गुजरात में मिली बुरी तरह हार के बावजूद अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी अब पूर्वोत्तर राज्य नगालैंड में विधानसभा चुनाव लड़ेगी. देश के अन्य राज्यों में धीरे-धीरे पैर पसारने की कोशिश के तहत आम आदमी पार्टी ने यह निर्णय लिया है. मार्च 2018 में होने वाले नगालैंड विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी सभी 60 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी.
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता आशुतोष और संजय सिंह ने मंगलवार को दीमापुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके नगालैंड में विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की. नगालैंड में भ्रष्टाचार एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा है. हालांकि राज्य में उग्रवाद और नगा राजनीतिक समाधान उससे भी बड़ा पेचीदा राजनीतिक मुद्दा है, जो हर चुनाव में उठता रहा है. नगालैंड में फिलहाल एनडीए की सरकार है.
गौरतलब है कि इसके पहले आम आदमी पार्टी ने गुजरात में भी अपने 29 उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई. ऐसे में फिर एक नए राज्य में और वह भी सभी सीटों पर कैंडिडेट उतारने का पार्टी का निर्णय चौंकाने वाला है.
आम आदमी पार्टी नगालैंड में सरकार में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाकर वोट मांगेगी. नगालैंड में आम आदमी पार्टी के संयोजक डॉ. राम उस ने हाल ही में नेतृत्व से मुलाकात कर प्रदेश में चुनाव लड़ने की अनुमति मांगी थी. नगालैंड में नगा पीपुल्स फ्रंट सबसे बड़ी पार्टी है. ऐसे में पहाड़ी राज्य नगालैंड में किसी छोटी स्थानीय और नई पार्टी के लिए कितनी जगह होगी, इस पर फिलहाल कुछ कहना मुश्किल है. लेकिन आम आदमी पार्टी के पास नगालैंड में खोने के लिए कुछ नहीं है.
AAP नेताओं का मानना है कि चुनाव लड़ने के बाद उसमें जीत हासिल न भी हो, राज्य में संगठन स्तर पर काफी कुछ हासिल होगा, जो आने वाले समय में पार्टी के काम आएगा. विधानसभा चुनाव में अब महज 3 महीने का वक्त बाकी रह गया है, ऐसे में पार्टी अगले सप्ताह से नगालैंड के हर इलाके में आक्रामक रुख से प्रचार की शुरुआत करेगी. दीमापुर और कोहिमा में आम आदमी पार्टी अपना मुख्यालय खोलने की तैयारी कर रही है. हालांकि चुनाव प्रचार के लिए पार्टी के सबसे बड़े नेता यानी केजरीवाल के नगालैंड जाने पर फिलहाल पार्टी ने रुख साफ नहीं किया है.