सोशल मीडिया की हाय-तौबा और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में पहले से सवार अपार भीड़ के बीच, दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने आखिरकार अपने सम-विषम फॉर्मूले का पूरा प्लान जनता के सामने रख दिया है. सवाल प्लान पर भी उठ रहे हैं और सवाल सरकार के अचानक से जगे पुलिस पर उस भरोसे को लेकर भी, जिसे वह पहले अपना अंग मानती ही नहीं थी. क्योंकि वायु प्रदूषण के खिलाफ इस जंग का पूरा दारोमदार दिल्ली पुलिस पर ही है. लेकिन इन सब के बीच बड़ा सवाल यह भी है कि क्या वाकई सबकुछ बुरा ही है या इसमें एक शुभ शुरुआत के संकेत भी हैं.
यह सच भी है और संयोग भी कि जिस चीन से आम आदमी पार्टी की सरकार ने सम-विषम के फॉर्मूले को इम्पोर्ट किया , वहां हाल ही प्रदूषण का स्तर 200 प्वॉइंट जाने पर रेड अलर्ट जारी किया गया है. स्कूल-कॉलेजों को बंद रखने के निर्देश दिए गए तो वाहनों की आवाजाही पर भी लगाम कसी गई. इसके उलट दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 400 प्वॉइंट के पार पहुंच चुका है और सरकार ने आम आदमी की सुध अब जाकर ली है. हालांकि, तमाम कमियों और चर्चाओं से इतर एक पक्ष यह भी है कि देर से ही सही सरकार ने उस आम आदमी की सुध ली है जिसके प्रति वाजिब तौर पर वह जिम्मेदार है.
...तो क्या सब कुछ इतना बुरा है?
एक आंकड़े के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में जिन प्राइवेट गाड़ियों पर सरकार नया नियम लागू करने जा रही है, उनकी संख्या 84,75,371 है. यानी 1 जनवरी 2016 से नियम के लागू होने पर सोमवार से शनिवार 12 घंटों के लिए इनमें से आधी 42,37,685 गाड़ियां ही सड़कों पर उतरने और फर्राटे भरने के लिए अधिकृत होंगी. जाहिर तौर पर इससे आमजन को परेशानी होगी, लेकिन देर-सवेर एक अच्छी शुरुआत ही सफल नतीजे तक पहुंचती है इसमें भी कोई दोराय नहीं है.
सरकार का यह फॉर्मूल सड़कों पर फिट बैठे इसके लिए जनभागीदारी सबसे अहम हो जाती है. यानी बतौर दिल्लीवासी हमें-आपको उन उपायों की तलाश करनी होगी जो हमारे लिए फायदेमंद होने के साथ ही पर्यावरण के लिए लाभकारी और नियमों के अनुकूल हों.
1) कूल उपाय है कार पूलिंग
सम-विषम के गणित को लेकर हम सरकार के साथ खड़े हैं या नहीं, इस चर्चा में अटकने की बजाय अगर दिल्ली का 'गैस चैंबर' जैसा वातावरण बदलता है तो इसका लाभ यहां रहने वाले हर नागरिक को ही मिलने वाला है. ऐसे में हफ्ते में तीन दिन अपनी गाड़ी पर नहीं चढ़ने को लेकर विषाद करने से बेहतर है कि इस ओर विकल्प के तौर पर कार पूलिंग का सहारा लिया जाए.
कार पूलिंग का सीधा सा अर्थ है एक ही रास्ते जाने वाले किसी सहयात्री की कार में सवार होने का विकल्प. यानी अगर आपके किसी मित्र के पास सम संख्या और आपके पास विषम संख्या की गाड़ी है तो आप दोनों हफ्ते में तीन-तीन दिन एक दूसरे के साथ सफर कर सकते हैं. बेहतर होगा कि अपने दायरे को बढ़ाते हुए आप दूसरे सहकर्मी या दोस्तों को भी इस विकल्प से जोड़े. इससे आपस में दोस्ती बढ़ेगी, चार लोग साथ सफर करेंगे तो मंजिल की दूरी का अहसास कम होगा. आवाजाही के खर्च में कमी आएगी और सड़कों पर गाड़ियों की कमी भी नहीं खलेगी.
