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मेट्रो किराया बढ़ाने पर AAP की दलील, कोलकाता मेट्रो से सीखे दिल्ली मेट्रो

पार्टी दफ्तर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिल्ली के 'आप' प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा, 'कोलकाता भी एक मेट्रो शहर है लेकिन बावजूद इसके दिल्ली में कोलकाता के मुकाबले मेट्रो का किराया ज्यादा है. दिल्ली मेट्रो में पहले 5 किलोमीटर का किराया 10 रुपये है, वहीं कोलकाता में पहले 5 किलोमीटर के सफर का किराया 5 रुपये है.'

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सौरभ भारद्वाज
सौरभ भारद्वाज

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दिल्ली मेट्रो का किराया बढ़ाने को लेकर घिरी आम आदमी पार्टी अजीब दलीलें लेकर सामने आ रही है. 'आप' नेताओं के मुताबिक दिल्ली मेट्रो में सफर करना कोलकाता मेट्रो में सफर करने के मुकाबले महंगा है. पार्टी नेताओं ने कोलकाता मेट्रो और दिल्ली मेट्रो की तुलना करते हुए आरोप लगाया है कि किराया बढ़ाने में डीएमआरसी और केंद्रीय मंत्रालय अपनी मनमर्जी चला रहे हैं.

मेट्रो चीफ से मिलेंगे AAP विधायक

आम आदमी पार्टी के पांच विधायकों का एक दल मेट्रो चीफ मंगू सिंह से मंगलावर की सुबह 10:30 बजे  मुलाकात भी करेगा. इससे पहले पार्टी नेता डीएमआरसी के खातों को जनता के सामने रखने की मांग भी कर चुके हैं. 'आप' नेताओं का तर्क है कि मेट्रो का किराया बढ़ने से सड़क पर ट्रैफिक जाम और शहर का प्रदूषण बढ़ सकता है.

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कोलकाता की तुलना में महंगी दिल्ली मेट्रो

पार्टी दफ्तर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिल्ली के 'आप' प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा, 'कोलकाता भी एक मेट्रो शहर है लेकिन बावजूद इसके दिल्ली में कोलकाता के मुकाबले मेट्रो का किराया ज्यादा है. दिल्ली मेट्रो में पहले 5 किलोमीटर का किराया 10 रुपये है, वहीं कोलकाता में पहले 5 किलोमीटर के सफर का किराया 5 रुपये है. अधिकतम किराए की बात करें तो दिल्ली में जहां 32 किलोमीटर और उससे ज्यादा का सफर मेट्रो में करने पर 50 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं, वहीं कोलकाता में 25 किलोमीटर और उससे ज्यादा का सफर करने के लिए 25 रुपये का अधिकतम किराया लगता है.'

नहीं सुनी गई दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि की बात

उधर 'आप' नेता आशुतोष ने मेट्रो किराया बढ़ाने पर केंद्र सरकार पर हमला तेज कर दिया है. आशुतोष का कहना है कि फेअर फिक्सेशन कमिटी में दिल्ली सरकार की तरफ से कमिटी के सदस्य रहे केके शर्मा ने 30 जून का वो पत्र भी कमिटी को सौंपा था, जिसमें मेट्रो किराया बढ़ाने का पुरजोर विरोध किया गया था. 'आप' नेता आशुतोष के मुताबिक जब दिल्ली सरकार के मत को महत्व ही नहीं दिया गया तो कमिटी में एक चुनी हुई सरकार के प्रतिनिधि को शामिल करने का क्या फायदा हुआ?

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