लाल किला के रखरखाव की जिम्मेदारी डालमिया ग्रुप को दिए जाने को लेकर विपक्ष ने सवाल खड़ा किया है. कांग्रेस के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा और उन्होंने लाल किला को डालमिया ग्रुप को दिए जाने के दिन को इतिहास का दुखद और काला दिन करार दिया. साथ ही सवाल किया कि क्या मोदी सरकार ऐतिहासिक लाल किला की भी देखरेख नहीं कर सकती है. अब आम आदमी पार्टी ने भी लाल किले के मुद्दे पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है.
लाल किले को गोद दिए जाने पर चांदनी चौक की विधायक अलका लांबा ने केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया है. उन्होंने कहा कि जब माता-पिता बुजुर्ग हो जाते हैं और उनकी देख रेख नहीं हो पाती है तो परिवार वाले उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं. ऐतिहासिक लाल किले को डालमिया ग्रुप को गोद देकर कुछ ऐसा ही काम केंद्र सरकार ने किया है.
लांबा ने कहा कि लाल किला देश की धरोहर है. केंद्र सरकार जब इसकी देख रेख नहीं कर पा रही है तो डालमिया ग्रुप को गोद दे रही है. उन्होंने कहा, महज 5 करोड़ रुपये सालाना देकर डालमिया ग्रुप करोड़ों रुपये का मुनाफा कमाएगा. इसमें किसी छिपे गुप्त एजेंडे की ओर इशारा करते हुए लांबा ने कहा कि इसमें सरकार को कुछ न कुछ फायदा तो जरूर हुआ है जिसके चलते इस ऐतिहासिक धरोहर को गोद दे दिया.
आम आदमी पार्टी की विधायक ने कहा कि चुनाव नजदीक है और ऐसे में डालमिया ग्रुप को लाल किला देना जाहिर करता है कि चुनावों में सरकार को इस कारोबारी समूह से कितना फायदा मिलने वाला है. अलका का यह भी कहना था कि सरकार के इस फैसले का हर कोई विरोध कर रहा है. हम इसका विरोध करेंगे और इस धरोहर को किसी प्राइवेट कंपनी के हाथ में जाने नहीं देंगे.
इससे पहले तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, ''मोदी सरकार हमारे ऐतिहासिक लाल किला की देखरेख क्यों नहीं सकती है? लाल किला हमारे राष्ट्र का प्रतीक है. यह वह जगह है, जहां स्वतंत्रता दिवस के दिन तिरंगा लहराया जाता है. इसको पट्टे पर क्यों दिया गया? यह हमारे इतिहास का दुखद और काला दिन है.''