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'कुरान में जो कहा है, वो अनिवार्य ही है,' हिजाब मामले में SC में बोले सलमान खुर्शीद

कर्नाटक हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सोमवार को चौथे दिन कोर्ट में याचिका दायर करने वाले पक्ष की तरफ से वकील सलमान खुर्शीद ने बहस की. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (16 सितंबर) तक इस मामले में सुनवाई पूरी करने के संकेत दिए हैं. स्कूल-कॉलेज में हिजाब की अनुमति मांग रहे याचिकाकर्ता पक्ष को बुधवार तक दलील पूरी करने के लिए कहा है.

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हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है.
हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है.

कर्नाटक हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट में चौथे दिन भी सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि इस्लाम में अनिवार्य और गैर-अनिवार्य जैसी कोई बात नहीं है. कुरान में जो कुछ है- वह अनिवार्य ही है और पैगंबर ने जो कहा या जैसा बर्ताव किया है, वह भी अनिवार्य है. खुर्शीद ने बुर्का, हिजाब और जिलबाब की तस्वीरों को दिखाकर उनके बीच का फर्क अदालत को समझाया. हिजाब मामले में अब बुधवार को सुनवाई होगी.

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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (16 सितंबर) तक इस मामले में सुनवाई पूरी करने के संकेत दिए हैं. स्कूल-कॉलेज में हिजाब की अनुमति मांग रहे याचिकाकर्ता पक्ष को बुधवार तक दलील पूरी करने के लिए कहा है. उसके बाद राज्य सरकार को जवाब के लिए 2 दिन दिए जाएंगे.

संस्कृति पहचान की ओर ले जाती है...

वकील सलमान खुर्शीद के मुताबिक, संस्कृति महत्वपूर्ण है. क्योंकि संस्कृति पहचान की ओर ले जाती है. उन्होंने आज सुनवाई के दौरान कहा- मुझे ड्रेस कोड की सदस्यता लेनी होगी, लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि मैं इसके अलावा कुछ भी नहीं पहन सकता, जो मेरी संस्कृति या धर्म के लिए महत्वपूर्ण हो?

हिजाब धर्म और संस्कृति का अंग

उन्होंने कहा- जब गुरुद्वारा जाते हैं तो लोग हमेशा अपना सिर ढंक कर रखते हैं. यह संस्कृति है. कुछ देशों में लोग मस्जिदों में अपना सिर नहीं ढकते हैं. लेकिन भारत में हर कोई सिर ढकता है. यह संस्कृति है. सलमान खुर्शीद ने कहा कि यूनिफॉर्म आवश्यक है, उससे किसी को कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन हिजाब कुछ अलग है. कुरान में इसका जिक्र है. ये धर्म और संस्कृति दोनों का अंग है.

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ईश्वर दयालु होते हैं, मगर इसका मतलब ये नहीं...

खुर्शीद ने आगे कहा- यूपी और उत्तर भारत में घूंघट का प्रचलन है. गुरुद्वारे में भी सिर ढंकने का रिवाज है. अगर पवित्र किताब में लिखा है कि ईश्वर दयालु हैं और हमारे अपराध क्षमा करते हैं, इसका ये मतलब नहीं है कि धार्मिक उसूलों और सिद्धांतों का पालन ना किया जाए.

जो धार्मिक उसूलों पर नहीं चलते, उन्हें मरने के बाद....

उन्होंने कहा- इस्लाम में तो ये भी मान्यता है कि धार्मिक उसूलों पर चलते हुए अच्छे काम करने का पुरस्कार मौत के बाद भी मिलता है और जो नहीं मानते उन्हें दोजख की आग में जलाया जाता है, लेकिन ये सब मौत के बाद होता है. कुछ लोग काफिर का मतलब गैर मुस्लिम या इस्लाम में अकीदा ना रखने वाला बताते हैं लेकिन इस शब्द का मतलब अल्लाह में भरोसा यानी ईमान ना रखने वाला होता है, लेकिन जो नास्तिक हैं उनका इस सिद्धांत से कोई लेना-देना नहीं है. दीन का मतलब धर्म होता है.

कर्नाटक HC का फैसला व्यवहारिक तौर पर गलत

खुर्शीद ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला कुछ नजरिए से भले ठीक लग रहा हो, लेकिन व्यवहारिक तौर पर ये गलत है. बता दें कि हिजाब मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने छात्रों की याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि हिजाब इस्लाम के धार्मिक व्यवहार का हिस्सा नहीं है. कोर्ट ने कहा कि छात्र-छात्राओं को यूनिफॉर्म उल्लंघन या मनमाने कपड़े पहन कर स्कूल आने का अधिकार नहीं है.

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हिजाब को लेकर कर्नाटक में हुआ था हंगामा

गौरतलब है कि कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में हिजाब विवाद पिछले साल दिसंबर के आखिर में शुरू हुआ था. इसके बाद कई राज्यों में हिजाब को लेकर प्रदर्शन हुए थे. बहस इस बात को लेकर थी कि स्कूलों में हिजाब पहनने की इजाजत हो या नहीं. कर्नाटक में काफी प्रदर्शन और हिंसा के बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा था.

 

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