देश में महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है. हर स्तर पर लोग महंगाई से जूझ रहे हैं. खाने के ज्यादातर सामान के दाम आसमान पर हैं. दाल हों या सब्जियां. पकाने के लिए तेल और अब मसाले... आम लोगों की पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं. घरेलू महिलाओं का कहना है कि घर के किचन का बजट बिगड़ गया है. महंगाई की मार ने परेशान कर दिया है. कमाई पहले जितनी ही है.
दिल्ली की प्रीत विहार में रहने वाली बरखा गुप्ता के घर जब आजतक पहुंचा तो उन्होंने बताया कि महंगाई ने उनके पूरी किचन का बजट बिगाड़ दिया है. आज से करीब 2 महीने पहले उनकी किचन का बजट जो 10 हजार हुआ करता था, वो आज बढ़कर के सीधा 14 हजार पहुंच गया है. आलम यह है कि कभी टमाटर में कटौती करनी पड़ती है तो कभी प्याज में तो कभी दालों में और अब दालों में स्वाद देने वाले जीरा और हल्दी जैसे मसाले में भी कटौती करनी पड़ रही है.
'अब जीरा का तड़का नहीं लगा पा रहे'
बरखा गुप्ता की तरह 68 साल की इंदु गुप्ता भी महंगाई की मार से परेशान हैं. प्लेट में पड़ी महंगी दाल को साफ करते हुए बताया कि दाल में पहले टमाटर का तड़का लगाने से पहले सोचना पड़ रहा था और अब जीरे का तड़का लगाने से पहले सोचना पड़ रहा है. हर साल जितनी महंगाई पड़ रही है. उतनी इनकम नहीं बढ़ पा रही है.
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'काली मिर्च की हो रही लिमिटेड पैदावर'
काली मिर्च और हल्दी में अचानक में आई दोगुनी तेजी का कारण जानने जब हम एशिया की सबसे बड़ी किराना बाजार मार्केट खारी बावली पहुंचे तो वहां कारोबारी जितेंद्र ने हमें दाम बढ़ने के पीछे की वजह बताई. उन्होंने कहा, हिंदुस्तान में काली मिर्च केरल से आती है. पिछले कुछ दिनों से बाहर के देश से काली मिर्च नहीं आ रही है, जिसके कारण हिंदुस्तान के अंदर जो काली मिर्च की पैदावार हो रही है वो बहुत लिमिटेड है. यही वजह है कि उसके दाम बढ़ रहे हैं.
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'फसल खराब होने से बढ़े हल्दी के दाम'
उन्होंने यह भी कहा कि हल्दी के दाम बढ़ने के पीछे की वजह फसल का खराब होना है. इसके कारण हल्दी के दाम पिछले 2 महीने में 65-70 रुपए से बढ़कर 175 रुपए तक पहुंच गए. वहीं, किराना कारोबारी और एक्सपर्ट नंद लाल बंसल बताते हैं कि इसके पीछे (NCDEx) यानी National Commodity and Derivatives Exchange limited जिम्मेदार है.