डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर पहुंची सीबीआई की टीम ने आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. पूरे मामले में केजरीवाल सरकार ने 'टॉक टू एके' कार्यक्रम से जुड़े तथ्य सामने रखे हैं. 'आजतक' को मिली जानकारी के मुताबिक सरकार ने दावा किया है कि 'टॉक टू एके' की शुरुवात के लिए तमाम नियमों का पालन किया गया था.
दिल्ली सरकार से 'आजतक' को मिले एक नोट में जानकारी दी गयी है कि 'जून 2016 के आखिर में ये तय किया गया कि मुख्यमंत्री फेसबुक, गूगल, यू ट्यूब के जरिये जनता से सीधे संवाद करेंगें. जनता से सवाल मांगे जाएंगे और उनके जवाब दिए जाएंगे. इसके लिए दिल्ली सरकार के सूचना एवं प्रचार विभाग (डीआईपी) को कहा गया कि 8 जुलाई से इस कार्यक्रम को लेकर प्रचार-प्रसार करे. डीआईपी का जवाब आया कि उनके पास यू ट्यूब, फेसबुक, गूगल इत्यादि के जरिये प्रचार-प्रसार के संसाधन नही है. इसलिए दिल्ली सरकार के साथ पहले से ही काम कर रही कंसल्टेंट एजेंसी परफेक्ट रिलेशन से पूछा गया कि क्या वो इस काम को करने में सक्षम है?
सरकार के मुताबिक परफेक्ट रिलेशन ने कहा कि गूगल, फेसबुक, यू ट्यूब ऐसे माध्यम है, जिनका दुनिया भर में कोई कंप्टीशन नही है. ये दुनिया भर में अपनी तरह की इकलौती कंपनियां हैं. इसलिए विज्ञापन देने के लिए इनका कोई टेंडर कंप्टीशन नही हो सकता. कंसल्टेंट कंपनी परफेक्ट रिलेशन ने कहा कि गूगल, फेसबुक, यू ट्यूब से उनके द्वारा निर्धारित रेट पर ये काम वो करा सकती है.
केजरीवाल सरकार का दावा है कि कंसल्टेंट कंपनी परफेक्ट रिलेशन ने 6 जुलाई को अपना प्रपोजल दिया, जिसके बाद परफेक्ट रिलेशन को ये काम 3 शर्तों के साथ दिया :
1. कंसल्टेंट कंपनी एक अंटरटेकिंग देगी कि फेसबुक, यू ट्यूब और गूगल द्वारा तय किये गए रेट कम से कम और नॉन-नेगोसियबल हैं. कंसल्टेंट कंपनी इन कंपनियों से किसी भी तरह की रियासत, छूट या कमीशन नहीं लेगी और अगर कंसल्टेंट को किसी
तरह की रियासत, छूट या कमीशन या और किसी भी तरह का फायदा मिलता है तो वह उसके बिलों से काट लिया जाएगा.
2. इस काम के लिए कंसल्टेंट कंपनी को डीआईपी के साथ अनुबंध में उपलब्ध शर्तो के अलावा किसी भी तरह का चार्ज नही दिया जाएगा.
3. सरकार इसके लिए कोई एडवांस पेमेंट नही देगी और न ही रियल टाइम टाइम पेमेंट दिया जाएगा. भुगतान एक्चुअल बिल जमा करने के बाद ही किया जाएगा.
आपको बता दें कि इस मामले में डीआईपी ने 8 जुलाई, 2016 को इस संबंध में पूरी जानकारी की फ़ाइल दिल्ली सरकार के वित्त विभाग को भेजी थी. वित्त विभाग ने इन बातों को एग्जामिन करके 11 जुलाई, 2016 को कहा कि डिपार्टमेंट इसे कैबिनेट अप्रूवल के लिए ले जाए. 17 जुलाई को ये कार्यक्रम सुचारु रूप से सम्पन्न हुआ. वित्त विभाग के प्रस्ताव पर पूरे मामले को 1 सितंबर को कैबिनेट के अप्रूवल के लिए रखा गया और इसके भुगतान को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी. हालांकि पूर्व उप-राज्यपाल नजीब जंग ने इस मामले में सीबीआई केस दर्ज करा दिया था, जिस सिलसिले में जांच के लिए सीबीआई डिप्टी सीएम के घर पहुंची थीं.
आम आदमी पार्टी ने सीबीआई जांच पर सवाल खड़े करते हुए पूछा है कि 'जब सरकार ने कॉस्ट टु कॉस्ट, बिना मशीन और बिना एडवांस पेमेंट किये पहले से काम कर रही कंसल्टेंट एजेंसी को बिना किसी अतिरिक्त भुगतान के ये काम सफलतापूर्वक कराया तो इसमें घोटाला कहां हुआ? क्या कॉस्ट टु कॉस्ट बिना कमीशन काम कराना घोटाला है? क्या मुख्यमंत्री का फेसबुक, यू ट्यूब गूगल के जरिये जनता से संवाद घोटाला है?