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AAP के एक महीने का रिपोर्ट कार्डः किसी भी बड़े प्रोजेक्ट को नहीं मिली मंजूरी

दिल्ली में आम आदमी पार्टी का पहला एक महीना पूरा हो चुका है लेकिन केजरीवाल सरकार ने इस दौरान एक भी बड़े प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं दी है.

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

दिल्ली में आम आदमी पार्टी का पहला एक महीना पूरा हो चुका है लेकिन केजरीवाल सरकार ने इस दौरान एक भी बड़े प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं दी है. दरअसल 10 करोड़ से ज़्यादा बजट वाले किसी भी प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के लिए व्यय एवं वित्त समिति यानी ईएफसी की मीटिंग करनी होती है, जिसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री करते हैं. अगर किसी प्रोजेक्ट की लागत 50 करोड़ से अधिक की होती है तो उसे मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली ईएफसी में लाना जरूरी होता है.

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लेकिन केजरीवाल सरकार के पहले एक महीने में इस कमेटी की कोई भी मीटिंग नहीं हुई लिहाजा 10 करोड़ से ज़्यादा लागत वाली एक भी योजना पास नहीं की गई.

गौरतलब है कि गुरुवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नए मुख्य सचिव के के शर्मा और दिल्ली सरकार के सभी विभागों के मुखिया की मीटिंग बुलाई है. इस मीटिंग में पिछले एक महीने के कामकाज की समीक्षा की जानी है.

पिछले साल जब दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा था तब भी दिल्ली में ईएफसी की तीन मीटिंग हुई थी, जिसमें कई स्कूलों की नई बिल्डिंग का प्लान भी पास करवाया गया था. नए प्रोजेक्ट को पास करवाना इस लिहाज से भी जरुरी है क्योंकि आम आदमी पार्टी ने अगले 5 सालों में 500 नए स्कूल, 20 नए कॉलेज बनाने का वायदा किया था. इसके अलावा दिल्ली में पिछले दो साल से नए 1500 बसों का टेंडर भी अटका पड़ा है. इसे भी जल्द से जल्द मंजूर किया जाना जरूरी है.

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मुख्यमंत्री की गद्दी संभालने के बाद से ही आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल को एक के बाद एक तीन बड़े झटके लगे हैं.

1. प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव PAC से निकाले गए
आम आदमी पार्टी में आपसी द्वंद्व चल रहा है, इस अंतर कलह का खुलासा हुआ. पार्टी के चाहने वालों के यह बहुत बड़ा झटका साबित हुआ जब इसके संस्थापक सदस्यों प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाकर राष्ट्रीय कार्यकारिणी (पीएसी) से निकाल दिया गया. फिर क्या था, AAP नेताओं ने पहली बार खुलकर भड़ास निकाली. मनाही के बावजूद पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के ब्यौरे को मयंक गांधी ने अपने ब्लॉग के जरिए सार्वजनिक किया और आशीष खेतान समेत कुछ अन्य नेताओं पर निशाना साधा. इसमें उन्होंने योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को PAC से बाहर करने के लिए अरविंद केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया.

इसके बाद उनका एक और ब्लॉग आया और इसमें उन्होंने लिखा कि पहला ब्लॉग लिखने के बाद उन्हें अपमानित किया जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें बीबीएम (ब्लैकबेरी मैसेंजर) ग्रुप से भी बाहर कर दिया गया. इस ब्लॉग के जरिए उन्होंने आशंका जताई कि उन्हें अपमानित करके पार्टी से निकाल दिया जाएगा.

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प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव की ओर से भी एक लंबा-चौड़ा खत जारी किया गया जिसमें दोनों ने अपने ऊपर लगे कई आरोपों पर हैरान करने वाली बातें बताई. उन्होंने लिखा है, 'हम दोनों ने किसी भी औपचारिक या अनौपचारिक बैठक में केजरीवाल को संयोजक पद से हटाने का कोई जिक्र नहीं किया.

2. स्टिंग ऑपरेशन
पार्टी के पूर्व विधायक राजेश गर्ग ने कथित तौर पर अरविंद केजरीवाल का एक ऑडियो क्लिप जारी करते हुए यह दावा किया कि 2013 में चुनाव जीतने के बाद अपनी 49 दिनों की सरकार को बचाने के लिए अरविंद केजरीवाल और उनके करीबी नेताओं ने कांग्रेस के विधायकों को खरीदने की कोशिश की थी.

3. अंजलि दमानिया ने पार्टी से इस्तीफा दिया
स्टिंग ऑपरेशन के सामने आते ही आप कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपना इस्तीफा देने के लिए ट्विटर का सहारा लिया. दमानिया ने अपने ट्वीट में लिखा, 'मैं पार्टी छोड़ रही हूं. आम आदमी पार्टी में बकवास के लिए नहीं आई थी. सिद्धांतों के लिए अरविंद केजरीवाल के साथ थी. विधायकों की खरीद फरोख्त के लिए नहीं.'

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