपरिक वोट रहा है. कांग्रेस ने एक बार फिर अपने तीन बार के विधायक सुरेंद्र कुमार को मैदान में उतारा था. चुनावी नतीजों पर गौर करें तो शुरूआती रुझान में कांग्रेस उम्मीदवार आगे नजर आए. सात राउंड की काउंटिंग तक सुरेंद्र कुमार आगे रहे. इसके बाद AAP उम्मीदवार रामचंद्र ने लीड ले ली. जो उनकी जीत तक जारी रही.

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2008 में मिले थे 17 हजार वोट

रामचंद्र ने बवाना सीट पर बीएसपी के टिकट से चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में रामचंद्र को 17 हजार के करीब वोट हासिल हुए थे.

बहुत कम रहा था मतदान

दिल्ली में मतदाताओं की दृष्टि से सबसे बड़े इस विधानसभा क्षेत्र में 23 अगस्त को मतदान हुआ था. यहां वोटिंग प्रतिशत महज 45 फीसदी रहा था. बावजूद इसके आप उम्मीदवार ने बड़े अंतर से जीत हासिल की. जबकि 2015 विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 61.83 फीसदी मतदान हुआ था.

मनोज तिवारी को झटका

दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर कमान संभालने के बाद मनोज तिवारी के नेतृत्व में बीजेपी ने एमसीडी चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल की. मगर बवाना सीट गंवाना उनके लिए बड़ा झटका है.

इस सीट पर करीब 30 फीसदी पूर्वांचल वोट है. भोजपुरी स्टार होने के नाते भी मनोज तिवारी की यहां अच्छी पैठ है. उन्होंने चुनाव प्रचार में भी पूरा जोर लगाया और कीरब 20 सभाएं कीं. रिक्शा वाले के यहां भोजन भी किया और स्लम बस्ती में भी वो गए.

दूसरी तरफ AAP विधायक को बीजेपी में शामिल कर उसे अपना उम्मीदवार बनाने का दांव भी उनके काम नहीं आया. मनोज तिवारी ने हार की जिम्मेदारी भी स्वीकार की. बीजेपी उम्मीदवार को 34501 मत पड़े हैं.

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कांग्रेस ने किया बेहतर

भले ही कांग्रेस की ये पारंपरिक सीट रही हो मगर एक बार फिर आम आदमी पार्टी ने उसे झटका दिया है. हालांकि, ये भी सच है कि कांग्रेस ने पिछले चुनाव के बाद बेहतर प्रदर्शन किया है. कांग्रेस उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह 30758 वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे हैं. नतीजों के बाद दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा जनता का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया है. पिछले चुनाव में 7.8 फीसदी वोट के बाद अब उन्हें 25 फीसदी मत मिले हैं.

बहरहाल, इस जीत ने जहां आम आदमी पार्टी को राजौरी गार्डन और एमसीडी चुनाव में परास्त के दर्द को जरूर कम किया होगा. वहीं कांग्रेस को बढ़े वोट प्रतिशत से ऑक्सीजन मिली है. लेकिन इस हार से बीजेपी के विजय रथ को जरूर झटका लगा है.

 

 

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