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मनीष सिसोदिया को टॉर्चर कर रही CBI, जबरन करवाना चाहती है साइन: सौरभ भारद्वाज का दावा

CBI मनीष सिसोदिया को ‘‘प्रताड़ित’’ कर रही है और उन पर झूठे आरोपों वाले कागजात पर हस्ताक्षर करने का दबाव बना रही है. आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने रविवार को ये दावा किया. आप नेता ने कहा कि सीबीआई के पास सिसोदिया के खिलाफ कोई सबूत नहीं है. CBI ने कभी भी किसी सबूत के गायब होने का उल्लेख नहीं किया.

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सौरभ भारद्वाज-फाइल फोटो
सौरभ भारद्वाज-फाइल फोटो

आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने रविवार को दावा किया कि CBI मनीष सिसोदिया को ‘‘प्रताड़ित’’ कर रही है और उन पर झूठे आरोपों वाले कागजात पर साइन करने का दबाव बना रही है.

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CBI ने 26 फरवरी को सिसोदिया को दिल्ली आबकारी नीति मामले की जांच में कथित रूप से सहयोग नहीं करने और जांचकर्ताओं के सवालों से बचने के आरोप में गिरफ्तार किया था. सीबीआई की एक विशेष अदालत ने शनिवार को सिसोदिया की हिरासत छह मार्च तक बढ़ा दी. 28 फरवरी को सिसोदिया ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था.

जबकि CBI अधिकारियों का कहना है कि एजेंसी आबकारी नीति पर विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर कानूनी राय वाली महत्वपूर्ण लापता फ़ाइल का पता लगाने के लिए सिसोदिया को हिरासत में रखना चाहती है.

सौरभ भारद्वाज ने मीडिया से कहा कि मनीष सिसोदिया को सीबीआई प्रताड़ित कर रही है और उनके खिलाफ झूठे आरोप वाले दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डाला जा रहा है. सीबीआई के पास सिसोदिया के खिलाफ कोई सबूत नहीं है. CBI ने कभी भी किसी सबूत के गायब होने का उल्लेख नहीं किया. CBI ने मनीष के आवास पर छापा मारा लेकिन कुछ नहीं मिला.

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मानसिक उत्पीड़न कर रही CBI
पांच दिन की सीबीआई हिरासत की अवधि समाप्त होने पर शनिवार को अदालत में पेश किए गए सिसोदिया ने दावा किया कि वह आठ से नौ घंटे बैठे रहे और बार-बार एक ही सवाल का जवाब दे रहे थे. सिसोदिया का कहना है कि CBI उनका मानसिक उत्पीड़न कर रही है.

इस पर न्यायाधीश ने कहा कि CBI एक ही सवाल बार बार न पूछे. पिछली सुनवाई में अदालत ने सीबीआई को थर्ड डिग्री नहीं करने का आदेश दिया था.

दरअसल, सीबीआई ने सिसोदिया को 26 फरवरी को आठ घंटे की लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था. सिसोदिया ने CBI की गिरफ्तारी को पहले सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन सर्वोच्च अदालत ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहा था कि आपको पहले दिल्ली HC जाना चाहिए. जोर देकर कहा था कि जमानत के लिए सीधे-सीधे सर्वोच्च अदालत में पहुंच जाना गलत परंपरा है.

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