दिल्ली सरकार ने मंगलवार को अवैध कॉलोनियों में रजिस्ट्री शुरू करने का फैसला किया है. MCD और AAP सरकार में एक बार फिर टकराव के आसार बढ़ गए हैं, क्योंकि MCD ले आउट प्लान पास करने की बात तो कर रही है, लेकिन ले आउट प्लान के लिए पैसे मिलने की शर्त पर. रजिस्ट्री पर रोक हटाने की तैयारी में AAP सरकार
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के बयान के बाद से एक बार फिर एमसीडी और दिल्ली की AAP सरकार आमने-सामने आने वाली है, क्योंकि सरकार ने अनधिकृत कॉलोनियों में रजिस्ट्री शुरू करने का फैसला किया है.
लेकिन निगम की मानें, तो यह काम इतना आसान नहीं होने जा रहा है, क्योंकि बिना ले-आउट प्लान की रजिस्ट्री करने से व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी. अगर ले-आउट प्लान निगम से तैयार करवाना है, तो पहले दिल्ली सरकार या संबंधित RWA को ले-आउट प्लान के लिए निगम को रकम देनी होगी. रकम मिलते ही एमसीडी ले-आउट प्लान पास करने में देरी नहीं करेगी.
एमसीडी के मुताबिक कॉलोनियों में रजिस्ट्री खुलने का काम दिल्ली सरकार के इस ऐलान के साथ ही नहीं हो जाता कि कॉलोनियों की बाउंड्री तय की जा रही है और बाउंड्री तय होते ही रजिस्ट्री शुरू हो जाएंगी, क्योंकि बाउंड्री तय करने के बाद ही ले-आउट प्लान बनता है. इसमें बताया जाता है कि कहां मकान हैं और कहां स्कूल, पार्क या दूसरी सुविधाओं के लिए जमीन छोड़ी गई है. अगर ऐसा नहीं किया गया यानी बाउंड्री तय करने के बाद ही रजिस्ट्री का काम शुरू कर दिया गया, तो किस प्लॉट का कौन मालिक है या किस प्लॉट पर स्कूल या अन्य सुविधाएं दी जानी हैं, इसका निपटारा नहीं हो सकता. इससे मालिकाना अधिकार के अलग-अलग दावे सामने आ जाएंगे.
जाहिर है कि दिल्ली सरकार इस फैसले से यह दिखाने की कोशिश की है कि कॉलोनियों की रजिस्ट्री का रास्ता उसने खोल दिया है. अगर देरी होती है, तो उसके लिए एमसीडी को दोष दिया जा सकता है. इस तरह ले-आउट प्लान बनाने में होने वाली देरी पर दिल्ली सरकार अपने हाथ झाड़ सकती है और सारा ठीकरा एमसीडी यानी बीजेपी पर फूटेगा. ऐसे में इस मामले में AAP राजनीतिक बढ़त लेने की कोशिश जरूर करेगी.