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AAP का बीजेपी पर बड़ा आरोप- दिल्ली MCD में 6000 करोड़ रुपए का हुआ घोटाला

मनीष सिसोदिया ने इस मामले में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को भी पत्र लिखा है. सिसोदिया के मुताबिक, दिल्ली में हर रोज 10 लाख कमर्शियल वाहन आते हैं उनसे पैसे लिए जाते हैं, लेकिन MCD को ये पैसे नहीं मिल रहे हैं. इतना ही नहीं सिसोदिया ने 1200 करोड़ वाला लाइसेंस 786 करोड़ में देने का भी आरोप लगाया.

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मनीष सिसोदिया (फाइल फोटो)
मनीष सिसोदिया (फाइल फोटो)

आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली नगर निगम में 6000 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया है. दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली नगर निगम में बीजेपी नेताओं की मिलीभगत से टोलटैक्स में बहुत बड़ा घोटाला हुआ है. इतना ही नहीं मनीष सिसोदिया ने मामले में सीबीआई जांच की मांग की है. 

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मनीष सिसोदिया ने इस मामले में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को भी पत्र लिखा है. सिसोदिया के मुताबिक, दिल्ली में हर रोज 10 लाख कमर्शियल वाहन आते हैं उनसे पैसे लिए जाते हैं, लेकिन MCD को ये पैसे नहीं मिल रहे हैं. इतना ही नहीं सिसोदिया ने 1200 करोड़ वाला लाइसेंस 786 करोड़ में देने का भी आरोप लगाया. 

इससे पहले बुधवार को आप ने भाजपा शासित एमसीडी पर 'एस्क्रो' खाते से 6,760 करोड़ रुपए गायब करने का आरोप लगाया था. आप विधायक और एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने दावा किया था कि एस्क्रो खाते में कुल 6800 करोड़ का पार्किंग और कन्वर्जन शुल्क जमा किया गया था. जबकि भाजपा शासित एमसीडी ने पार्किंग पर 2012 से अब तक सिर्फ 40 करोड़ रुपये ही खर्च किए हैं. 

AAP के एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक का कहना है कि एमसीडी जो भी टैक्स लेती है वह एस्क्रो खाते में जाता है. एक प्रक्रिया के तहत तय किया जाता है कि ये पैसा कहां खर्च किया जाएगा. दिल्ली की जनता जो पार्किंग और कन्वर्जन शुल्क देती है. वह सारा पैसा एस्क्रो खाते में जमा होता है. दस्तावेजों में साफ लिखा हुआ है कि यह पैसा सिर्फ और सिर्फ पार्किंग या कन्वर्जन के लिए ही इस्तेमाल किया जाएगा. लेकिन 2012 से लेकर आज तक का पार्किंग और कन्वर्जन शुल्क जोड़ा जाए तो लगभग 6800 करोड़ रुपए एमसीडी के एस्क्रो खाते में होने चाहिए.

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उन्होंने कहा कि अगर भाजपा ने पार्किंग पर सिर्फ 40 करोड़ रुपए ही खर्च किए हैं, तो इस एस्क्रो खाते में 6,760 करोड़ रुपए होने चाहिए. जबकि आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक खाते में सिर्फ 1.5 करोड़ रुपए ही बचे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि बाकी सारा पैसा कहां गया. इसकी जांच होनी चाहिए. 


 

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