गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने आरुषि तलवार और हेमराज की बहुचर्चित मर्डर मिस्ट्री पर अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने इस मामले के मुख्य आरोपी और आरुषि के माता-पिता नूपुर तलवार और राजेश तलवार को दोषी ठहराया है. स्पेशल जज श्याम लाल ने फैसला सुनाते हुए राजेश और नूपुर तलवार को आरुषि तथा हेमराज की हत्या का दोषी माना है. अब सजा का ऐलान मंगलवार को होगा. फैसले के वक्त तलवार दंपति कोर्ट में ही मौजूद थे. पढ़ें: इस मर्डर मिस्ट्री में कब क्या हुआ...
अदालत ने दोनों को आईपीसी की धारा 302 (हत्या ) के तहत दोषी ठहराया है. इसके अलावा राजेश तलवार को आईपीसी की धारा 203 (गलत एफआईआर दर्ज कराने के दोषी), 201 (सबूत मिटाना)और 34 (कॉमन इंटेंशन) के तहत दोषी माना है. वहीं, नूपुर को 302 के अलावा धारा 201 और 34 के तहत दोषी ठहराया है.
कोर्ट का फैसला सुनते ही राजेश और नूपुर तलवार रो पड़े. यही नहीं कोर्ट में मौजूद उनके परिवार वालों की आंखों से भी आंसू छलक आए. फैसले के बाद दोनों दोषियों को गिरफ्तार कर डासना जेल भेज दिया गया. जेल में उन्हें कंबल, मग और खाने का बर्तन मुहैया कराए गए हैं. इसके साथ ही दोनों को अलग-अलग सेल में रखा गया है.
फैसले के बाद राजेश और नूपुर तलवार की ओर से मीडिया में एक बयान जारी किया गया, जिसमें कहा गया है कि वे फैसले से नाखुश हैं. बयान के मुताबिक, 'हम फैसले से बहुत दुखी हैं. हमें एक ऐसे जुर्म के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, जो हमने किया ही नहीं. लेकिन हम हार नहीं मानेंगे और न्याय के लिए लड़ाई जारी रखेंगे.'
तलवार दंपति की एक रिश्तेदार ने फैसले के बाद कहा, 'ट्रायल की जरूरत ही क्या थी. लोगों को पहले से पता था क्या होने वाला है. सीबीआई की गरिमा को बचाने के लिए सच को झूठ की परतों में दबा दिया गया.' उधर, बचाव पक्ष के वकील ने इस फैसले को गलत माना है. उन्होंने कहा कि ये गैरकानूनी है. तलवार दंपति की वकील रेबेका जॉन ने कहा है कि वे फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे.
तस्वीरों में देखें: जब राजेश तलवार पर हुआ हमला
हर ओर घूमी शक की सुई, सीबीआई पर भी आरोप
उत्तर प्रदेश पुलिस और सीबीआई की अलग अलग तर्कों के साथ ही इस मामले में कई उतार-चढ़ाव आए. शुरुआत में शक की सुई राजेश तलवार पर, जबकि उसके बाद उनके मित्रों के घरेलू सहायकों पर और फिर राजेश और उनकी पत्नी नूपुर तलवार पर गई. मामला शुरू से ही मीडिया में छाया रहा, जिस कारण अगस्त 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया के सनसनीखेज रिपोर्टिंग पर रोक लगा दी. वहीं, तलवार दम्पति ने सीबीआई पर आरोप लगाया था कि जांच को मोड़ने और कथित रूप से कई चीजों को लीक करके उनकी छवि को 'नुकसान' पहुंचाया गया.
शक के घेरे में पिता राजेश तलवार शुरुआत में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपनी जांच इस आधार पर की कि हेमराज ने आरुषि की हत्या की और फिर घटनास्थल से फरार हो गया. अगले दिन हेमराज का शव फ्लैट की छत पर मिलने के बाद शक की सुई आरुषि के पिता राजेश तलवार पर आ गई, जिसे उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. पुलिस के इस गिरफ्तारी और उस सनसनीखेज आरोप ने मीडिया का ध्यान खींचा कि हत्यारा और कोई नहीं किशोरी का पिता है, जिसने आरुषि और हेमराज को आपत्तिजनक स्थिति में देखने के बाद गुस्से में कदम उठाया. इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी. सीबीआई के संयुक्त निदेशक अरुण कुमार के नेतृत्व में सीबीआई के एक दल ने यह निष्कर्ष निकाला कि हत्याएं तलवार की क्लीनिक में सहायक कृष्णा थडराई, उसके मित्र राजकुमार और तलवार के पड़ोसी के ड्राइवर विजय मंडल द्वारा किया गया. राजकुमार तलवार के मित्र प्रफुल और अनीता का घरेलू सहायक था.
