पहले से ही वित्तीय संकट से जूझ रही एमसीडी में पार्किंग से जुड़ा एक ऐसा मामला सामनेआया है जहां पर अपने खास लोगों को पार्किंग साइट नियम के विरुद्ध बेस रेट पर ही एलाट कर दी गई, जिससे एमसीडी को करोड़ों रुपए के रेवेन्यू का नुकसान होगा.
आरोप है 60 पार्किंग साईट्स के लिए टेंडर में 38 फर्म शामिल हुई थी, पर 32 फर्मों केएप्लीकेशन को रद्द कर केवल 6 फर्म को बिना किसी कंपटीशन के सारी पार्किंग बेस रेट पर ही अलॉट कर दी गई.
इसी बात को लेकर विपक्ष आक्रामक हो गया है. विपक्ष ने इसकी निष्पक्ष और सीबीआईतक से जांच की मांग कर दी. इसके साथ-साथ इस मुद्दे सदन के साथ-साथ सड़क पर भी जोर शोर से उठाने की बात कही.
आम आदमी पार्टी ने MCD में काबिज भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है की इस पार्किंगआवंटन प्रक्रिया में कई सौ करोड़ का घोटाला होने जा रह है. निगम में आम आदमी पार्टी के नेता राकेश कुमार कहते हैं कि सत्ता में बैठी भाजपा ने अपने चहेते ठेकेदारों को आवंटन दिलाने के लिए पूरी प्रक्रिया को ही बदल डाला ताकि ठेकेदारों को इसका लाभ मिल सके.
इस आवंटन मेंनिगम को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है और इसकी जांच सीबीआई से होनी चाहिए. हम इस मुद्दे को लेकर सदन से सड़क तक लेकर जाएंगे.
दरअसल, अभी तक पार्किंग रिजर्व रेट से लाखों रुपये ऊपर पर उठते थे, पर इस बार नियम फेरबदलकर प्रतियोगिता खत्म कर अपने खास ठेकेदारों को बेस रेट पर ही टेंडर एलॉट कर दिए गए.
वहीं निगम में कांग्रेस ने भी पार्किंग आवंटन को लेकर भाजपा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपलगाते हुए कहा की एक तरफ तो निगम के पास अपने कर्मचारियों को देने तक के पैसे नहीं है. वहीं दूसरी तरफ निगम में बैठी भाजपा के बड़े नेता अधिकारियों के साथ मिल कर भ्रस्टाचार कर रहे है, ये बहुत बड़ा घोटाला है और इसकी जांच होनी चाहिए.
मुकेश गोयल नेता कांग्रेस नार्थ एमसीडी ने कहा है कि शुक्रवार को इस मसले पर शार्टनोटिस देकर सदन में चर्चा की मांग की जाएगी.
वहीं, पार्किंग आवंटन को लेकर नार्थ एमसीडी अब बैकफुट पर आ गई है. उत्तरी दिल्ली नगरनिगम की महापौर प्रीति अग्रवाल का कहना है की कोई करप्शन नहीं होने दिया जाएगा हमने इस पर कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी है अगर इसमें किसी भी प्रकार की अनियमितता पाई जाती है तो इसको रद्द कर दिया जाएगा.
बहरहाल, एमसीडी और भ्रष्टाचार का साथ बहुत पुराना रहा है इससे पहले भी पेंशन और एडवर्टाइजिंगके बड़े बड़े मामले सामने आते रहे है.
- अपने चहेते लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर नियम बदले
- 2 साल के टेंडर को बढ़ाकर अब 5 साल के लिए अलॉटमेंट किया.
- कम दरों में पार्किंग उठा दी जबकि पहले प्रतियोगिता होने की वजह से निगम को अच्छी दरें मिल जाती थी.
- 38 फर्मों में से केवल छह फर्म को टेंडर में मौका दिया.
- रिजर्व प्राइस पर ही सभी पार्किंग उठा दी गई, जबकि पहले रिजर्व प्राइस से कई गुना परपार्किंग उठती थी.
- विपक्ष का आरोप ठेकेदारों ने एमसीडी में अधिकारियों और बीजेपी नेताओं से सांठगांठ कर कम दरों में टेंडर हासिल कर लिए.
- इस टेंडर से नार्थ एमसीडी को हर साल करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान होगा.