दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 21 एमएलए की सदस्यता खत्म करने या न करने का फैसला अब चंद दिनों में ही आ जाएगा. चुनाव आयोग ने इन एमएलए की सदस्यता पर मंडरा रहे खतरे के बारे में सुनवाई पूरी कर ली है. आयोग ने फैसला रिजर्व रख लिया है. अभी यह नहीं बताया गया कि फैसला कब सुनाया जाएगा, लेकिन उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में यह फैसला आ सकता है.
चुनाव आयोग ने इन एमएलए को फाइनल सुनवाई के लिए सोमवार को बुलाया था. ज्यादातर एमएलए अपने वकील के साथ आयोग के सामने पहुंचे. एक बार फिर उन्होंने यही दावा किया कि इस मामले का कोई कानूनी अधिकार नहीं बचा, क्योंकि दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले ही कह दिया है कि दिल्ली में मंत्रियों के संसदीय सचिव नहीं हो सकते.
हाईकोर्ट ने उस पद को गैरकानूनी ही करार दे दिया है और अब कोई संसदीय सचिव है ही नहीं तो फिर उस पद को गैरकानूनी या लाभ का पद कैसे कहा जा सकता, जिसका कोई वजूद ही नहीं है. आपको बता दें कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सरकार के आने के बाद 21 एमएलए को संसदीय सचिव बना दिया गया था, जिसे वकील प्रशांत पटेल ने चुनौती दी थी. उन्होंने कहा था कि संसदीय सचिव लाभ का पद है, इसलिए इन सभी एमएलए की सदस्यता खत्म होनी चाहिए.
हाईकोर्ट के फैसले के बारे में उन्होंने कहा है कि यह फैसला जुलाई 2016 में आया था और तब तक ये सभी एमएलए संसदीय सचिव थे. कोई फैसला पिछली तारीख से लागू नहीं हो सकता. आयोग ने सोमवार को इन एमएलए की करीब एक घंटे तक सुनवाई की और फिर फैसला रिजर्व रखने की सूचना दे दी.
दिल्ली में 9 अप्रैल को विधानसभा का उपचुनाव और 23 अप्रैल को नगर निगम के चुनाव हैं. हो सकता है कि उसे देखते हुए आयोग अभी फैसला रोक ले, क्योंकि उससे इन चुनावों पर असर पड़ सकता है, लेकिन कानूनी एक्सपर्ट कहते हैं कि ऐसी कोई कानूनी अड़चन नहीं है.