सीबीआई के तत्कालीन निदेशक अश्विनी कुमार ने इस निष्कर्ष को खारिज कर दिया और अरुण कुमार की दलीलों में खामियां बताईं. सितम्बर 2009 में कुमार ने संयुक्त निदेशक जावेद अहमद और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक नीलाम किशोर के नेतृत्व में एक नयी टीम का गठन किया और उन्हें अपनी टीम के सदस्यों का चुनाव करने की आजादी दी. इस जांच दल ने करीब एक साल की गहन जांच के बाद सहायकों को शक से मुक्त कर दिया और परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर राजेश तलवार की भूमिका का संकेत दिया.
अदालतों के चक्कर काटते रहे राजेश और नूपुर तलवार
जांच दल ने 29 दिसम्बर 2010 को मामले में 'अपर्याप्त सबूत' का हवाला देते हुए मामले को बंद करने की रिपोर्ट दायर की. इसे जिला मजिस्ट्रेट प्रीति सिंह ने खारिज कर दिया. उन्होंने आदेश दिया कि इसमें तलवार दम्पति के खिलाफ मामला चलाया जाना चाहिए. अदालत ने कहा, 'ऐसे मामले में जिसमें घटना घर के भीतर हुई, दिखाई देने वाले सबूतों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता.' तलवार दम्पति उसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट गए, जिसने निचली अदालत के समन और उनके खिलाफ शुरू की गई सुनवाई को रद्द करने की मांग वाली उनकी याचिका खारिज कर दी. दम्पति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उन्हें वहां भी राहत नहीं मिली.
सुनवाई का सिलसिला
हत्या मामले में सुनवाई 11 जून 2012 को शुरू हुई. सुनवाई डेढ़ साल तक चली और इस दौरान सीबीआई के कानूनी सलाहकार आरके सैनी ने अपने समर्थन में 39 गवाह पेश किए. वहीं, बचाव पक्ष ने भी सात गवाह पेश किए.
25 जनवरी 2011 को गाजियाबाद अदालत परिसर में एक युवक ने राजेश तलवार पर धारदार हथियार से हमला भी किया. मामले में अभियोजन ने अपनी अंतिम दलीलें 10 अक्टूबर को शुरू कीं, जबकि बचाव पक्ष ने अपनी अंतिम दलीलें 24 अक्टूबर को शुरू करके उसे 12 नवम्बर को पूरा कर लिया.
आरुषि हत्याकांड अब तक
16 मई 2008 को आरुषि की हत्या के बाद उसके पिता राजेश तलवार 23 मई 2008 को गिरफ्तार कर लिया गया था. इस हाईप्रोफाइल केस ने पुलिस को छका कर रख दिया. पुलिस बार-बार बयान बदलती रही और केस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहा था, जिसके बाद 31 मई 2008 को केस सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया. जून में राजेश तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया गया. 10 दिन बाद तलवार के दोस्त के नौकर राजकुमार और विजय मंडल को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया गया था.
सीबीआई जांच कर रही थी, लेकिन दिसबंर 2010 में आखिरकार सीबीआई थक गई और क्लोजर रिपोर्ट यह कहते हुए दाखिल की गई कि उसे राजेश तलवार पर ही शक है, लेकिन उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है. उसके बाद तलवार दंपति इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ कोर्ट चले गए. कोर्ट ने भी रिपोर्ट को रिजेक्ट कर दिया और एक नाटकीय घटनाक्रम में तलवार दंपति को फिर से समन जारी कर दिया और सीबीआई को दोबारा मामला चलाने का आदेश दिया गया.
फरवरी 2011 में गाजियाबाद की स्पेशल कोर्ट ने राजेश तलवार और नुपुर तलवार पर ट्रायल शुरू करने के आदेश दिए सीबीआई कोर्ट ने अदालत में मौजूद ना रहने पर तलवार दंपति के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया. अप्रैल 2011 में नुपुर तलवार को गिरफ्तार कर लिया गया.
आखिरकार मई 2011 में कोर्ट ने राजेश तलवार और नपुर तलवार पर हत्याकांड को अंजाम देने और सबूत मिटाने का आरोप तय कर दिया. सितबंर 2011 में नुपुर तलवार को जमानत मिल गई. अप्रैल 2013 में सीबीआई के अधिकारी ने कोर्ट में कहा कि आरुषि और हेमराज की हत्या तलवार दंपति ने ही की है. सीबीआई ने कोर्ट को ये भी बताया कि आरुषि और हेमराज आपत्तिजनक अवस्था में मिले थे.
बचाव पक्ष के वकील ने 3 मई को स्पेशल कोर्ट के सामने अपील की कि वह 14 हवाहों को कोर्ट में बुलाए. सीबीआई ने इस अपील का विरोध किया. 6 मई 2013 को तलवार की इस अर्जी को ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया. साथ में राजेश और नूपुर के बयानों को रिकॉर्ड करने के भी आदेश दिए. 13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने तलवार दंपत्ति को कड़ी फटकार लगाते हुए उनकी अर्जी को खारिज कर दिया. कुल मिलाकर तारीख बढ़ती गई और आखिरकार लंबे इंतजार के बाद आरुषि और हेमराज को न्याया मिल ही गया.
सीबीआई के पास इस केस के थे यह सबूत
फॉरेंसिक एक्सपर्ट बोले, जांच में खामियां