2) पब्लिक ट्रांसपोर्ट की ओर रुख करें
दिल्ली में बेशक पब्लिक ट्रांसपोर्ट की अपनी कमियां हैं. डीटीसी बसों से लेकर मेट्रो की भीड़ किसी से छिपी नहीं है, लेकिन तात्कालिक उपाय के तहत केजरीवाल सरकार ने स्कूल बसों को इस्तेमाल में लाने की भी इजाजत दी है. इससे बच्चों को स्कूल लाने और वापिस घर छोड़ने के बाद खड़े वाहनों का सदुपयोग होगा. यह मॉडल कनाडा में कामयाब रहा है. यानी भीड़ से आंशिक रूप से ही सही राहत मिलेगी. इसके अलावा परिवहन मंत्री गोपाल राय ने घोषणा की है कि दिल्ली सरकार 2017 तक अलग-अलग किस्तों में 7000 और बसों को सड़कों पर उतारेगी.
बस और मेट्रो की सवारी जहां आपकी जेब के अनुकूल है, वहीं कई मौकों पर यह आपको अपनी गाड़ी से जल्दी गंतव्य तक पहुंचाती भी है. इसके अलावा डीटीसी की बसों में डेली पास से लेकर मंथली पास और सालाना पास की सुविधा भी सस्ती दर पर सफर का विकल्प बन सकती है. मेट्रो कार्ड बनवाने पर भी आपको रोज के किराए में 10 फीसदी की छूट मिलती है.
3) कैब और ऑटो में भी पूलिंग
सरकार अभी यह नियम सिर्फ प्राइवेट गाड़ियों के लिए लेकर आ रही है. यानी ऑफिस जाने के लिए टैक्सी और ऑटो का भी विकल्प खुला है. कई कैब और ऑटो सर्विस देने वाली कंपनियां इसके लिए नए और सस्ते प्लान लॉन्च करने की तैयारी में हैं. इसके अलावा कैब पूलिंग भी सस्ती दरों पर उपलब्ध है.
4) कम दूरी के लिए साइक्लिंग
बड़े-बड़े देशों के छोटे-छोटे शहरों से लेकर छोटे-छोटे देशों के बड़े-बड़े शहरों तक हर कहीं कम दूरी के लिए साइकिल की सवारी चलन में है. यह न सिर्फ बजट और पार्किंग की समस्या में फिट बैठती है, बल्कि सेहत के लिए भी लाभप्रद है. कई देशों के अक्सर पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए एक दिन के लिए साइकिल की सवारी का आयोजन भी किया जाता है. ऐसे में कितना अच्छा हो अगर कम दूरी के सफर के लिए साइकिल की सवारी का आनंद लिया जाए. हफ्ते में तीन दिन साइकिल की सवारी आपको फिट और जिम के खर्च से भी निजात दिला सकती है.
5) समय की होगी बचत
सड़कों पर कम गाड़ियों के होने से अब दिल्ली वासियों को ट्रैफिक जाम की समस्या से भी निजात मिलने की संभावना है. यानी अब आपको अपने गंतव्य तक पहुंचने में पहले के मुकाबले कम समय लगेगा. सीधे शब्दों में कहें तो रोजाना ऑफिस जाने-आने में आपका बहुमूल्य समय बचेगा, जिसे आप दोस्तों और परिवार वालों के साथ बिता सकते हैं.
6) पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी
इन सारे उपायों से दिल्लीवासी जहां आने वाले समय में सम-विषम के फॉर्मूले में फिट बैठ सकते हैं, वहीं थोड़ी सी असुविधा उठाकर पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन भी कर सकते हैं. यह न सिर्फ आपको बल्कि आपके परिवार को बेहतर कल और अच्छी सेहत की गारंटी देता है.