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आप के मीडिया प्रबंधक विकास कुमार ने कुमार विश्वास को लिखी खुली चिट्ठी

इससे पहले सोमवार को यूथ विंग की राष्ट्रीय प्रभारी वंदना सिंह ने ट्विटर पर कुमार विश्वास को धोखेबाज कहा था.

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कुमार विश्वास के साथ विकास कुमार
कुमार विश्वास के साथ विकास कुमार

आम आदमी पार्टी के केजरीवाल कैम्प से कुमार विश्वास पर हमला करने वालों की गिनती लगातार बढ़ रही है. पार्टी के मीडिया मैनेजर विकास योगी ने एक खुला खत लिखकर विश्वास पर बड़े आरोप लगाए हैं. विकास का दावा है कि कुमार पार्टी में फूट डालने की साजिश रच रहे हैं. चिट्ठी के जरिए आरोप लगाया गया है कि दिल्ली एमसीडी चुनाव और पंजाब विधानसभा चुनाव में कैम्पेन के लिए कुमार विश्वास ने ही इंकार किया था.

इससे पहले सोमवार को यूथ विंग की राष्ट्रीय प्रभारी वंदना सिंह ने ट्विटर पर कुमार विश्वास को धोखेबाज कहा था. वंदना ने अपने ट्वीट में लिखा था, "सुबह अखबार पढ़ो, तो एक आदणीय बड़े भाई रोज पार्टी को बचाने के नाम पर पार्टी को ही गालियां देते हैं. खुद के और पार्टी के साथ धोखा बंद करो. भैया डॉ. कुमार विश्वास आप इंटरव्यू और बयानबाजी में सवाल पूछते हो, पार्टी से तो क्या मेरे जैसे वॉलिंटियर आपसे ट्वीटर पर भी नहीं पूछ सकते? जब लड़ना तय कर लिया आपने डॉ. कुमार विश्वास तो सामने से लड़िए आप जवाब दीजिए. आपकी सोशल मीडिया आर्मी तो एकदम मोदी जी की सोशल मीडिया आर्मी की भाषा बोलती है."

पढ़िए AAP के मीडिया मैनेजर का विश्वास के नाम खुला पत्र
"प्रणाम भैया, बहुत दिन से कुछ कहने की सोच रहा था लेकिन समझ नहीं आ रहा था कैसे! खुद से पूछ रहा था कि आप सही हो या मैं जो देख पा रहा हूं और जितना छोटी सी बुद्धि में जो समझ पाया वो सही है. 2011 से लेकर आजतक आपने मेरी बहुत मदद की है, हर तरह से की है, मुझे स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन इसमें एक सवाल मन में था, जब भी आपने मेरी मदद की, उसके कुछ दिन से कई दिन तक कई लोग आकर बोलते थे कि कुमार बोल रहे थे तुम्हें मदद दी है उन्होंने? भईया मैं आप जैसों के सहारे से ही जिन्दा हूं. हर कोई जो समर्थ है एक दूसरे की मदद करता है, अलग-अलग तरीके से लेकिन गाता नहीं है. और हमारी पार्टी में मेरे जैसे बहुत सारे लोग हैं जो किसी न किसी के सहारे जी रहे हैं.

मैंने आपकी राजस्थान वाली मीटिंग में सुना आप बोल रहे थे कि एक लड़की जो विधायक हो गयी है, वो आपके पास आई फर्रुखाबाद जाने के लिए मदद मांगने, भईया मैं भी उनमें से ही एक था. ऐसे कितने लोग थे जिन्होंने उस समय मदद दी होगी, कुलदीप भैया को तो आप जानते ही होंगे, उन्होंने मेरे जैसे कई लोगों का खर्चा उठाया, लेकिन आजतक किसी से कुछ नहीं बोला. और भी लोग हैं जो मदद करते हैं पर गाते नहीं हैं, उनके लिए वो दी गयी मदद, भविष्य में इस 'मदद' का जिक्र करके नाम कमाने का कोई इन्वेस्टमेंट नहीं रहा कभी. पर मेरी समझ में बिलकुल नहीं आ पा रहा है जिसकी आपकी मदद करते हैं आप उसे गाते क्यों हैं? बहरहाल, हो सकता है ये आपका स्वभाव हो, क्या कर सकते हैं.

