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चुनाव से पहले AAP ने बुलाया पूर्ण राज्य के दर्जे को लेकर दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र

आम आदमी पार्टी का मानना है कि दिल्ली में जितने भी सरकारी संस्थान हैं, उनकी जवाबदेही दिल्ली सरकार के प्रति होनी चाहिए. और इसी मुद्दे पर ये तीन दिवसीय विधानसभा सत्र बुलाया गया है.

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सौरभ भारद्वाज
सौरभ भारद्वाज

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दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए 6 जून से चर्चा शुरू होगी. सत्र से ठीक एक दिन पहले 'आप' ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और एक प्रजेंटेशन के ज़रिये दिखाया कि बीजेपी नेताओं द्वारा 1988 से 2014 तक कब-कब पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग उठाई गई.

आम आदमी पार्टी का मानना है कि दिल्ली में जितने भी सरकारी संस्थान हैं, उनकी जवाबदेही दिल्ली सरकार के प्रति होनी चाहिए. और इसी मुद्दे पर ये तीन दिवसीय विधानसभा सत्र बुलाया गया है. 'आप' नेताओं ने पूछा है कि बीजेपी के 7 सांसदों ने क्या संसद में एक दिन भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने को लेकर चर्चा की?

'आप' प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज के मुताबिक दिल्ली में जिस भी पार्टी की सरकारें रही हैं, उन सभी ने माना है कि दिल्ली का जो प्रशासनिक ढांचा है, उसमें इतने सारे सरकारी संस्थान हैं कि आपको एक छोटे से छोटा काम कराने के लिए बहुत सारे विभागों से बात करनी पड़ती है. उन विभागों की जो जवाबदेही है वो दिल्ली सरकार के प्रति नहीं है. इस कारण किसी भी प्रकार से यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है कि वो विभाग दिल्ली के विकास के कार्य में दिल्ली सरकार का साथ देंगे.

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पार्टी दफ़्तर में प्रजेंटेशन दिखाते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि साल 1993 में भाजपा के मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना ने दिल्ली विधानसभा में खुद दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की मांग की, और कहा कि दिल्ली में बहुत सारे सरकारी संस्थान जैसे डीडीए है, एमसीडी है, डीटीसी है, जिनमें से कुछ केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आते हैं तो कुछ दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. ऐसे में दिल्ली सरकार के लिए स्वतंत्र रूप से काम कर पाना बेहद मुश्किल हैय. इसीलिए दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा दिया जाए.

साहिब सिंह वर्मा और लाल कृष्ण आडवानी का उदाहरण देते हुए सौरभ भारद्वाज ने आगे कहा कि समय-समय पर भारतीय जनता पार्टी के खेमे से दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने के लिए आवाज़ उठाई गई है. साल 1999 में जब अटल बिहारी वाजपेई चुनाव लड़ रहे थे, तो भाजपा ने अपने मेनिफेस्टो में दिल्ली की जनता से दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने का वादा किया था. एक बार फिर 2003 में पार्लियामेंट में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने का मामला उठाया गया और लाल कृष्ण आडवाणी ने इसका समर्थन किया था.

भाजपा के एक बड़े नेता वीके मल्होत्रा का हवाला देते हुए भारद्वाज ने कहा कि 2011 में जब वीके मल्होत्रा नेता विपक्ष हुआ करते थे, तब उन्होंने भी ये बात उठाई थी और विधानसभा में कहा था कि भाजपा साल 1956 से इस मुद्दे को उठाती रही है.

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साल 2013 में जब दिल्ली में विधान सभा के चुनाव हुए तो भाजपा ने अपने मेनिफेस्टो में दिल्ली की जनता से ये वादा किया कि अगर दिल्ली में भाजपा की सरकार बनती है तो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा दिया जाएगा.

आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि जब भाजपा राष्ट्रीय चुनाव की तैयारी कर रही थी और नरेन्द्र मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री दावेदार थे, तब भी भाजपा ने दिल्ली के लिए एक इस्पेशल मेनिफेस्टो तैयार कर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा दिलाने का वादा किया था. लेकिन, पिछले चार सालों में केंद्र की सत्ता संभालने के बाद भाजपा ने इस बारे में सोचा तक नहीं है. 

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