लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ एक और महारैली में विपक्षी नेता दिल्ली के जंतर-मंतर पर जुटे. आम आदमी पार्टी के नेतृत्व में ये दल विभिन्न मुद्दों पर मोदी सरकार घेरने के लिए रैली की. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने रैली का नेतृत्व किया. इस रैली में ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडू समेत तमाम विपक्षी नेता जुटे. बीजेपी के बागी नेता शत्रुघ्न सिन्हा यहां भी पहुंचे.
मोदी जी संविधान के चीथड़े उड़ाना चाहते हैं: केजरीवाल
रैली में केजरीवाल ने कहा कि 5 साल पहले पिछली सरकार के खिलाफ आंदोलन हुआ. अब संसद के आखिरी दिन आज ये आंदोलन हो रहा है. मोदी जी ने सीबीआई के 40 अफसर कोलकाता भेजे थे. मोदी जी ने चुनी हुई सरकार पर अतिक्रमण करने के लिए भेजा था. उस दिन अगर कोलकाता के पुलिस कमिश्नर गिरफ्तार हो जाते तो पूरे देश में संदेश जाता कि आपको राज्य सरकारों से डरने की जरूरत नहीं है, केंद्र सरकार से डरना है. मोदी जी संविधान के चीथड़े उड़ाना चाहते हैं. ममता बनर्जी को मैं सैल्यूट करना चाहता हूं. उन्होंने संविधान का साथ दिया.
ममता बोलीं, सिर्फ 20 दिन की बात है
केजरीवाल की रैली में ममता बनर्जी ने कहा कि आज मोदी जी का संसद में आखिरी दिन है. एक महीने बाद आचार संहिता लग जाएगी. सिर्फ 20 दिन का मामला है. उसके बाद मोदी जो चाहें, नहीं कर पाएंगे. फिर सब कुछ चुनाव आयोग के नियंत्रण में होगा. सिर्फ 20 दिन की बात है. जो डरते हैं वह मरते हैं. जो लड़ते हैं वह जीतते हैं और कामयाब होते हैं. हम डरते नहीं हैं. हम कायर नहीं हैं, लड़ने वाले हैं.
फारूक अब्दुल्ला बोले, धर्म में भारत को नहीं बांट सकते
आप के मंच पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला पहुंचे. उन्होंने कहा कि उस खून को याद करना चाहिए जो जलियावाला कांड में बहा था वो धर्म में बांटा नहीं जा सकता. ना हिन्दू का और ना मुसलमान का, ये हर हिंदुस्तानी का भारत है. फारूक ने कहा कि देश को उनसे बचाना है जो देश को तोड़ रहे हैं, लेकिन हम इनको आसानी से नहीं हटा सकते जब तक हमारे दिल साफ़ नहीं होंगे.
फारूक ने कहा कि लोग कहते हैं हम प्रधानमंत्री बनेंगे, अरे पहले आज के प्रधानमंत्री को हटाओ तब तो प्रधानमंत्री बनोगे.
पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए फारूक ने कहा कि बनिहाल से रामबन तक आजतक वो ठीक नहीं कर सके. मोदी जी कभी तो सच बोल लिया करो. मै अल्लाह के पास पहुंच जाऊंगा लेकिन तब भी वो रेल नहीं पहुंचेगी. सबको ऊपर जाना है. तब अमित शाह बचाने नहीं आएंगे. फारूक ने कहा कि हमें आपस में बांटा जा रहा है. यह लोग अगर वापस आ गए तो खुदा जाने क्या करेंगे. हमें आपस के मतभेदों को बुलाना होगा.Picture of the day!
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ममता के आने से पहले गए येचुरी-डी राजाAll political parties have come together to join the "तानाशाही हटाओ - लोकतंत्र बचाओ सत्याग्रह" of @ArvindKejriwal at #JantarMantar #SaveIndianDemocracy #UnitedOpposition pic.twitter.com/Oajo5W5BAC
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दिल्ली के जंतर मंतर पर आप द्वारा आयोजित 'तानाशाही हटाओ, देश बचाओ' रैली शुरू हो गई है. इस रैली को विपक्षी दल के तमाम नेता संबोधित करेंगे.विपक्षी दल के नेताओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है. आरजेडी की ओर से सांसद जयप्रकाश यादव पहुंचे हैं. हालांकि बंगाल की सियासत की ताप जंतर-मंतर के मंच पर भी देखने को मिली. ममता बनर्जी के आने से पहले ही वामपंथी नेता सीताराम येचुरी और डी राजा वहां से चले गए.
बीजेपी के बागी नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि मैं इस कार्यक्रम को अपना समर्थन देता हूं. 2014 में प्रचार तंत्र का इस्तेमाल किया गया. नया प्रधानमंत्री उभर कर सामने आया. क्या-क्या वायदे हुए. क्या-क्या बातें कही गईं.
आप पार्टी के दिल्ली संयोजक गोपाल राय के मुताबिक रैली में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और एनसीपी के प्रमुख शरद पवार हिस्सा लेंगे.
उन्होंने बताया, समाजवादी पार्टी, डीएमके, राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रीय लोक दल और अन्य पार्टियों के नेता भी महारैली को संबोधित करेंगे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी रैली में शामिल होने का निमंत्रण भेजा गया है.
दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने बताया कि पार्टी ने उन सभी विपक्षी नेताओं को निमंत्रण भेजा है जो पिछले महीने तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष बनर्जी की ओर से आयोजित की गई भाजपा विरोधी रैली में आए थे. सूत्रों ने बताया कि आम चुनाव में कुछ महीने ही शेष रह गए हैं, ऐसे में यह रैली भाजपा और उसके गठबंधन NDA के सहयोगियों को चुनौती देने के वास्ते एक महागठबंधन बनाने के लिए विपक्षी नेताओं को साथ लाएगी.
इससे पहले मंगलवार को एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में विपक्षी दलों की एकता एक बार और देखने को मिली. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को राज्य की भाजपा सरकार ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में शामिल होने से रोक दिया. इस मामले को समाजवादी पार्टी ने जोरशोर से उठाया. इसकी गूंज संसद में भी सुनाई दी और देशभर के विपक्षी दलों के नेताओं ने भाजपा सरकार के इस कदम की निंदा की.
इससे पहले, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के दिल्ली में एक दिवसीय अनशन और उससे पहले ममता बनर्जी के केंद्र सरकार के खिलाफ धरने में भी विपक्षी नेताओं की एकजुटता देखने को मिली थी.