भिंड में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और वीवीपैट में गड़बड़ी के आरोप की जांच कर रही चुनाव आयोग की टीम की रिपोर्ट आ गई है पर चुनाव आयोग की जांच टीम ने फिर दोहराया कि ईवीएम में कोई गड़बड़ नहीं पाई गई है. दरअसल प्रदर्शन के दौरान चुनाव अधिकारियों कि लापरवाही की वजह से वीवीपैट मशीन में अलग डाटा था और ईवीएम में उम्मीदवारों के नाम के बटन अलग थे. दोनों के बीच तालमेल ना होने से बटन पर लिखे उम्मीदवार का नाम अलग था और वीवीपैट में पहले से फीड डाटा चूंकि डिलीट नहीं किया गया था. लिहाजा स्लिप पर पिछले डाटा के मुताबिक प्रिंट आ रहा था.
चुनाव आयोग के आदेश पर आंध्रप्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी भंवर लाल की अगुवाई में की गई जांच टीम ने पाया कि ईवीएम में कोई गड़बड़ नहीं थी. मतदान के दौरान तीन मशीनें होती हैं बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट. 31 मार्च को भिंड में मतदान अधिकारियों को ट्रेनिंग के दौरान प्रदर्शित की गई ये वीवीपैट मशीन कानपुर के गोविंदनगर इलाके में हुए विधान सभा चुनाव में इस्तेमाल की गई थी.
उसमें डाटा भी वहीं का फीड था और वही डाटा उसके साथ तालमेल की गई ईवीएम से मिलता था. लेकिन यहां भिंड में प्रदर्शन के दौरान ईवीएम अलग थी और वीवीपैट का डाटा पुरानी गोविंदनगर वाली ईवीएम से मेल खाता था. लिहाजा गड़बड़ हुई. आयोग की जांच टीम ने इसकी जांच कराने की सिफारिश की है कि ये गड़बड़ लापरवाही का नतीजा थी या फिर सोची समझी साजिश.
आयोग की जांच टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट में ये भी कहा है कि मतदान के नतीजे आने के 45 दिनों के भीतर चुनाव याचिका दाखिल करने की मियाद होती है. तब तक ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों को सुरक्षित रखा जाता है. यानी ईवीएम को सुरक्षित रखना लाजिमी है. 45 दिनों की मियाद बीत जाने के बाद जिन इलाकों या बूथों को लेकर इलेक्शन पेटिशन फाइल की गई है वहां की ईवीएम को सुरक्षित पहरे में याचिका के निपटारे तक रख दिया जाता है. बाकी ईवीएम के डाटा उड़ा दिए जाते हैं ताकि अगले चुनाव की तैयारियों के लिए इन मशीनों को तैयार किया जा सके.
इस अवधि में ईवीएम को राज्य से बाहर ले जाने पर कानूनन पाबंदी है. लेकिन वीवीपैट को लेकर ऐसी कोई पाबंदी नहीं है. उससे निकली पर्चियों को संरक्षित रखने का प्रावधान है. पर मशीन को नहीं. आयोग ने अपनी फाइनल रिपोर्ट में राजनीतिक दलों द्वारा उठाई गई तमाम आशंकाओं और आरोपों को तकनीकि बुनियाद पर निराधार साबित कर दिया है.