आम आदमी पार्टी में घमासान थमने के बजाय और बढ़ता जा रहा है. अब खेमेबाजी भी तेज हो गई है. दोनों खेमे खुलकर सामने आ गए. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर अहम बैठक हो रही है. इस बैठक में नई रणनीति पर चर्चा हो रही है.
AAP में लोकतंत्र नहीं- अजीत झा
AAP की NE से निकाले जाने पर अजीत झा ने कहा कि राष्ट्रीय परिषद में जो घटना हुई है उसके बाद हम ये कहने की स्थिति में नहीं हैं कि पार्टी में लोकतंत्र है. हमारा नेतृत्व आंतरिक लोकतंत्र के पक्ष में नहीं है. अरविन्द केजरीवाल के इशारे से सारी चीज होती है, पार्टी के अकाउंट पर उनका कब्जा है. पार्टी पर उनका कंट्रोल है. शनिवार को मीटिंग बुलाने, संचालन करने, गैर सदस्यों को अंदर भरने का फैसला अरविंद का था.
वहीं दूसरी तरफ AAP के पूर्व विधायक राजेश गर्ग ने पार्टी के लोकपाल एडमिरल रामदास को चिट्ठी लिखकर NC बैठक पर संज्ञान लेने की मांग की है.
'आप' में आगे क्या होगा ?
शनिवार को जिस तरह राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जमकर हंगामा देखने को मिला. बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे 300 में से 247 सदस्यों ने योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को नेशनल एक्जिक्यूटिव से बाहर करने का प्रस्ताव रखा और जिसे तुरंत पास भी करवा लिया गया. इनके अलावा प्रोफेसर आनंद कुमार और अजीत झा को भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निष्कासित कर दिया गया.
इसके बाद हर किसी के जहन में बस यही एक सवाल है कि हटाए गए आप नेता योगेंद्र यादव,प्रशांत भूषण,आनंद कुमार और अजीत झा अब क्या करेंगे. बागियों की अगली रणनीति क्या होगी.
वैसे नेशनल एक्जिक्युटिव से हटाए जाने के ठीक बाद योगेंद्र यादव ने लोकतांत्रिक होने का ढिंढोरा पीटने वाली आम आदमी पार्टी पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप तो लगा ही दिया. अब सवाल ये है कि क्या इसी तरह आम आदमी पार्टी के ये वरिष्ठ नेता पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते रहेंगे. पार्टी में मौजूद खामियों को उजागर करते रहेंगे.
वैसे राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद बागी नेताओं ने अलग से एक बैठक की. ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं अलग पार्टी बनाने की तैयारी तो नहीं है. क्योंकि जिस तरह प्रशांत भूषण योगेंद्र यादव की लोकप्रियता की चर्चा कर रहे हैं वो इसी तरफ इशारा करता है. वैसे हटाए गए प्रोफेसर आनंद कुमार फिलहाल पार्टी में रहकर पार्टी को सुधारने की बात भी कह रहे हैं.
लेकिन आम आदमी पार्टी के इन बागी नेताओं के तंज को देखकर फिलहाल ये मुमकिन नहीं लगता कि ये आगे भी आम आदमी पार्टी में बने रहना चाहते हैं. अगर ऐसा होता तो पार्टी के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की बात ही नहीं करते.
वैसे पार्टी का रुख बागी नेताओं को लेकर नरम नहीं दिखता. शनिवार देर रात संयोजक अरविंद केजरीवाल के घर पर पार्टी की बैठक हुई जिसमें भूमि अधिग्रहण बिल पर अभियान छेड़ने से लेकर दिल्ली सरकार के काम पर ध्यान देने की बात हुई. चार कमेटी बनाने पर भी चर्चा हुई. लेकिन बागी नेताओं पर दो टूक कहा गया कि वे जो करना चाहते हैं करें.
ऐसे में साफ है कि फिलहाल आम आदमी पार्टी नेशनल एक्जिक्युटिव से बागी नेतायों को हटाकर मामला शांत करने की कोशिश की हो, लेकिन योगेंद्र यादव,प्रशांत भूषण,अजीत झा और प्रोफेसर आनंद कुमार की अगली रणनीति क्या होगी इसपर पार्टी की भी नजर होगी.