दिल्ली चुनाव आयोग द्वारा सरकारी योजनाओं, मोहल्ला क्लिनिक और सार्वजनिक वाहनों पर आम आदमी शब्द हटाने के निर्देश आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने आयोग को खत लिखकर ऐतराज जताया है. AAP का आरोप है कि आयोग पार्टी विशेष के लिए कार्य कर रहा है.
दिलीप पांडे ने चिट्ठी में लिखा, 'जैसा कि हमारी जानकारी में आया है राज्य चुनाव आयोग ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को सभी सरकारी बिलबोर्ड, सरकारी योजनाएं, मोहल्ला क्लिनिक और पब्लिक ट्रांसपोर्ट बसों से 'आम आदमी' शब्द हटाने के निर्देश दिए हैं. चुनाव आयोग द्वारा यह निर्देश हमारे राजनीतिक प्रतिद्वंदी और BJP विधायक श्री विजेंद्र गुप्ता द्वारा लिखे गए एक पत्र के आधार पर जारी किया गया है.'
AAP का आयोग पर आरोप
दिलीप पांडे ने लिखा, 'आम आदमी मोहल्ला क्लिनिक की अवधारणा हेल्थकेयर के क्षेत्र में एक नई क्रांति की तरह है और दुनिया भर में इस मॉडल की सराहना की जा रही है. यह सब जानते हैं कि बीजेपी जैसी जन-विरोधी ताकतों ने इस तरह की योजनाओं को रोकने के लिए काफी कोशिश की हैं और दिल्ली सरकार को काफी परेशान किया है. इस कार्यक्रम को पटरी से उतारने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन हम स्तब्ध इस बात से हैं कि चुनाव आयोग के रूप में एक संवैधानिक निकाय कुछ राजनीतिक ताकतों की अधीनस्थ संस्था के रूप में कार्य कर रहा है और उनसे आदेश ले रहा है.'
खत में चुनाव आयोग पर दल विशेष के लिए काम करने का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि यह आयोग का संवैधानिक कर्तव्य है कि वह सभी हितधारकों के लिए एक समान मंच को सुनिश्चित करे और किसी भी राजनीतिक दबाव में न आए.
अन्य दलों के शब्दों पर सवाल
AAP ने पूछा है क्या इसका मतलब यह है कि अब आयोग जहां-जहां 'भारतीय' और 'जनता' शब्द सरकारी भवनों, प्रतिष्ठानों और बिलबोर्ड पर दिखाई देते हैं, उन्हें हटाने और कवर करने का आदेश देंगा क्योंकि ये दोनों शब्द भी एक राजनीतिक दल के नाम में शामिल हैं और उस दल का नाम है ‘भारतीय जनता पार्टी’. इसी तरह आयोग क्या उन सभी भारतीय इमारतों, प्रतिष्ठानों और बिलबोर्ड से 'इंडियन' और 'नेशनल' शब्दों को भी हटाने का आदेश देगा क्योंकि ये शब्द भी एक राजनीतिक दल ‘इंडियन नेशनल कांग्रेस’ के नाम को इंगित करते हैं?
राज्य सरकार का पक्ष जानने की अपील
AAP प्रवक्ता ने चिट्ठी में कहा है कि अगर आयोग को ‘आम आदमी’ शब्द को हटाने का आदेश पारित करने की आवश्यकता महसूस होती है, तो ऐसे किसी भी आदेश से पहले राज्य सरकार और आम आदमी पार्टी को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाना चाहिए.