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ऑड-इवन: अपने ही दावे पर AAP का यू टर्न, कहा- नहीं हुई कोई साजिश

ऑड-इवन फॉर्मूले को फेल करने के लिए साजिश की बात करने वाली केजरीवाल सरकार ने अब इस मसले पर यू टर्न ले लिया है. सरकार ने इस पहलू की जांच के लिए तीन सदस्यों की कमेटी गठित की, जिसकी रिपोर्ट में साजिश की कोई भी बात निकल कर सामने नहीं आई.

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अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल

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ऑड-इवन फॉर्मूले को फेल करने के लिए साजिश की बात करने वाली केजरीवाल सरकार ने अब इस मसले पर यू टर्न ले लिया है. सरकार ने इस पहलू की जांच के लिए तीन सदस्यों की कमेटी गठित की, जिसकी रिपोर्ट में साजिश की कोई भी बात निकल कर सामने नहीं आई.

हालांकि दिल्ली सरकार साथ ही फायर सर्विस के वो आंकड़े दे रही है, जिसके मुताबिक ऑड-इवन लागू होने के बाद आग की घटनाओं के तीन गुना बढ़ने का दावा किया गया है.

रिपोर्ट में नहीं निकली साजिश
दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में आग किसने लगाई? क्या ये सिर्फ ऑड-इवन को फेल करने की साजिश है? दिल्ली की केजरीवाल सरकार कम से कम कुछ दिनों पहले तक तो यही कह रही थी और इस थ्योरी की जांच के लिए सरकार ने आनन-फानन में तीन सदस्यों की कमेटी भी बना दी. कमेटी को यूं तो तीन दिन के भीतर में ही रिपोर्ट देनी थी, लेकिन लग गए लगभग सात दिन. जब रिपोर्ट आई, तो मामला खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाला निकला. जो परिवहन मंत्री हफ्ते भर पहले साजिश की बात कर रहे थे, रिपोर्ट आने के बाद सुर बदल गए.

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आग के पीछे एमसीडी
दिल्ली सरकार की कमेटी ने आठ पेज की रिपोर्ट गुरुवार को सौंपी. रिपोर्ट का ज्यादातर हिस्सा कूड़े के ढ़ेर यानि लैंड फिल साइट में लगी आग की बात करता है. वहां भी सरकार की रिपोर्ट साजिश की बजाए आग से निपटने के उपाय और वहां लगी आग की संभावित वजहों पर ही बात करती नजर आई, जिसमें निकम्मेपन का ठीकरा बीजेपी शासित नगर निगम पर फोड़ा गया.

इस साल बढ़े आग के मामले
लेकिन मजेदार बात ये रही कि सरकार ने ऑड-इवन के दौरान दिल्ली में पिछले साल की तुलना में ज्यादा मामलों की बात तो कह दी, लेकिन ये नहीं बताया कि इस साल अप्रैल में सामान्य तौर पर आग के मामले बढ़े हैं. यानि एक अप्रैल से 14 अप्रैल यानि ऑड-इवन लागू होने से पहले आग लगने के मामले लगभग उसी अनुपात में बढ़े जितना ऑड-इवन के दौरान.

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