2014 में बस आप ही चुनाव नहीं हारे थे, अरविन्द केजरीवाल भी हारे थे, आशुतोष हारे थे, आशीष खेतान हारे, गुल पनाग हारीं, मीरा सान्याल जी हारीं और भी लोग हारे, लेकिन सब लगे रहे. आप भी अपनी इच्छा अनुसार काम करते रहे. पार्टी में जहां फिर से खड़ा होने के लिए बवाल मचा हुआ था, आपकी जिन्दगी में सब सामान्य ढंग से चलता रहा, जब सारे वालंटियर्स 2014 लोकसभा की हार के बाद खून पसीना लगाकर आन्दोलन बचाने की कोशिश कर रहे थे, तब आप TV पर बैठकर अपनी हार का कारण पार्टी के नेताओं पर थोपने में लगे थे और बस रूठे हुए थे. आपका टाइम्स नाउ को दिया गया इंटरव्यू हम सब को याद है. मुझे तब कभी कभी लगता था कि आप कहीं-कहीं सही हो.

विधान सभा 2015 के घोषणा होती है. सब लोग अपना सबकुछ छोड़कर लग जाते हैं पार्टी को बचाने में. क्यूंकि ये पार्टी और आन्दोलन के अस्तित्व की लड़ाई थी. मेरा माथा ठनका कि तब भी आप रूठे हुए थे. क्या ये सच नहीं है? जब घर में घर को बचाने की लड़ाई होती है, तो सब एक साथ आ जाते हैं. लेकिन यहां दिन में सब काम करते थे और शाम को आपको मनाते थे. बाहर आपने ये मेसेज फैला रखा था कि आपको इन्वॉल्व नहीं किया जा रहा (आपने ये वाला कार्ड बार-बार खेला है). मुझे याद है वो दिन जब सब आपको प्रचार के लिए मना रहे थे. उस दिन अनजाने में मैं भी वहीं था. चुनाव में 25 दिन से कम बचे थे. किस बात का गुस्सा था ये? आपने पहली रैली शायद 19 जनवरी को की थी, तब जब सारे चैनल एक तरफ से कह रहे थे कि 'आप' की सरकार बनने वाली है. वाह, क्या सही गेम खेला, किसी वालंटियर को इसकी खबर तक नहीं लगी.

जो बात मुझे दुखी कर रही थी वो यह थी कि अमानत का वो बयान जिसमें उन्होंने आपको बीजेपी का एजेंट बोला. दुखी हुआ मैं भी, मैं भी उन पर कार्यवाही के पक्ष में था. आपके आंसू देखकर दिल मेरा भी टूटा. लेकिन मैं सोच में पड़ा हूं अभी तक कि हमारे सबसे बड़े नेता अरविन्द केजरीवाल जिनको आप भी नेता मानते हो, एक दुष्ट उन पर 2 करोड़ की नकद रिश्वत लेने का आरोप लगता है, तब आपको दुःख नहीं होता, आपके आंसू नही आते. आपसे सवाल किया गया तो आपने कहा मुझे ये गंदगी में नहीं जाना. कौन सी गंदगी? आपको अपनी वाली बात मीडिया में कहनी थी लेकिन कपिल के ऊपर PAC में बोलना था. ये क्यों भैया?

एक सप्ताह में हमारे दो मंत्री पर सीबीआई की रेड हुई जिनमें से एक आपके बचपन के दोस्त मनीष सिसोदिया जी भी हैं. राजनीती किनारे कर दें तो भी ये कैसी दोस्ती है भईया, जब पूरी पार्टी उनके कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है, पूरी दुनिया उनको उनके काम के लिए सराह रही है उनके काम के लिए. लेकिन आपको उन पर भी शक हो गया. आप एक ट्वीट उनके पक्ष में नहीं कर पाए?

आप कभी किसी को खर, दूषण बोल रहे हैं, किसी को ताड़का, किसी को गद्दार बोल देते हैं. क्या इससे पार्टी को नुकसान नहीं होता? बहुत सारे निःस्वार्थ कार्यकर्ता जो आपकी सच्चाई नहीं जानते (कि 2015 की तरह ही आपने जान बूझकर MCD में भी टिकट बंटवाने के बाद प्रचार के टाइम पर गायब हो गए, डेट ही नहीं दी, जबकि आपने फैलाया ये की आपको किसी ने पूछा ही नहीं), वो अभी भी इज्जत देते हैं आपको, उनकी उम्मीदों का क्या होगा जब वे आपकी हकीकत जानेंगे? भैया, उनमें से कई आपको सिर्फ इसलिए भी प्यार करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है की अरविन्द जी की तरह आप भी पार्टी के हित में ही सोचते रहते हैं.

