दिल्ली में कोरोना संकट के बीच ऑक्सीजन की कमी का मामला हाईकोर्ट तक गया. केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच जमकर बहस हुई. कोर्ट ने दोनों सरकारों को फटकार लगाई, जिसके बाद अब दिल्ली में ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाई गई है. इस बीच आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रवक्ता और विधायक राघव चड्ढा ने कहा कि राजधानी में ऑक्सीजन रिजर्व बनाए जा रहे हैं, इनसे आपातकालीन हालात में अस्पतालों को ऑक्सीजन आपूर्ति की जाएगी.
राघव चड्ढा ने कहा कि जब किसी अस्पताल तक ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं पहुंच पाएगी तो दिल्ली सरकार रिजर्व स्टॉक से ऑक्सीजन पहुंचाएगी, दिल्ली में कई जगहों पर ऑक्सीजन रिस्पांस पॉइंट बनाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि दिल्ली को ऑक्सीजन की कुल जरूरत 976 मीट्रिक टन की है, जबकि 6 मई को सिर्फ 577 मीट्रिक टन ऑक्सीजन ही मिली है, केंद्र सरकार से दिल्ली को कुल मांग की 59 फीसदी ऑक्सीजन ही मिली है.
AAP नेता राघव चड्ढा ने आगे कहा कि हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद 5 मई को केंद्र सरकार ने 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी, लेकिन अगले ही दिन 153 मीट्रिक टन ऑक्सीजन कम दी. केंद्र सरकार से मांग है कि 5 मई की तरह रोजाना 730 टन से अधिक ऑक्सीजन उपलब्ध कराएं, ऑक्सीजन में गिरावट का असर दिल्ली के अस्पतालों पर पड़ सकता है.
उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार वर्तमान में मौजूद 21 हजार बेडों की संख्या को और बढ़ाना चाहती है, इसके लिए अधिक ऑक्सीजन चाहिए. केजरीवाल सरकार ने बेडों की संख्या बढ़ाने की पूरी योजना बना रखी है, बस अधिक ऑक्सीजन मिलने का इंतजार है.
AAP नेता ने दावा किया कि केंद्र सरकार से दिल्ली को कुल मांग की 59 प्रतिशत ऑक्सीजन ही मिली है, जबकि 2 दिन पहले 5 मई को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र सरकार ने 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी. अगले ही दिन यह आंकड़ा घटकर 730 से 577 मीट्रिक टन पर आ गया है. दिल्ली को की गई ऑक्सीजन की आपूर्ति में 153 मीट्रिक टन की गिरावट आयी है.
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगातार कहा है कि 1 दिन 700 मीट्रिक टन से अधिक ऑक्सीजन दे देने से आपकी जिम्मेदारी समाप्त नहीं हो जाती है. ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति रोजाना की जानी चाहिए. ऐसा नहीं हो सकता कि मरीज को एक दिन पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन दे दें लेकिन अगले दिन कम ऑक्सीजन दें. हमारी ऑक्सीजन की मांग एक दिन की मांग नहीं, बल्कि रोजाना की मांग है.