शीला दीक्षित के शासनकाल के दौरान दिल्ली में हुए टैंकर घोटाले के मामले में रविवार को एंटी करप्शन ब्रांच की टीम शीला दीक्षित के घर पहुंची. एसीबी ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री को टैंकर घोटाले से जुड़ी 18 सवालों की लिस्ट भेजी है, जिसका जवाब उन्हें देना है. वहीं, आम नेता कपिल मिश्रा ने एसीबी के इस रवैये पर तंज कसते हुए कहा कि एसीबी शीला दीक्षित के घर टी पार्टी करने गई थी.
आप ने दर्ज कराई थी शिकायत
साल 2009 से लेकर 2015 तक पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल में वाटर टैंकर का मामला सामने आया था. घोटाले को लेकर आम आदमी पार्टी के मंत्री कपिल मिश्रा और बीजेपी के विजेंद्र गुप्ता ने शीला दीक्षित के खिलाफ एसीबी में शिकायत दर्ज कराई थी. आप के कपिल मिश्रा ने आरोप लगाते हुए कहा था कि शीला सरकार में वाटर टैंकर घोटाला हुआ था. एसीबी ने शिकायत पर जून 2016 में एफआईआर दर्ज की, जिस पर दिल्ली के मंत्री और शिकायतकर्ता कपिल मिश्रा को भी बुलाकर पूछताछ की गई थी. इसी मामले में रविवार को एसीबी ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के घर जाकर उन्हें सवालों की लिस्ट सौंपी है.
'शीला दीक्षित के घर मत्था टेकने गई थी एसीबी'
कपिल मिश्रा ने बयान जारी करते हुए कहा, 'आज आखिरकार एसीबी शीला दीक्षित के दरबार में मत्था टेकने पहुंची. 20 मिनट वहां रुकी, चाय पिया और शीला दीक्षित को 20 सवालों की लिस्ट लिखकर दे दी. दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री जब चाहे इन सवालों का जवाब दे सकती हैं. नो इंटैरोगेशन नो क्रॉस क्वेशचनिंग.'
क्या है पूरा मामला?
टैंकर घोटाले के आरोपों के मुताबिक, 2012 में दिल्ली जल बोर्ड ने 385 स्टील के टैंकर किराए पर लिए थे. उस समय शीला दीक्षित सीएम के साथ ही दिल्ली जल बोर्ड की अध्यक्ष भी थीं. आरोप है कि जो टैंकर लिए गए थे, उसमे करीब 400 करोड़ का घोटाला हुआ था. इस मामलें में एसीबी ने दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों को नोटिस भेजा था. उन अधिकारियों से पूछताछ भी की जा चुकी है.
शीला से पूछे गए ये सवाल
सूत्रों के मुताबिक, जो सवाल शीला को सौंपे गए है, उसमें उनसे पूछा गया है कि वाटर टैंकर में कंस्टलटेंट की नियुक्ति गलत तरीके से कैसे हुई? जिस कंपनी से टैंकर लिए गए, उस कंपनी को फेवर क्यों किया गया था?
टैंकर लेने में अनियमिताएं क्यों बरती गईं? टैंकर घोटाले को लेकर बीजेपी के विधायक विजेंद्र गुप्ता ने जो शिकायत की थी, उसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी आरोप लगाया गया था. शिकायत के मुताबिक, केजरीवाल ने अपने कार्यकाल में इस मामले की फाइल को 11 महीने तक दबा के रखा था, जिस पर एसीबी का कहना था कि जरुरत पड़ने पर केजरीवाल को भी पूछताछ के लिये बुलाया जाएगा.