ऐसा नहीं है कि मेरी कोई समस्या नहीं रहती पार्टी के साथ, लेकिन मैं अन्दर सबको बता देता था, जिनमें से आप भी एक थे और शायद प्रमुख भी थे. इसके बाद मेरे स्क्रीनशॉट वायरल किये जायेंगे, जो मैंने आपको कभी पहले किसी के बारे में लिखे होंगे, पेड कार्यकर्ता बोला जायेगा लेकिन कोई बात नहीं, मैं भी पुराना कार्यकर्ता ही हूं शायद जिनकी आप बात करते हो तो ये भी सही.

आप कहते हो कि ये पार्टी आपके घर पर 3 लोगों ने बैठकर बनायी थी, लेकिन मेरे हिसाब से तो पार्टी उन वालंटियर्स की मेहनत से बनी है जिनके नाम पर आप बन्दूक चला रहे हो. भईया आप बड़े कवि हो, आप अपनी जिंदगी चला लोगे, लेकिन इस आंदोलन में बहुत सारे लोग सबकुछ छोड़कर सड़क पर आ गए हैं, उनके सपने निजी स्वार्थ के लिए मत तोड़िये. मैं खुद अपना महीने भर का खर्चा बड़ी मुश्किल से चला पता हूं. मेरे जैसे बहुत लोग हैं.

आप बोलने में माहिर हैं, लेकिन एक सवाल मन में आता है, आप क्यों 2014 के बाद टीवी डिबेट में पार्टी के लिए लड़ते हुए दिखाई नहीं दिए? जब भी मैं आपको कॉल करता आप मना कर देते. लेकिन अपने मन से कभी कुछ बोलना होता मीडिया में तो बोल देते थे. क्या ये सच नहीं है कि आपने मुझसे कहा था मेरे बड़े-बड़े एंकर के साथ इंटरव्यू फिक्स करो 11 मार्च को, मतलब पंजाब रिजल्ट वाले दिन, लेकिन हम पंजाब हार गए और आपने प्लान बदल लिया वो क्या प्लान था वो मुझे पता नहीं. मैं आपके घर आया एक दिन, मुझे याद है आपने मुझसे कहा था MCD चुनाव में प्रचार नही करूंगा, जब जनसभाएं लगायी जा रही थीं तब मैंने आपको कॉल भी किया था लेकिन जैसे आपने कहा था पहले ही, आपने बिलकुल भी प्रचार नहीं किया. और आप कहते रहे पार्टी ने मेरा प्रयोग नहीं किया. मुझे याद नहीं है आपने किसी PAC का बहिष्कार किया हो जिसमें टिकट फाइनल हुए थे. आपने शायद एक ट्वीट तक भी नहीं किया पार्टी के लिए और पार्टी की हार में आप भी कहीं ज्यादा हिस्सेदार हो गए. लेकिन फिर भी आप सही हो! लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा कैसे? खुद की ईगो ज्यादा बड़ी है या ये आंदोलन?

मैं आपकी इज्जत करता था, हूं, और हमेशा करता रहूंगा. मेरे मन में जो था, मैंने बोल दिया. बहुत सारे लोग बाहर से सारी चीजें देखते हैं और आपको बिलकुल सही मानते हैं. मैं अंदर से देख रहा हूं, इसके बाद आपकी सोशल मीडिया आर्मी टूट पड़ेगी मेरे ऊपर, लेकिन मेरी हाथ जोड़ कर विनती है, इस पार्टी के वालंटियर्स अब भी साथ रहना चाहते हैं उनके नाम पर आप उनमें टूट मत पड़वाईये. दुखी मन से ये सब बोल रहा हूं. और मुझे गर्व रहा है कि आप मेरे बड़े भाई हो और रहोगे. लेकिन मैं इस आंदोलन और अरविन्द केजरीवाल से अपने निजी स्वार्थ के लिए गद्दारी नहीं कर सकता वरना देश माफ नहीं करेगा मुझे और न मैं खुद को कर पाउंगा.

और लिखा सिर्फ इसलिए क्योंकि आप सिर्फ अच्छा-अच्छा बोल के अच्छे बने रहो, और ये आंदोलन टूटे, ये होते हुए नहीं देख सकता. आपका अनुज. विकास"

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