देश की राजधानी को वर्ल्ड क्लास सिटी में बदलने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार इन दिनों केंद्र सरकार के साथ झगड़े में इस कदर उलझी हुई है कि उन्हें दिल्ली के विकास की सुध ही नहीं. फिलहाल केजरीवाल सरकार विज्ञपान पर बेजा खर्च करने के मामले में फंसती नजर आ रही है. केंद्र सरकार की एक कमेटी के मुताबिक केजरीवाल सरकार ने विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को फॉलो नहीं किया है.
'सबके लिए समान होने चाहिए कायदे'
देश के बाकी राज्यों में पार्टी की छवि चमकाने के लिए विज्ञपान पर जनता के टैक्स का इस्तेमाल किया गया. ऐसे में जब केजरीवाल सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'दिल्ली सरकार हो, बाकि राज्य सरकारें या केंद्र की सरकार सबके लिए कायदे बराबर होने चाहिए. सभी के विज्ञपान एक ही तराजू पर रखकर फैसला कर लो, किसी को क्या आपत्ति होगी. जो सारे राज्य की सरकारें अपने विज्ञपान के लिए करेंगी वही हम भी करेंगे. ये तो हिंदुस्तान के संविधान की आत्मा है.' कपिल ने आगे कहा कि कमेटी की रिपोर्ट पूरी तरह पढ़ने के बाद ही सरकार कानूनी कार्रवाई पर विचार करेगी.
आशुतोष ने बताया बीजेपी और कांग्रेस की मिलीभगत
केजरीवाल सरकार ने विधानसभा में विज्ञपान को लेकर खर्च किए जाने वाले बजट को सबके सामने रखा था. इसमें 2016 की बजाय 2017 में विज्ञपान के बजट को कई गुना ज्यादा जगह दी गई है. सवाल पूछने पर आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने इसे मोदी सरकार और कांग्रेस की मिलीभगत बताया है. आशुतोष ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं कमेटी का फैसला है. कांग्रेस के अजय माकन शिकायत करें और मोदी सरकार कार्रवाई करे. कांग्रेस और बीजेपी का इससे बड़ा गठबंधन क्या होगा. इस रिपोर्ट को लेकर हम अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखेंगे.'
'जवाब देने से बच रही आप'
आम आदमी पार्टी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से ही दिल्ली के बाहरी राज्यों में जमकर विज्ञपान दिए जिसका जिक्र कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में किया है. इसके अलावा कई मौकों पर राजनीतिक विज्ञपान या होर्डिंग छपवाकर भी जनता का टैक्स बर्बाद किया गया. हालांकि आम आदमी पार्टी बीजेपी शासित राज्यों पर ही सवाल खड़े कर रही है और विज्ञापन पर उठ रहे सवालों का खुलकर जवाब देने से बच रही है.